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गंगा संरक्षण को लगाए हजारों पौधे, लैंटाना और गाजर घास के बीच गुम

सौंग नदी की स्वच्छता को बड़कोट रेंज में 18 हजार पौधे रोपे गए। लेकि अब कई पौधे तो लैंटाना और गाजर घास झाड़ियों के बीच गुम हो गए हैं। इससे संरक्षण कैसे होगा।

By Raksha PanthariEdited By: Published: Wed, 19 Jun 2019 01:46 PM (IST)Updated: Wed, 19 Jun 2019 01:46 PM (IST)
गंगा संरक्षण को लगाए हजारों पौधे, लैंटाना और गाजर घास के बीच गुम
गंगा संरक्षण को लगाए हजारों पौधे, लैंटाना और गाजर घास के बीच गुम

रायवाला, जेएनएन। नमामि गंगे अभियान के तहत गंगा की सहायक नदियों को भी स्वच्छ किया जाना है। सौंग नदी की स्वच्छता के लिए 2017 के वर्षाकाल में छिद्दरवाला के पास देहरादून वन प्रभाग की बड़कोट रेंज में 15 हेक्टेयर भूमि पर बड़े पैमाने पर पौधारोपण किया गया। अभियान के अंतर्गत विभिन्न प्रजाति के 18 हजार पौधे रोपे गए। सूरतेहाल यह है कि प्लांटेशन पर लैंटाना और गाजर घास उगी है। हजारों पौधे तो इन झाड़ियों के बीच गुम हो गए हैं। इससे संरक्षण कैसे होगा। यह बड़ा सवाल बना हुआ है। 

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पौधारोपण का उद्देश्य नदियों के किनारे इस तरह के पौधे उगाना है, जिससे न केवल पारस्थितिकी तंत्र मजबूत हो बल्कि यह भूकटाव को भो रोके और भूमिगत जलस्तर भी बढ़े। विशेषज्ञों का मानना है कि ऐसा होने से वन्य जीवों के लिए चारा-पत्ती की पर्याप्त उपलब्धता रहेगी और सौंग के जरिये गंगा में पहुंचने वाला पानी भी साफ रहेगा। अभियान के तहत नदी के दोनों तरफ दो किलोमीटर के दायरे में इस तरह का प्लांटेशन किया जाना है। लेकिन सौंग नदी किनारे छिद्दवाला के पास बड़कोट रेंज में 15 हेक्टेयर भूमि पर कराए गए प्लांटेशन का सूरतेहाल यह है कि पौधे गाजर घास और लैंटाना की झाड़ियों के बीच गुम हो गए हैं। कई जगह तो सिर्फ गाजर घास नजर आ रही है। ऐसे में जिम्मेदार अधिकारियों की कार्यशैली और अभियान की सफलता पर सवाल उठने स्वाभाविक हैं। 

प्लांटेशन के आस-पास गंदगी का अंबार 

प्लांटेशन के आस-पास जंगल और सड़क किनारे गंदगी का अंबार भी लगा हुआ है। पॉलीथिन व कूड़ा करकट के ढेर अधिकारियों की कार्यशैली पर सवाल खड़े कर रहे हैं। आस-पास की बस्तियों और एक औद्योगिक संस्थान का कूड़ा कचरा भी सौंग नदी किनारे जंगल में फेंका जा रहा है। 

यह रोपित हैं पौधे 

वृक्ष प्रजाति में शीशम, खैर, कचनार, कंजू, तुन, बांस, बेल, अमलतास, अर्जुन, आम के छह हजार पौधे, औषधि प्रजाति में आंवला, बहेड़ा, हरड़ के तीन हजार पौधे, झाड़ी प्रजाति में करौंदा, सालपर्णी, दाहिया, बेर, करीपत्ता के छह हजार पौधे, चारा प्रजाति में नेपियर, कॉस, टाइगर ग्रास के छह हजार पौधे। 

किसानों को भी दिए जाने हैं पौधे 

अभियान को स्थानीय लोगों की आर्थिकी से भी जोड़ा जाना है। इसके तहत आस-पास के लोगो को खेतों में लगाने के लिए फलदार पौधे निश्शुक्ल वितरित किए जाने हैं। इससे न केवल काश्तकारों को फायदा होगा बल्कि आस-पास का पर्यावरण तंत्र भी मजबूत होगा। 

वृहद पौधारोपण की योजना 

नमामि गंगे से जुड़े अधिकारियों के मुताबिक राज्य में 2016 से 2021 तक गंगा व उसकी सहायक नदियों के किनारे के 55 हजार हेक्टेयर क्षेत्र को संरक्षित करने के लिए वृहद पौधरोपण की योजना है। इसके लिए 886 करोड़ की राशि का प्रावधान किया गया है। इस परियोजना में पांच वर्ष की अवधि में 30 हजार हेक्टेयर क्षेत्र में पौधरोपण होना है। गंगा वाटिकाएं और इको पार्क बनाने की भी योजना है। 

जन जागरूकता जरूरी 

बड़कोट के रेंज अधिकारी केशर सिंह नेगी का कहना है कि प्लांटेशन के आसपास गंदगी न हो इसके लिए विभाग कई बार प्रयास कर चुका है। अभियान की सफलता के लिए जनजागरूकता और सहयोग भी जरूरी है। उनका कहना है कि प्लांटेशन के आसपास वन्य जीवों का मूवमेंट ज्यादा है। इसलिए छोटे पौधों के सुरक्षा के लिए कुछ झाडिय़ों का होना भी जरूरी है। घातक झाड़ी व गाजर घास का उन्मूलन किया जाएगा। उन्होंने बताया कि नमामि गंगे के तहत रानीपोखरी के पास जाखन नदी तट को भी प्लांटेशन के लिए चयनित किया गया है। 

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