Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    कहने को रामसर साइटस, सुविधाओं का अभाव; पढ़िए पूरी खबर

    By Sunil NegiEdited By:
    Updated: Tue, 30 Mar 2021 07:45 AM (IST)

    देश के पहले कंजरवेशन रिजर्व आसन वेटलैंड को उत्तराखंड के पहले रामसर साइटस का दर्जा मिलने पर विश्व के नक्शे पर अपेक्षित स्थान तो मिल गया लेकिन पर्यटन के नाम पर विकास का यहां पर अभाव है। जिससे पर्यटकों को भी अखरता है।

    Hero Image
    पर्यटन के नाम पर विकास का रामसर साइटस पर अभाव है।

    जागरण संवाददाता, विकासनगर। देश के पहले कंजरवेशन रिजर्व आसन वेटलैंड को उत्तराखंड के पहले रामसर साइटस का दर्जा मिलने पर विश्व के नक्शे पर अपेक्षित स्थान तो मिल गया, लेकिन पर्यटन के नाम पर विकास का यहां पर अभाव है। जिससे पर्यटकों को भी अखरता है। हालांकि जीएमवीएन के रिसोर्ट से पर्यटकों को बोटिंग का फायदा मिल रहा है, लेकिन जिस तरह से आसन नमभूमि क्षेत्र को विकसित किया जाना चाहिए था, वह नहीं हो पाया।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    विदेशी पक्षी का प्रवास, बोटिंग आदि के लिए प्रसिद्ध आसन बैराज को सजाने-संवारने की बातें तो बहुत हुई, लेकिन यह पर्यटक स्थल कभी विकास की योजनाओं में शामिल नहीं हो सका। देश का पहला संरक्षित नमभूमि होने का गौरव हासिल रखने वाले आसन नमभूमि के कायाकल्प के लिए उत्तराखंड की पहली निर्वाचित सरकार ने सौ करोड़ से ज्यादा की एक वृहद योजना तैयार की थी। 

    इस योजना में आसन नमभूमि को बड़े पैमाने पर विकसित करने के साथ-साथ झील के आसपास के गांवों को ईको-टूरिज्म के रूप में विकसित किया जाना था, लेकिन यह योजना धरातल पर नहीं उतर पायी। इस कदम की शुरूआत तत्कालीन पर्यटन मंत्री अमृता रावत ने आसन नमभूमि के इस जंबो प्रोजेक्ट का शिलान्यास करके की थी। 

    आसन नमभूमि को एक बड़े पर्यटन केंद्र के रूप में विकसित करने और आसपास के ग्रामीण इलाके के लोगों को ईको-टूरिज्म के माध्यम से रोजगार उपलब्ध कराने के उददेश्य से बनाई गई इस योजना को पहली सरकार का कार्यकाल समाप्त होते ही बंद कर दिया गया। तब से लेकर आज तक आसन नमभूमि के विकास की कोई योजना अमल में नहीं लाई गई। जबकि सर्दी के मौसम में बैराज की झील में आने वाले विदेशी परिंदों को देखने और यहां आमतौर पर होने वाली बोटिंग से आकर्षित होकर हजारों पर्यटक आते रहते हैं, लेकिन पर्यटकों के लिए आसन नमभूमि किनारे बैठकर सुकून से परिंदों को निहारने के लिए बैठने की सुविधा नहीं है। पीने के लिए पानी नहीं है। जबकि आसन नमभूमि किनारे इस तरह से विकसित किए जाने चाहिए थे, जिस पर पर्यटक व पक्षी प्रेमी को सहुलियत होती। सुविधाओं की कमी और बैराज क्षेत्र के विकसित नहीं होने के कारण पर्यटक निराश होकर ही यहां से लौटते हैं। 

    अब जबकि मौजूदा सरकार प्रदेश में नए पर्यटन केंद्र विकसित करने की दिशा में महत्वपूर्ण कार्य करने की बात कर रही है, ऐसे में आसन नमभूमि को विकसित करके न सिर्फ राष्ट्रीय स्तर की पहचान वाला पर्यटक केंद्र स्थापित किया जा सकता है, बल्कि बैराज क्षेत्र के ग्रामीणों को भी बडे पैमाने पर रोजगार का माध्यम भी बनाया जा सकता है। आसन नमभूमि के रामसर साइटस का दर्जा मिलने की वजह से अब विकास होना जरूरी भी है।

    Uttarakhand Flood Disaster: चमोली हादसे से संबंधित सभी सामग्री पढ़ने के लिए क्लिक करें

    comedy show banner
    comedy show banner