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जानिए क्या है दून में सील संपत्ति बेचने का मामला, आठ आरोपित अब भी पुलिस की गिरफ्त से दूर

पर्ल्स ग्रीन फोर्ट लिमिटेड (पीजीएफ) और पल्र्स एग्रोटेक कारपोरेशन लिमिटेड (पीएसीएल) की सील संपत्तियों को खुर्दबुर्द करने का मामला थाने में जाते ही ठंडा पड़ गया। उत्तराखंड की स्पेशल टास्क फोर्स (एसटीएफ) ने बीती छह जनवरी को इस मामले का पर्दाफाश करते हुए तीन आरोपितों को गिरफ्तार किया था।

By Raksha PanthriEdited By: Published: Sun, 16 Jan 2022 09:52 AM (IST)Updated: Sun, 16 Jan 2022 09:52 AM (IST)
जानिए क्या है दून में सील संपत्ति बेचने का मामला, आठ आरोपित अब भी पुलिस की गिरफ्त से दूर
जानिए क्या है दून में सील संपत्ति बेचने का मामला, आठ आरोपित अब भी पुलिस की गिरफ्त से दूर।

जागरण संवाददाता, देहरादून। देहरादून के विभिन्न इलाकों में पर्ल्स ग्रीन फोर्ट लिमिटेड (पीजीएफ) और पल्र्स एग्रोटेक कारपोरेशन लिमिटेड (पीएसीएल) की सील संपत्तियों को खुर्दबुर्द करने का मामला थाने में जाते ही ठंडा पड़ गया। उत्तराखंड की स्पेशल टास्क फोर्स (एसटीएफ) ने बीती छह जनवरी को इस मामले का पर्दाफाश करते हुए तीन आरोपितों को गिरफ्तार किया था। पूछताछ में पता चला कि आरोपितों के आठ साथी और हैं। इनके बारे में पुलिस अब तक कोई ठोस सुराग नहीं जुटा पाई है। हालांकि, पुलिस का दावा है कि आरोपितों की गिरफ्तारी के लिए दबिश दी जा रही है।

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पीजीएफ और पीएसीएल की कुछ संपत्तियां विवादित थीं। ऐसे में वर्ष 2015 में सीबीआइ की जांच के बाद सर्वोच्च न्यायालय के आदेश पर देशभर में पीजीएफ की 348 और पीएसीएल की 14000 संपत्तियों को सील कर दिया गया। देहरादून के विभिन्न इलाकों में भी पीजीएफ और पीएसीएल की सील संपत्तियां हैं। देहरादून में भाऊवाला, धोरणखास, तरला आमवाला, बड़ोवाला व मसूरी में सील 100 करोड़ से अधिक की संपत्तियों को डिफेंस कालोनी स्थित एसपीके वल्र्ड काम प्राइवेट लिमिटेड की निदेशक पूजा मलिक व संजीव मलिक और उनके साथियों ने उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश व हरियाणा के व्यक्तियों को बेच दिया।

इसके लिए गिरोह ने सर्वोच्च न्यायालय और भारतीय प्रतिभूति एवं विनियम बोर्ड (सेबी) के फर्जी दस्तावेज तैयार कर संपत्ति अपनी बताई। कई खरीदारों को रजिस्ट्रार विभाग के अधिकारियों और कर्मचारियों की मिलीभगत से भूमि की रजिस्ट्री भी करा दी। गिरोह के सरगना संजीव मलिक निवासी डिफेंस कालोनी देहरादून, शुभम निवासी केहरी गांव प्रेमनगर देहरादून और टिंकू निवासी भीमवाला अकबरपुर पथरी अमरोहा (उप्र) को एसटीएफ पंजाब के लुधियाना से गिरफ्तार कर चुकी है।

यह हैं फरार

संजीव मलिक की पत्नी पूजा मलिक निवासी डिफेंस कालोनी, जितेंद्र उर्फ जानी निवासी अमन विहार सहस्रधारा रोड, नरेंद्र कुमार निवासी मनी एन्क्लेव नेहरूग्राम, आयुष बिष्ट निवासी पुलिस कालोनी, विनय कुमार निवासी वाणी विहार, ये सभी देहरादून के रहने वाले हैं। रामकुमार, रियाज चौहान व मेहताब अली निवासीगण माधोपुर, रुड़की भी आरोपित हैं।

थानों के चक्कर काट रहे पीड़ित

इस गिरोह से जमीन लेकर गाढ़ी कमाई गंवा चुके कई पीड़ित सामने आए हैं। इनमें अनारवाला निवासी नरेंद्र कुमार, चुक्खूवाला निवासी यशवीर सिंह, कांवली निवासी हितेश अरोड़ा, विनय कुमार, नितिन गोयल और श्याम बिष्ट ने विभिन्न थानों में शिकायत देकर करोड़ों रुपये ठगे जाने की शिकायत की है।

नेहरू कालोनी पुलिस कर चुकी चूक

इस मामले में पहले ही नेहरू कालोनी थाना पुलिस चूक कर चुकी है। 15 दिसंबर 2021 को देहरादून के हितेश अरोड़ा ने पूजा मलिक और संजीव मलिक के विरुद्ध 60 लाख रुपये की धोखाधड़ी का आरोप लगाते हुए शिकायत की थी। तब नेहरू कालोनी थाना पुलिस ने इस मामले में मुकदमा तो दर्ज कर लिया, लेकिन कार्रवाई के नाम पर कुछ नहीं किया।

एसएसपी एसटीएफ अजय सिंह ने बताया कि सील संपत्तियों को बेचने के मामले में एसटीएफ मुख्य आरोपित सहित तीन को गिरफ्तार कर चुकी है। इस मामले में डालनवाला कोतवाली में मुकदमा दर्ज हो गया है। ऐसे में आगे की कार्रवाई डालनवाला कोतवाली पुलिस की ओर से की जानी है।

एसपी क्राइम विशाखा अशोक भड़ाने ने बताया कि फरार आरोपितों की तलाश में पुलिस दबिश दे रही है। सील संपत्तियों की रजिस्ट्री करने में सरकारी अधिकारियों व कर्मचारियों की भूमिका की जांच भी की जा रही है। जिसकी भी संलिप्तता सामने आएगी, उसके खिलाफ कार्रवाई होगी।

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