जानें- उत्तराखंड की राजनीति के अजेय विधायक कपूर के बारे में, लगातार आठ बार मिली जीत; पहली बार 1985 में थे हारे
Harbans Kapoor Passes Away वरिष्ठ विधायक हरबंस कपूर (Harbans Kapoor) के यूं अचानक दुनिया को अलविदा कह जाने से हर कोई शोक में है। उनका राजनीतिक अनुभव किसी से छुपा हुआ नहीं है। लगातार आठ बार जनता ने उन्हें कैंट क्षेत्र की बागडोर सौंपी।

जागरण संवाददाता, देहरादून। Harbans Kapoor Passes Away भाजपा के वरिष्ठ विधायक हरबंस कपूर (Harbans Kapoor) के यूं अचानक दुनिया को अलविदा कह जाने से हर कोई शोक में है। उनका राजनीतिक अनुभव किसी से छुपा हुआ नहीं है। लगातार आठ बार जनता ने उन्हें कैंट क्षेत्र की बागडोर सौंपी। विधायक हरबंस कपूर का सियासी व्यवहार और कुशलता उन्हें दूसरों से काफी अलग बनाती थी। सियासत की लंबी पारी की वजह से उनसे हर कोई उन्हें अच्छी तरह से जानता था। इस बात से ही उनकी शख्सियत का अंदाजा लगाया जा सकता है।
एक पंजाबी हिंदू परिवार में हुआ था जन्म
हरबंस कपूर का जन्म 1946 में उत्तर-पश्चिम सीमांत प्रांत में एक पंजाबी हिंदू परिवार में हुआ था। उनका परिवार भारत विभाजन के बाद देहरादून में बस गया। हरबंस कपूर की प्रारंभिक शिक्षा शिक्षा सेंट जोसेफ अकादमी (देहरादून) में हुई। इसके बाद उन्होंने यहीं डीएवी पीजी कालेज से कानून में स्नातक किया था।
जानिए हरबंस कपूर का राजनीतिक करियर
हरबंस कपूर ने जमीनी स्तर के राजनेता के रूप में शुरुआत की। उन्हें 1985 में पहली हार मिली थी, जिसके बाद से ही वे कभी भी विधानसभा चुनाव नहीं हारे। 1989 में देहरादून निर्वाचन क्षेत्र से 10वीं उत्तर प्रदेश विधानसभा के सदस्य के रूप में उत्तर प्रदेश विधानसभा में शामिल हुए, उसके बाद 11वीं विधानसभा, 12वीं विधानसभा और 13वीं विधानसभा में शामिल हुए।
इतना ही नहीं उन्होंने 200 में अलग उत्तराखंड राज्य बनने के बाद उत्तराखंड में 2002 में हुए पहले विधानसभा चुनाव में भी अपनी जीत को बनाए रखा। इसके साथ ही स्थापना के बाद सभी चुनावों में अपनी जीत का सिलसिला बरकरार रखा। साल 2007 में उन्हें सर्वसम्मति से उत्तराखंड विधानसभा का अध्यक्ष भी चुना गया। वह उत्तराखंड बीजेपी के सबसे पुराने नेताओं में से एक हैं।
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