किसाऊ प्रोजेक्ट में हिमाचल के रवैये से पेच, ऋण लेने पर राजी नहीं हुआ पड़ोसी प्रदेश
660 मेगावाट की किसाऊ जलविद्युत परियोजना के निर्माण को लेकर हिमाचल प्रदेश के वित्तीय हिस्सेदारी से इनकार के कारण बाधा उत्पन्न हो रही है। केंद्र सरकार की मध्यस्थता के बावजूद हिमाचल सरकार ने वित्तीय सहायता में रुचि नहीं दिखाई है जिससे परियोजना के भविष्य पर संदेह बना हुआ है। इस परियोजना से छह राज्य जुड़े हैं और अतिरिक्त लागत को लेकर सहमति नहीं बन पा रही है।

राज्य ब्यूरो, जागरण, देहरादून। 660 मेगावाट की किसाऊ जलविद्युत परियोजना के निर्माण की राह में अड़ंगा गुरुवार को भी दूर नहीं हो सका। केंद्र सरकार की मध्यस्थता में नई दिल्ली में हुई बैठक में हिमाचल प्रदेश सरकार ने एक बार फिर परियोजना के निर्माण में वित्तीय हिस्सेदारी से इन्कार कर दिया।
साथ में केंद्र सरकार के 50 वर्ष के लिए ब्याजमुक्त ऋण में भी साझीदारी बनने में रुचि नहीं दिखाई है। इस अड़ंगे के कारण परियोजना के भविष्य और निर्माण पर संशय की तलवार लटकी हुई है।
इस परियोजना से उत्तराखंड, हिमाचल समेत कुल छह प्रदेश जुड़े हैं। अन्य चार प्रदेशों में उत्तर प्रदेश, हरियाणा, राजस्थान एवं दिल्ली सम्मिलित हैं। जलविद्युत परियोजना पर अतिरिक्त खर्च लगभग 800 करोड़ आना है। केंद्र सरकार इस राशि में सभी प्रदेशों की हिस्सेदारी चाहती है।
अतिरिक्त खर्च में भागीदारी से बच रहा पड़ोसी प्रदेश
हिमाचल सरकार इस अतिरिक्त खर्च में भागीदारी से बच रही है। हिमाचल पावर सरप्लस प्रदेश है, साथ में प्रदेश को वित्तीय संकट से जूझना पड़ रहा है। राज्य की इस स्थिति को देखते हुए केंद्र सरकार ने इस परियोजना के लिए 50 वर्ष की अवधि के लिए ब्याजमुक्त ऋण देने का प्रस्ताव हिमाचल को दिया, लेकिन राज्य ने कदम पीछे खींचे रखे हैं।
केंद्र सरकार प्रयास कर रही है कि यह परियोजना शीघ्र धरातल पर उतर जाए, इसे ध्यान में रखते हुए केंद्र सरकार के कैबिनेट सचिव समन्वय ने सभी संबंधित प्रदेशों से वरिष्ठ अधिकारियों को नई दिल्ली बुलाया। बैठक में उत्तराखंड से ऊर्जा प्रमुख सचिव आर मीनाक्षी सुंदरम एवं उत्तराखंड जलविद्युत निगम के प्रबंध निदेशक संदीप सिंघल सम्मिलित हुए।
बताया गया कि बैठक में हिमाचल ने केंद्र सरकार ने अतिरिक्त लागत 800 करोड़ का खर्च केंद्र सरकार से उठाने की पैरवी की। निगम के प्रबंध निदेशक संदीप सिंघल ने कहा कि पूरी लागत केंद्र के स्तर पर वहन करने की स्थिति में हिमाचल को बिजली लेने से इन्कार करना चाहिए, लेकिन ऐसा नहीं हो रहा है।
ऊर्जा प्रमुख सचिव आर मीनाक्षी सुंदरम ने कहा कि जलविद्युत परियोजना को लेकर सहमति नहीं बन पाई है। बैठक में राज्य ने अपना पक्ष विस्तार से रखा है।
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