King Cobra: 2400 मीटर की ऊंचाई तक पहुंचा किंग कोबरा, संरक्षण की दिशा में उठाए जा रहे कदम
King Cobra उत्तराखंड की वादियां किंग कोबरा को खूब भा रही हैं। इस सबको देखते हुए किंग कोबरा के संरक्षण की दिशा में कदम उठाए जा रहे हैं।
By Edited By: Published: Sat, 08 Aug 2020 09:41 PM (IST)Updated: Sun, 09 Aug 2020 09:39 AM (IST)
देहरादून, राज्य ब्यूरो। King Cobra नागराज यानी किंग कोबरा को उत्तराखंड की वादियां खूब भा रही हैं। अमूमन कॉर्बेट और राजाजी टाइगर रिजर्व, तराई पूर्वी समेत मैदानी इलाकों और 1000 मीटर से नीचे के क्षेत्रों में इनका बसेरा है, लेकिन ये शिखरों पर भी दिखाई देने लगे हैं। दो साल पहले 2400 मीटर की ऊंचाई पर मुक्तेश्वर में इसकी साइटिंग हुई थी, जो कि एक रिकॉर्ड है। अब दुनिया के सर्वाधिक जहरीले सांपों में शुमार किंग कोबरा के नैनीताल में दो घोंसले मिले हैं। इससे पहले मसूरी, अल्मोड़ा और मुनस्यारी में भी यह नजर आ चुका है। इस सबको देखते हुए किंग कोबरा के संरक्षण की दिशा में कदम उठाए जा रहे हैं।
अनुसंधान सलाहकार समिति (आरएसी) से मंजूरी मिलने के बाद वन विभाग की अनुसंधान शाखा इसके अध्ययन में जुट गई है। भारत में किंग कोबरा का मूल क्षेत्र पश्चिमी और पूर्वी घाट के साथ ही पूर्वाेत्तर क्षेत्र है। उत्तराखंड के परिप्रेक्ष्य में देखें तो ये माना जाता था कि मैदानी इलाकों के जंगल ही किंग कोबरा का मुख्य वासस्थल हैं। अलबत्ता, पिछले चार-पांच सालों में यह चोटियों तक पहुंचा है। मुख्य वन संरक्षक (अनुसंधान वृत्त) संजीव चतुर्वेदी बताते हैं कि 2018 में किंग कोबरा 2400 मीटर की ऊंचाई पर मुक्तेश्वर में दिखा था। यह विश्व में सर्वाधिक ऊंचाई है, जहां किंग कोबरा की साइटिंग हुई। इससे पहले मसूरी क्षेत्र में भी 2160 मीटर की ऊंचाई पर यह सांप दिखा था।
आइएफएस चतुर्वेदी बताते हैं कि हाल में नैनीताल क्षेत्र में किंग कोबरा के दो घोंसले नजर आए हैं। वह बताते हैं कि सांपों की यह अकेली प्रजाति है, जो अंडे देने को घोंसला बनाती है और मादा छह से आठ हफ्ते तक अंडों की रक्षा करती है। अंडों से बच्चे निकलने के बाद यह उन्हें छोड़कर चली जाती है। चतुर्वेदी के अनुसार प्रारंभिक अध्ययन के बाद अब तीन चरणों में शोध किया जाएगा। आरएसी से इसकी मंजूरी मिल चुकी है। इसके तहत किंग कोबरा की कहां-कहां और किस तरह के क्षेत्र में मौजूदगी है। इसके वासस्थलों को कहीं कोई खतरा तो नहीं। यह घोसला कैसे बनाते हैं। कहीं, इसके अस्तित्व के लिए कोई खतरा तो नहीं है।
इन बिंदुओं पर अध्ययन के पश्चात इनके संरक्षण को कदम उठाए जाएंगे। साथ ही जनसामान्य को भी इसके संरक्षण के लिए जागरूक किया जाएगा। किंग कोबरा के काटने का कोई मामला नहीं अनुसंधान वृत्त में किंग कोबरा पर अध्ययन कर रहे कनिष्ठ वैज्ञानिक सहायक ज्योति प्रकाश जोशी के मुताबिक किंग कोबरा सांपों की दूसरी प्रजातियों को खाता है। यानी यह दूसरे जहरीले सांपों की संख्या को नियंत्रित करता है। यही नहीं, राज्य में अब तक किंग कोबरा के मनुष्य को काटने का कोई मामला नहीं आया है।
Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें