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    Kedarnath Yatra: शीतकालीन गद्दीस्थल में विराजमान हुए बाबा केदार, अगले छह माह यही होगी पूजा

    By Raksha PanthriEdited By:
    Updated: Mon, 08 Nov 2021 02:50 PM (IST)

    भगवान केदार की उत्सव डोली अपनी शीतकालीन गद्दी ओंकारेश्वर मंदिर ऊखीमठ में विराजमान हो गई है। अब आने वाले छह महीने तक यहीं पर भोले बाबा की नित्य पूजाएं संपन्न होंगी। भक्ति यहीं पर केदार बाबा के दर्शन कर सकते हैं।

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    Kedarnath Yatra: शीतकालीन गद्दीस्थल में विराजमान हुए बाबा केदार।

    संवाद सहयोगी, रुद्रप्रयाग। Kedarnath Yatra 2021 दो पड़ावों पर रात्रि विश्राम करने के बाद सोमवार को बाबा केदार शीतकालीन गद्दीस्थल ओंकारेश्वर मंदिर ऊखीमठ में विराजमान हो गए। इससे पहले ओंकारेश्वर मंदिर पहुंचने पर बाबा की चल विग्रह उत्सव डोली का सैकड़ों भक्तों ने फूल माला व अक्षत से जोरदार स्वागत किया।

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    भैयादूज पर्व पर छह नवंबर को केदारनाथ धाम के कपाट बंद होने के बाद बाबा की चल विग्रह उत्सव डोली रात्रि विश्राम के लिए रामपुर पहुंची थी। सात नवंबर को डोली विभिन्न स्थानों पर दर्शन देने के बाद अपने दूसरे पड़ाव विश्वनाथ मंदिर गुप्तकाशी पहुंची। वहां सोमवार सुबह ठीक आठ बजे मुख्य पुजारी बागेश लिंग ने विशेष पूजा अर्चना के बाद बाबा की पंचमुखी भोगमूर्ति को भोग लगाया। इस दौरान आसपास के गांवों से पहुंचे भक्तों ने बाबा के दर्शन किए।

    जैसे ही डोली ऊखीमठ के लिए रवाना हुई, भक्तों के जयघोष और मराठा रेजीमेंट की बैंड धुनों से वातावरण भक्तिमय हो गया। उत्सव डोली भैंसारी व विद्यापीठ होते हुए 10.45 बजे जैबीरी पहुंची। यहां स्थानीय लोगों ने बाबा को अर्घ्‍य लगाया। देवदर्शनी पहुंचने पर भक्तों ने फूल मालाओं से डोली को जोरदार स्वागत किया। ठीक 12.30 बजे डोली ओंकारेश्वर मंदिर परिसर पहुंची। मुख्य मंदिर की परिक्रमा करने के बाद डोली को गद्दीस्थल ले जाया गया। यहां केदारनाथ के रावल भीमाशंकर लिंग के प्रतिनिधि केदार लिंग की मौजूदगी में मंदिर के पुजारी शिवशंकर लिंग ने भोगमूर्ति को डोली से उतारकर मंदिर के गर्भगृह में स्थापित किया।

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    इस मौके पर केदारनाथ के पुजारी बागेश लिंग, पुजारी गंगाधर लिंग, डोली प्रभारी अरविंद शुक्ला, पूर्व विधायक आशा नौटियाल, नगर पंचायत अध्यक्ष विजय राणा, दिनेश बगवाड़ी, देवस्थानम बोर्ड के वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी राजकुमार नौटियाल, प्रभारी अधिकारी युद्धवीर पुष्पाण आदि मौजूद रहे।

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