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केदारनाथ बनेगा स्मार्ट धार्मिक पर्यटन स्थल

केदारनाथ को स्मार्ट धार्मिक पर्यटन स्थल के तौर पर विकसित किया जा रहा है। गौरीकुंड से केदारनाथ तक रोपवे निर्माण किया जा रहा है।

By Sunil NegiEdited By: Published: Sun, 11 Mar 2018 10:44 AM (IST)Updated: Thu, 15 Mar 2018 11:12 AM (IST)
केदारनाथ बनेगा स्मार्ट धार्मिक पर्यटन स्थल

देहरादून, [जेएनएन]: केदारनाथ को स्मार्ट धार्मिक पर्यटन स्थल के तौर पर विकसित किया जा रहा है। गौरीकुंड से केदारनाथ तक रोपवे निर्माण के साथ ही यहां बिजली की लाइनें भूमिगत की जाएंगी और संचार नेटवर्क को बेहतर किया जा रहा है। केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्री डॉ. हर्षवर्धन ने कहा कि केदारनाथ पुनर्निर्माण प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ड्रीम प्रोजेक्ट में शामिल है।

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शनिवार को देहरादून में एक कार्यक्रम में शिरकत करने पहुंचे डॉ. हर्षवर्धन ने पत्रकारों से बातचीत में कहा कि केदारनाथ में पुनर्निर्माण कार्य सीधे प्रधानमंत्री की देखरेख में चल रहे हैं। इन कार्यों में पर्यावरण सुरक्षा का विशेष ध्यान रखा जा रहा है। चार धाम के लिए बन रही ऑल वेदर रोड निर्माण में पर्यावरण मानकों की अनदेखी को लेकर नेशनल ग्रीन ट्रिब्यिूनल के सवाल पर उन्होंने कहा कि 900 किलोमीटर लंबा यह मार्ग केंद्र सरकार की प्राथमिकताओं में शुमार है। उन्होंने कहा कि केंद्र पर्यावरण सुरक्षा और विकास के बीच संतुलन बनाकर कार्य कर रहा है। उन्होंने कहा कि ऑल वेदर रोड के तहत सड़क  कटिंग का मलबा नदी में डालने की जानकारी नहीं है। इस बारे में राज्य सरकार से जानकारी ली जाएगी। उन्होंने कहा कि सड़क निर्माण में पर्यावरण मानकों का पूरा पालन किया जाएगा। हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि सड़क निर्माण के लिए काटे जा रहे वृक्षों को लेकर ज्यादा चिंता करने की आवश्यकता नहीं है, वजह यह कि भारत वन क्षेत्र बढ़ाने के मामले में दुनिया में आठवें स्थान पर है। कहा कि विश्व में ग्लोबल वार्मिंग के प्रतिकूल प्रभाव एवं जलवायु परिवर्तन चिंता का विषय बना हुआ है, लेकिन भारत जैसे विकासशील देश में वन क्षेत्र बढऩा केंद्र वन सुरक्षा नीति का ही परिणाम है।

भागीरथी इको सेंसटिव जोन में रोपवे बनाने पर विचार

देश के वन महानिदेशक सिद्धांत दास ने कहा कि उत्तरकाशी जिले में करीब सौ किलोमीटर के दायरे में फैले भागीरथी इको सेंसटिव जोन के लिए मास्टर प्लान तैयार किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि मास्टर प्लान का उद्देश्य यह है कि निर्माण कार्यों के दौरान यहां के पर्यावरण पर प्रतिकूल प्रभाव न पड़े। मास्टर प्लान को तैयार करने के लिए वन एवं पर्यावरण मंत्रालय, परिवहन मंत्रालय सहित विभिन्न विभागों के  विशेषज्ञ मदद कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि विचार किया जा रहा है कि इस क्षेत्र में सड़कों की बजाए रोपवे निर्माण पर फोकस किया जाए। 

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