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    Jyotirlinga Temple: 12 ज्‍योतिर्लिंग में शामिल है केदारनाथ मंदिर, यहां पांडवों को मिला था भगवान शिव का आशीर्वाद

    By Sunil NegiEdited By:
    Updated: Sat, 09 Jul 2022 05:22 PM (IST)

    Famous 12 jyotirlinga केदारनाथ मंदिर उत्तराखंड राज्य के रुद्रप्रयाग जिले में स्थित है। यह मंदिर कत्यूरी शैली में पत्‍थरों से बना है। इसके बारे में कहा जाता है कि इस मंदिर का निर्माण पांडव वंश के जनमेजय ने कराया था।

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    केदारनाथ मंदिर देश के 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक है।

    जागरण संवाददाता, देहरादून। केदारनाथ मंदिर देश के 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक है। ऐसी मान्‍यता है कि यहां पांडवों को भगवान शिव का आशीर्वाद मिला था। इसके बाद पांडवों को भ्रातृहत्या के पाप से मुक्ति मिल गई थी। आइए आपको केदारनाथ मंदिर से जुड़ी रोचक बातें बतातें हैं।

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    केदारनाथ मंदिर उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग जनपद जिले में स्थित है। यह समुद्रतल से 3593 फीट की ऊंचाई पर बना हुआ एक भव्य एवं विशाल मंदिर है। केदारनाथ द्वादश (12वां) ज्योतिर्लिंग है।

    यह केदारनाथ धाम की कथा

    केदारनाथ देश के 12 ज्योतिर्लिंगों में शामिल है। कथा के अनुसार महाभारत के युद्ध के बाद पांडव भ्रातृहत्या के पाप से मुक्ति पाना चाहते थे। इसलिए भगवान श्रीकृष्ण ने पांडवों को महादेव का आशीर्वाद लेने की सलाह दी इसके लिए पांडव भगवान शिव की नगरी काशी पहुंचे।

    केदारनाथ में शिव ने धारण किया बैल का रूप

    भगवान शिव पांडवों को दर्शन नहीं देना चाहते थे, इसलिए वह हिमालय में गुप्तकाशी में छिप गए। पांडव यह जान चुके थे, इसलिए भगवान पांडव के गुप्तकाशी पहुंचने से पहले ही केदारनाथ पहुंच गए। यहां बैल का रूप धारण कर वह अन्य पशुओं में शामिल हो गए।

    शिव रूपी बैल भीम के पैरों के नीचे से नहीं गुजरे

    पांडवों को संदेह हुआ तो भीम ने अपना विशाल रूप धारण कर दो पहाड़ों पर अपने पैर फैला दिए। पैर के नीचे से अन्य सब गाय-बैल तो निकल गए, पर भगवान शिव रूपी बैल पैरों के नीचे से नहीं गए।

    भोलेनाथ ने दर्शन देकर पांडव को किया पाप मुक्त

    इस पर भीम बैल पर झपटे तो बैल भूमि में अंतर्ध्‍यान होने लगा। तब भीम ने बैल की त्रिकोणात्मक पीठ का भाग पकड़ लिया। भोलेनाथ पांडवों की भक्ति और दृढ़ संकल्प से प्रसन्न हुए और दर्शन देकर उन्हें पाप मुक्त कर दिया।

    तभी से भगवान बैल की पीठ की आकृति-पिंड के रूप में केदारनाथ में पूजे जाते हैं। अंतर्ध्‍यान होते समय भगवान के धड़ से ऊपर का हिस्सा काठमांडू में प्रकट हुआ। वहां वह पशुपतिनाथ कहलाए।

    ये हैं  दिव्य 12 ज्योतिर्लिंग

    • 1. सोमनाथ ज्योतिर्लिंग : सोमनाथ ज्योतिर्लिंग गुजरात के सौराष्ट्र क्षेत्र में स्थित है। यहां एक पवित्र कुंड है, जिसे सोमकुंड कहते हैं।
    • 2. मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग: आंध्र प्रदेश में कृष्णा नदी के तट पर श्रीशैल नाम के पर्वत पर स्थित है।
    • 3. महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग : महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग मध्य प्रदेश के उज्जैन में स्थित है। ये एकमात्र दक्षिणमुखी ज्योतिर्लिंग है।
    • 4. ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग: ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग मध्य प्रदेश के मालवा क्षेत्र इंदौर शहर के पास यह स्थित है। यहां मंदिर के पास से नर्मदा नदी बहती है।
    • 5. केदारनाथ ज्योतिर्लिंग: केदारनाथ ज्योतिर्लिंग उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग जनपद में केदार घाटी में स्थित है।
    • 6. भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग: भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग महाराष्ट्र के पूणे जिले में सह्याद्रि नामक पर्वत की दो पहाड़ियों के बीच स्थित है।
    • 7. काशी विश्वनाथ ज्योतिर्लिंग: काशी विश्वनाथ ज्योतिर्लिंग उत्तर प्रदेश के वाराणासी में गंगा नदी पास स्थित है।
    • 8. नागेश्वर ज्योतिर्लिंग: नागेश्वर ज्योतिर्लिंग गुजरात के बड़ौदा क्षेत्र में गोमती द्वारका के पास स्थित है।
    • 9. रामेश्वरम ज्योतिर्लिंग : रामेश्‍वरम ज्योतिर्लिंग तमिलनाडु के रामनाथम के पास स्थित है। मान्‍यता है इसकी स्थापना स्वयं भगवान श्रीराम ने की थी।
    • 10. त्र्यंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग : त्र्यंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग महाराष्ट्र के नासिक जिले में स्थित है।
    • 11 वैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग: यह ज्योतिर्लिंग झारखंड राज्‍य के संथाल परगना में जसीडीह रेलवे स्टेशन केपास स्थित है।
    • 12. घुश्मेश्वर ज्योतिर्लिंग : घुश्मेश्वर ज्योतिर्लिंग महाराष्ट्र के संभाजीनगर के समीप दौलताबाद के पास स्थित है।