VIDEO: कार्तिक पूर्णिमा पर लाखों श्रद्धालुओं ने लगाई आस्था की डुबकी, तस्वीरों में देखें उत्साह; जानें क्या है मान्यता
Kartik Purnima 2021 धर्मनगरी हरिद्वार में श्रद्धालु गंगा घाटों पर आस्था की डुबकी लगा रहे हैं। खास बात है कि कोरोनाकाल के बाद पहली बार श्रद्धालु बिना रोकटोक के लिए स्नान कर पा रहे हैं। उनमें बेहद उत्साह देखने को मिल रहा है।

जागरण संवाददाता, हरिद्वार। Kartik Purnima 2021 सभी तरह के कोविड प्रतिबंध हटने के बाद कार्तिक पूर्णिमा स्नान पर्व पर हरिद्वार में श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ी। एक ओर जहां गंगा तट गंगा मैया के जयघोष से गुंजायमान रहे, वहीं मठ-मंदिरों में पूरे दिन घंटे-घड़ियाल बजते रहे। भोर से शुरू हुए पावन स्नान में शाम तक लाखों की संख्या में श्रद्धालुओं ने गंगा में पुण्य की डुबकी लगाई। श्रद्धालुओं ने गंगा स्नान कर सूर्य देव को अर्घ्य देकर सुख-शांति और समृद्धि की कामना की।
कार्तिक पूर्णिमा पर धर्मनगरी हरिद्वार में हर की पैड़ी पर स्नान के लिए श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ पड़ी। कोरोना के बाद पहली बार श्रद्धालु किसी स्नान पर्व पर बिना रोकटोक स्नान कर रहे हैं। सुबह से ही श्रद्धालु मां गंगा में आस्था की डुबकी लगा रहे।@MygovU #KartikPurnima #DevDiwali pic.twitter.com/He0hYOhF62
— Amit Singh (@Join_AmitSingh) November 19, 2021
गंगाद्वार हरिद्वार की हृदयस्थली हरकी पैड़ी समेत अन्य गंगाघाटों पर श्रद्धालुओं के आने का सिलसिला गुरुवार रात से ही शुरू हो गया था। कार्तिक पूर्णिमा पर स्नान के लिए सुबह सबसे ज्यादा भीड़ हरकी पैड़ी के पौराणिक स्थल ब्रह्मकुंड पर दिखी। नजारा ऐसा था कि जितने श्रद्धालु आस्था की डुबकी लगाकर लौट रहे थे, उससे अधिक श्रद्धालु गंगा तटों की ओर रुख करते नजर आ रहे थे। स्नान के बाद गंगातटों पर ही श्री हरि विष्णु-भगवान की पूजा-अर्चना भी की गई। स्नान का सिलसिला पूरे दिन चलता रहा। शाम को इसमें थोड़ी कमी दिखी। कार्तिक पूर्णिमा स्नान के लिए देश के विभिन्न राज्यों से आए श्रद्धालुओं की आमद भी ज्यादा रही। इनमें हरियाणा, दिल्ली, पंजाब, राजस्थान, मध्यप्रदेश, बिहार, बिजनौर समेत अन्य प्रांतों के श्रद्धालुओं ने भी कार्तिक पूर्णिमा स्नान का पुण्य हासिल किया। वर्ष का अंतिम स्नान होने के चलते भी आस्था की डुबकी लगाने बड़ी संख्या में श्रद्धालु हरिद्वार पहुंचे।.jpg)
कहा जाता है इन पांच दिनों तक व्रत रखकर गंगा स्नान करना चाहिए। ज्योतिषाचार्य पंडित शक्तिधर शर्मा शास्त्री बताते हैं कि पुराणों में भी कहा गया है कि जो व्यक्ति पूरे साल भर गंगा स्नान नही कर पाता है, वह कार्तिक की पूर्णिमा के केवल एक दिन भी गंगा में स्नान कर ले तो उसे उसे पूरे साल भर के गंगा स्नान के बराबर पुण्य फल प्राप्त होता है।
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सुरक्षा व्यवस्था रही चाक चौबंद
कार्तिक पूर्णिमा स्नान के चलते पुलिस प्रशासन की ओर से सुरक्षा व्यवस्था के कड़े इंतजाम किए गए थे। हरकी पैड़ी समेत अन्य स्नान घाटों पर अतिरिक्त पुलिस बल और जल पुलिस तैनात की गई थी। पुलिस-प्रशासन के अधिकारी सुरक्षा व्यवस्था का जायजा लेते रहे। देर शाम तक कोई बड़ी घटना प्रकाश में नहीं आई है। एसएसपी डा. योगेंद्र सिंह रावत, एसपी सिटी कमलेश उपाध्याय और उनकी टीम ने सुबह व दोपहर के साथ ही शाम के समय गंगा आरती के वक्त हरकी पैड़ी सहित अन्य स्थानों का निरीक्षण भी किया।
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मोती बाजार-अपर रोड पर रही सबसे अधिक भीड़
कार्तिक पूर्णिमा स्नान पर धर्मनगरी में रेलवे रोड और अपर रोड पर श्रद्धालुओं की जबरदस्त भीड़ रही। पोस्ट आफिस कोतवाली के आगे सड़क पर इतनी अधिक भीड़ थी कि दूर-दूर तक बस लोग ही लोग दिखाई पड़ रहे थे। श्रद्धालु सिर पर सामान और गोद में बच्चों लिए हरकी पैड़ी की ओर बढ़ रहे थे। सड़क संकरी होने के चलते आने-जाने वाले श्रद्धालुओं को परेशानी का सामना करना पड़ा।
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आटो-रिक्शा, ढाबों की रही चांदी
श्रद्धालुओं की भीड़ के चलते आटो रिक्शा वालों की चांदी रही। बस अड्डा और रेलवे स्टेशन से कोतवाली तक सवारियों को छोडऩे के एवज में आटो चालकों ने मनमाना किराया वसूला। हालांकि हाईवे पर आटो का संचालन पंतद्वीप पार्किंग से ऋषिकेश-रायवाला आदि के लिए किया गया था। इसी तरह बस स्टैंड, रेलवे स्टेशन, ऋषिकुल व अन्य जगह बने स्थायी-अस्थायी ढाबे वालों ने भी अच्छी कमाई की।
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सभी गंगा घाट श्रद्धालुओं से भरे रहे
उत्तराखंड से सभी तरह के कोविड प्रतिबंध हटने से शुक्रवार को धर्मनगरी के सभी गंगा घाट श्रद्धालुओं से भरे रहे और घाटों पर कर्मकांड होते नजर आए। कोविड काल वर्ष 2020 के बाद यह पहला मौका था, जब किसी स्नान पर्व पर हरिद्वार में इस तरह से श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ी। स्नान पर्व के चलते पुलिस प्रशासन की ओर से सुरक्षा व्यवस्था के पुख्ता इंतजाम किए गए थे। पुलिस के जवान श्रद्धालुओं को मास्क और शारीरिक दूरी के नियम के पालन को सचेत करते रहे। साथ ही मास्क का वितरण भी कराया जाता रहा।

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