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    ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेल परियोजना पूरी तरह सुरक्षित

    By JagranEdited By:
    Updated: Tue, 09 Feb 2021 07:59 PM (IST)

    चमोली जनपद की नीती घाटी में ग्लेशियर फटने से आई आपदा से ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेल परियोजना को कोई नुकसान नहीं पहुंचा है। अलकनंदा व गंगा नदी घाटी में निर्माणाधीन रेल परियोजना के रेल व रोड पुल भी पूरी तरह से सुरक्षित हैं।

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    ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेल परियोजना पूरी तरह सुरक्षित

    जागरण संवाददाता, ऋषिकेश : चमोली जनपद की नीती घाटी में ग्लेशियर फटने से आई आपदा से ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेल परियोजना को कोई नुकसान नहीं पहुंचा है। अलकनंदा व गंगा नदी घाटी में निर्माणाधीन रेल परियोजना के रेल व रोड पुल भी पूरी तरह से सुरक्षित हैं।

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    ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेल परियोजना पर अलग-अलग पैकेज में तेजी से काम चल रहा है। 126 किमी इस रेल परियोजना में गंगा तथा अलकनंदा नदी के ऊपर भी रेल व रोड पुल का निर्माण किया जा रहा है। रविवार को ग्लेशियर फटने से आई आपदा से नीती घाटी में व्यापक जन-धन की हानि हुई है। ऋषि गंगा और धौलीगंगा का उफान अलकनंदा में और भी विकराल बन गया था। हालांकि श्रीनगर तक आने तक इसका असर कम हो गया। राहत की खबर यह है कि ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेल परियोजना पर इसका कोई असर नहीं पड़ा है।

    रेल विकास निगम के वरिष्ठ परियोजना प्रबंधक ओमप्रकाश मालगुड़ी ने बताया कि कर्णप्रयाग रेल परियोजना के पांच पुल अलकनंदा व गंगा नदी पर बनने हैं। जिनमें अलकनंदा पर चार तथा गंगा नदी पर एक पुल शामिल है। ग्लेशियर फटने से आई जल प्रलय से इनमें से किसी भी निर्माणाधीन पुल व कार्यस्थल को कोई नुकसान नहीं पहुंचा है।

    उन्होंने बताया कि कालेश्वर में अलकनंदा नदी पर रेल परियोजना का 17ए नंबर रोड ब्रिज निर्माणाधीन है। जिसका 55 प्रतिशत काम पूरा हो चुका है। इस पुल को कोई नुकसान नहीं पहुंचा है। जबकि यहां पर काम कर रही कंपनी दिलीप बिल्डकॉन का एक निजी पुल जरूर बहा है, जिसे कंपनी ने अपनी जरूरत का सामान दूसरे छोर पर पहुंचाने के लिए तैयार किया था। इसके अलावा गौचर से रानो को जोड़ने के लिए अलकनंदा नदी पर ही 16 नंबर पुल निर्माणाधीन है। जिसका 75 प्रतिशत काम पूरा हो चुका है। इस पुल को भी कोई नुकसान नहीं पहुंचा है। इसी तरह चौरास को श्रीनगर से जोड़ने के लिए नैथाना (रानीहाट) में निर्माणाधीन रेल पुल व रोड पुल तथा श्रीनगर से नीचे लछमोली को जनासू से जोड़ने के लिए निर्माणधीन पुलों को कोई नुकसान नहीं पहुंचा है। इसके अतिरिक्त देवप्रयाग से नीचे गंगा नदी पर बागेश्वर (पंतगांव) से जनासू को जोड़ने के लिए भी पुल निर्माणाधीन है, इस पर भी पानी के बहाव का कोई असर नहीं पड़ा है।