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Joshimath Sinking: आपदा प्रबंधन सचिव डा रंजीत कुमार सिन्हा बोले- 'जोशीमठ कहीं नहीं जा रहा, सरकार करेगी उपचार'

Joshimath Sinking जोशीमठ में भूधंसाव की समस्या 1976 से चली आ रही है। वर्तमान में यह बढ़ी है। विज्ञानियों ने माना है कि भूधंसाव का समाधान हो जाएगा और उनकी रिपोर्ट के आधार पर जोशीमठ के उपचार के लिए प्रभावी ढंग से कदम उठाए जाएंगे।

By Jagran NewsEdited By: Nirmala BohraPublished: Sat, 28 Jan 2023 09:02 AM (IST)Updated: Sat, 28 Jan 2023 09:02 AM (IST)
Joshimath Sinking: आपदा प्रबंधन सचिव डा रंजीत कुमार सिन्हा

राज्य ब्यूरो, देहरादून: Joshimath Sinking: जोशीमठ में भूधंसाव की समस्या 1976 से चली आ रही है। वर्तमान में यह बढ़ी है। विज्ञानियों की टीम समस्या के कारणों की तह तक जाने को अध्ययन में जुटी हैं। प्रारंभिक तौर पर विज्ञानियों ने माना है कि भूधंसाव का समाधान हो जाएगा और उनकी रिपोर्ट के आधार पर जोशीमठ के उपचार के लिए प्रभावी ढंग से कदम उठाए जाएंगे।

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आपदा प्रबंधन सचिव डा रंजीत कुमार सिन्हा ने शुक्रवार को जोशीमठ में चल रहे राहत व जांच कार्यों की ब्रीफिंग के दौरान मीडिया में आई खबरों का उल्लेख करते हुए ये बातें कही। मीडिया में यह बात कही जा रही थी कि जोशीमठ के प्रभावित क्षेत्र में पड़ी दरारें 50 मीटर तक गहरी हैं, जिससे क्षेत्र धंस सकता है। डा सिन्हा ने कहा कि जोशीमठ कहीं नहीं जा रहा, वहीं रहेगा। सरकार इसके उपचार के लिए प्रतिबद्ध है और इसमें कोई कमी नहीं छोड़ी जाएगी।

डा सिन्हा ने जोशीमठ में अध्ययन में जुटे विज्ञानियों से बातचीत का हवाला देते हुए कहा कि प्रारंभिक तौर पर ये बात सामने आई है कि प्रभावित क्षेत्र में ऊपर की भूमि सूखी है, जबकि नीचे नमी अधिक है। यानी पानी सीधे नीचे जा रहा है। विज्ञानियों का कहना है कि उपचारात्मक कार्यों से भूधंसाव थम जाएगा।

उन्होंने कहा कि प्रभावित क्षेत्र में ढलान वाले क्षेत्र में दरारें अधिक हैं, जबकि समतल क्षेत्र में काफी कम। ऐसे में ढलान वाले क्षेत्र का पहले उपचार किया जाएगा। उन्होंने कहा कि आठ संस्थानों के विज्ञानी जांच कार्य में जुटे हैं। उनकी रिपोर्ट मिलने के बाद न केवल सही तस्वीर सामने आएगी, बल्कि उपचारात्मक कार्यों की दिशा भी तय होगी।

भय का वातावरण बनाने से बचें

आपदा प्रबंधन सचिव ने कहा कि अभी तक किसी भी विज्ञानिक संस्थान की ऐसी कोई रिपोर्ट नहीं है, जिससे ये कहा जाए कि जोशीमठ धंस जाएगा। उन्होंने कहा कि बिना किसी विज्ञानिक प्रमाण के ऐसी खबरों से भय का वातावरण बनता है। इससे बचने की जरूरत है।

सोमवार को होगी राहत पैकेज पर चर्चा

एक प्रश्न के उत्तर में डा सिन्हा ने कहा कि जोशीमठ को लेकर गठित उच्चाधिकार प्राप्त समिति की बैठक सोमवार को होगी। इसमें जोशीमठ के पुननिर्माण, प्रभावितों के पुनर्वास, प्रभावित क्षेत्र में उपचारात्मक कार्य समेत अन्य बिंदुओं का समावेश करते हुए केंद्र सरकार को भेजे जाने वाले राहत पैकेज के प्रस्ताव पर चर्चा होगी। इसमें आपदा प्रभावितों को अधिकाधिक लाभ देने के संबंध में भी विमर्श किया जाएगा।

प्री-फेब्रिकेटेड घर का माडल बनाने को तीन दिन का समय

उन्होंने बताया कि आपदा प्रभावितों के अस्थायी पुनर्वास के दृष्टिगत बनाए जाने वाले प्री-फेब्रिकेटेड घरों के माडल बनाने के लिए संबंधित संस्था को तीन दिन का समय दिया गया है। इसके अलावा ग्राम ढाक में भूमि समतलीकरण का कार्य जारी है। यहां भी प्रभावितों के लिए स्थायी पुनर्वास होने तक प्री-फेब्रिकेटेड घर बनाए जाएंगे।

सीवरेज व नालों की डीपीआर तैयार

आपदा प्रबंधन सचिव ने बताया कि सिंचाई विभाग ने जोशीमठ का ड्रेनेज प्लान तैयार कर लिया है। इसके लिए प्रथम चरण में पांच बड़े नालों की डीपीआर बनाई गई है। इसके अतिरिक्त पेयजल निगम ने सीवरेज व्यवस्था के लिए 200 करोड़ की डीपीआर तैयार की है। उन्होंने कहा कि पानी, बिजली, सड़क, ड्रेनेज, सीवरेज समेत अन्य सभी कार्य राहत पैकेज का हिस्सा होंगे।

पानी रोकने को दरारों में भरान

पूछे जाने पर डा सिन्हा ने कहा कि जोशीमठ क्षेत्र में पड़ी दरारों में भरान और इन्हें प्लास्टिक से ढकने का कदम इसलिए उठाया गया, ताकि वर्षा होने पर पानी दरारों में न भरे। भूधंसाव व दरारें रोकने को असली कदम तो विज्ञानियों की रिपोर्ट मिलने के बाद उनकी संस्तुतियों के आधार पर उठाए जाएंगे।

सेना ने नहीं की कोई मांग

यह पूछे जाने पर कि क्या सेना ने भी जोशीमठ से अपनी कुछ संरचनाएं हटाने की मांग की है, आपदा प्रबंधन सचिव ने कहा कि ऐसी कोई मांग नहीं आई है। यदि आती है तो उस पर विचार किया जाएगा। एक अन्य प्रश्न पर उन्होंने कहा कि एनटीपीसी ने पूर्व जोशीमठ में पेयजल योजना पर सहमति दी थी। इसके लिए उसने धनराशि भी दी, लेकिन विभिन्न कारणों से यह विषय अटका हुआ है। इसका भी जल्द समाधान किया जाएगा।


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