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    देहरादून में सजा ‘संवादी’ का मंच, मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने किया शुभारंभ; प्रवाहित हुई विचारों की त्रिवेणी

    Updated: Sun, 30 Jun 2024 09:24 AM (IST)

    Jagran Samvadi Program अभिव्यक्ति के उत्सव ‘जागरण संवादी’ की शनिवार को राजधानी देहरादून में भव्य शुरुआत हो गई। ‘संवादी’ के इस मंच पर देशभर के विद्वान दो दिन विभिन्न विषयों पर खुलकर अपनी अभिव्यक्ति देंगे। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि ‘जागरण संवादी’ हिंदी के सबसे बड़े समाचार पत्र दैनिक जागरण की अभिनव पहल है जिसका हिस्सा बनकर वह स्वयं को गौरवान्वित महसूस कर रहे हैं।

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    Jagran Samvadi Program: मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने किया अभिव्यक्ति के उत्सव ‘जागरण संवादी’ का शुभारंभ

    जागरण संवाददाता, देहरादून। Jagran Samvadi Program: अभिव्यक्ति के उत्सव ‘जागरण संवादी’ की शनिवार को राजधानी देहरादून में भव्य शुरुआत हो गई। यह पहला मौका है, जब ‘संवादी’ का आयोजन देहरादून में हो रहा है। इस अवसर पर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि ‘जागरण संवादी’ हिंदी के सबसे बड़े समाचार पत्र दैनिक जागरण की अभिनव पहल है, जिसका हिस्सा बनकर वह स्वयं को गौरवान्वित महसूस कर रहे हैं। ‘संवादी’ के इस मंच पर देशभर के विद्वान दो दिन विभिन्न विषयों पर खुलकर अपनी अभिव्यक्ति देंगे। इससे निश्चित रूप से संपूर्ण समाज लाभान्वित होगा। इस मौके पर वर्ष 2024 की पहली तिमाही के जागरण बेस्टसेलर की सूची भी जारी की गई।

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    ‘हिंदी हैं हम’ अभियान के तहत मसूरी रोड स्थित फेयरफील्ड बाय मैरियट में दो दिवसीय ‘जागरण संवादी’ का उद्घाटन मुख्यमंत्री धामी ने दैनिक जागरण के संस्थापक स्व. पूर्णचंद गुप्त, पूर्व प्रधान संपादक नरेंद्र मोहन व मां सरस्वती के चित्र के सम्मुख दीप जलाकर किया। इस मौके पर उन्होंने कहा कि युवाओं के सपने उनकी सरकार की प्राथमिकता में हैं। ‘नकल रोधी कानून’ लाने के पीछे भी ध्येय यही है कि सरकारी नौकरियों में युवाओं का चयन पूरी पारदर्शिता के साथ हो।

    सुखद यह है कि केंद्र समेत अन्य प्रदेशों की सरकार भी इस कानून को माडल के रूप में अपना रही हैं। कहा कि इस सबके बावजूद प्रदेश का समग्र विकास सिर्फ सरकारी नौकरियों के भरोसे रहकर नहीं हो सकता। इसके लिए सरकार निजी क्षेत्र और स्वरोजगार पर विशेष ध्यान दे रही है। प्रदेश में निवेश को बढ़ावा देने के पीछे भी मुख्य ध्येय यही है।

    सरकार तीर्थाटन व पर्यटन को समृद्ध करने के लिए गंभीरता से प्रयास कर रही है और इसके सुखद परिणाम भी नजर आने लगे हैं। मुख्यमंत्री ने कहा कि केंद्र और प्रदेश सरकार के विकास कार्यों पर जनता ने भरोसा जताया है और यही उनकी ताकत भी है। उन्होंने यह भी कहा कि समान नागरिक संहिता कानून पर हमारे सहयोगी दल भी असहमत नहीं हैं। इससे इस कानून की प्रासंगिकता साबित होती है।

    पहले दिन चार सत्र में विभिन्न विषयों पर संवाद हुए। पहले सत्र में ‘साहित्य के मायने’ विषय पर चर्चा शुरू हुई तो साहित्यकार अशोक कुमार, कथाकार जितेन ठाकुर, कवि पद्मश्री लीलाधर जगूड़ी व वरिष्ठ साहित्यकार ललित मोहन रयाल ने बेबाकी से अपनी भावनाएं उजागर कीं। सार यही था कि साहित्य न सिर्फ समाज को कुंठाओं से मुक्त करता है, बल्कि अवसाद से भी बचाता है।

    साहित्य में भाव हैं, विचार हैं, संवेदना और इससे सबसे बढ़कर दृष्टिबोध है। साहित्य में संपूर्ण मानवता का हित छिपा हुआ है लेकिन, यह भी नहीं भूलना चाहिए कि इसमें साहित्यकार की यश प्राप्ति की कामना भी निहित है। चर्चा में यह बात भी निकलकर सामने आई कि पाठक होना, लेखक होने से बेहतर है यानी बेहतर पाठकों की जमात ही बेहतर लेखकों को जन्म देती है। इस सत्र का संचालन डा. सुशील उपाध्याय ने किया।

    ‘काशी और देवभूमि’ विषय पर विमर्श को आगे बढ़ाते हुए इतिहासकार विक्रम संपत ने लेखक राहुल चौधरी के साथ इतिहास के तमाम विरोधाभाषों पर बेबाकी से चर्चा की। वह कहते हैं, इतिहास ही हमें अपनी संस्कृति व सभ्यता से परिचित कराता है। जड़ों से जुड़ाव का यह बड़ा माध्यम है। अगर यही इतिहास गड़बड़ होगा, विशेष विचारधारा से प्रेरित होकर किसी धर्म, संप्रदाय को बदनाम करने की कोशिश होगी, तो ऐसे इतिहास में हमारा चेहरा विकृत ही दिखेगा। सही मायने में सच्चे इतिहास की सबसे बड़ी उपलब्धि यही है कि किसी तरह की राजनीति व विचारधारा से हटकर वास्तविक तथ्यों को समाज के सामने रखा जाए।

    अब बारी थी ‘गुलजार साब’ पर चर्चा की। इस सत्र में लेखक यतींद्र मिश्र ने उपन्यासकार अद्वैता काला ने संवाद करते गीतकार गुलजार के व्यक्तित्व एवं कृतित्व से जुड़े विभिन्न पहलुओं को छूने का प्रयास किया। वह बताते हैं कि गुलजार की चर्चित फिल्म ‘आंधी’ आपातकाल की बंदिशों से रूबरू हुई थी। बाद में फिल्म में यह सीन जोड़ा गया कि तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी का चित्र दिखाते हुए नायिका यह कहे कि वह राजनीति में जाकर इनकी तरह बनना चाहती है।

    अंतिम सत्र का विषय था, ‘गीतकार की औकात क्या है’। इसमें गीतकार पीयूष मिश्रा ने कवि एवं पत्रकार अंजुम शर्मा से अपनी पुस्तक पर चर्चा करते हुए बताया कि कैसे उनका मन परिवर्तित हुआ। पीयूष ने कहा कि उनके काम की तारीफ बहुत हो गई थी। उन्हें पता था कि उन्होंने अपने जीवन में क्या गलतियां की हैं। जिंदगी की सच्चाई को सामने लाना था। एक तरह का बौद्धिक ज्ञान प्राप्त हुआ और पुनर्जन्म भी। जो सच था, उसे अभिव्यक्ति का स्वरूप दे दिया।