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    जागरण संवादी : युवा आइकन चेतन भगत के साथ जीवन को नए दृष्टिकोण से देखने का मौका

    देहरादून में 28 और 29 जून को फेयरफील्ड बाय मैरियट में 'जागरण संवादी' का आयोजन हो रहा है। यह अभिव्यक्ति का एक उत्सव है जिसमें साहित्य, संस्कृति और सामाजिक मुद्दों पर चर्चा होगी। इस बार प्रसिद्ध लेखक चेतन भगत भी शामिल होंगे, जो कहानियों, किताबों और जीवन पर अपने विचार साझा करेंगे। यह आयोजन युवाओं को प्रेरित करने और हिंदी भाषा के उत्थान का प्रयास है। प्रवेश निःशुल्क है।

    By Jagran News Edited By: Nirmala Bohra Updated: Tue, 24 Jun 2025 01:18 PM (IST)
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    जागरण संवाददाता, देहरादून। ‘जागरण संवादी’ को लेकर दून के संवादधर्मी समाज की उत्सुकता देखते ही बन रही है। ऐसा होना स्वाभाविक भी है। अभिव्यक्ति का यह उत्सव है ही ऐसा, जिसमें भागीदारी निभाने को हर कोई आतुर रहता है। फिर मनपसंद विषय विशेषज्ञों को सुनने, संबंधित विषयों पर उनका दृष्टिकोण समझने और उनसे सवाल करने का मौका मिल रहा हो तो भला कौन ऐसे अवसर को गंवाना चाहेगा।

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    इस बार संवादी के 13 सत्रों में जो 30 से अधिक विशेषज्ञ वक्ता आपसे रूबरू होने जा रहे हैं, उनमें प्रसिद्ध लेखक चेतन भगत की मौजूदगी भी एक अद्भुत अवसर होगी। आप उनके अनुभव व विचारों से प्रेरणा ले सकते हैं और जीवन को नए दृष्टिकोण से देख सकते हैं। खासकर तब, जब बात ‘पढ़ते-पढ़ते हो जाए प्यार’ की हो। इस पर चेतन भगत से संवाद करेंगी दिल्ली विश्वविद्यालय की प्रोफेसर गीतांजलि काला।

    इसमें कोई संशय नहीं कि चेतन भगत के लेखन व विचारों ने भारतीय साहित्य और संस्कृति को गहरे तक प्रभावित किया है। उन्होंने युवाओं को प्रेरित किया है, सामाजिक मुद्दों पर चर्चा को बढ़ावा दिया है और भारतीय संस्कृति को आधुनिक समय के साथ जोड़ने में मदद की है। उन्हें सिर्फ उपन्यासकार या लेखक के बजाय एक युवा आइकन माना जाता है।

    चेतन के लिए उपन्यास मनोरंजन का साधन हैं, जिनके माध्यम से वे युवाओं व समाज के बारे में अपनी राय और विचार व्यक्त करते हैं। उनका मानना है कि भारत को एक आधुनिक एवं प्रगतिशील राष्ट्र बनने के लिए, युवाओं को सशक्त बनाने और उन्हें विकास में योगदान करने के लिए प्रोत्साहित किए जाने की आवश्यकता है। चेतन का मानना है कि भारतीय संस्कृति को आधुनिक समय के साथ तालमेल बिठाने की आवश्यकता है, लेकिन हमें अपनी जड़ों को भी नहीं भूलना चाहिए।

    चेतन कहते हैं, ‘जागरण संवादी’ में वह बातें करेंगे कहानियों की, किताबों की और जिंदगी की और भी बहुत सारी बातें। बस! थोड़ा-सा इंतजार कीजिए। इस दो दिवसीय आयोजन में प्रवेश निश्शुल्क है। ...तो अभिनंदन है आपका, अभिव्यक्ति के इस उत्सव में, जिसका आयोजन 28 व 29 जून को मौजा मालसी, मसूरी डायवर्जन रोड स्थित फेयरफील्ड बाय मैरियट में हो रहा है।

    निम्न स्थानों से प्राप्त कर सकते है ‘जागरण संवादी’ के निश्शुल्क आमंत्रण

    1. दैनिक जागरण कार्यालय, पटेल नगर
    2. कीवी किसान विंडो स्टोर, ईसी रोड
    3. कीवी किसान विंडो स्टोर, देव टावर्स जाखन, राजपुर रोड
    4. बुक वर्ल्ड, एस्लेहाल
    5. ऐलोरा मेल्टिंग मोमेंट्स, राजपुर रोड

    (इसके अलावा ई-आमंत्रण प्राप्त करने के लिए आप मोबाइल नंबर 8429021213 पर वाट्सएप कर सकते हैं)

    'जागरण संवादी' केवल एक मंच नहीं, जीवंत संवाद है। जहां कला अपने रंग बिखेरती है, साहित्य समाज का दर्पण दिखाता है, संगीत मन की तरंगों को छेड़ता है, सिनेमा दृष्टिकोण बदलता है और विचार नए युग की संरचना करते हैं। जब हम मिलकर संवाद करते हैं, तब हम केवल बातचीत नहीं करते, बल्कि हम एक जागरूक समाज की रचना करते हैं। संवाद सिर्फ शब्दों का साथी नहीं, संवेदनाओं का सेतु है। - एसआर मुकेश, डीन, दून फिल्म स्कूल


    दैनिक जागरण ने सामाजिक सरोकारों से जोड़ते हुए हिंदी भाषा का सही रूप में उत्थान के लिए प्रयास किया है। जागरण संवादी में किसी भी विषय पर पक्ष-विपक्ष, दोनों के सशक्त विचार सुनने को मिलेंगे। इससे समाज को नई दिशा देने में मदद मिलेगी। मुझे पूरा विश्वास है कि संवादी इस वर्ष भी सफलता की नई इबारत लिखेगा। मंच पर वक्ता व श्रोता, हर एक में उत्साह देखने को मिलेगा। इस आयोजन के लिए मेरी शुभकामनाएं।
    - सुयश अग्रवाल, निदेशक, सिल्वर सिटी सिनेमा एवं सचिव उत्तराखंड फिल्म एसोसिएशन

    दैनिक जागरण की ओर से दून में संवादी का आयोजन स्वागत योग्य है। हिंदी को बल प्रदान करने और उसके प्रसार के लिए यह आयोजन बेहद उपयोगी है। इस उत्सव में साहित्य से इतर जन-मन से संबंधित समस्त प्रश्न और समस्याओं को स्थान मिलेगा। साथ ही उनका समाधान भी विद्वानों की ओर से अवश्य सुझाया जाएगा। प्रश्न और उनका त्वरित एवं सटीक उत्तर मिले यही है ‘संवादी’। इसीलिए प्रबुद्ध वर्ग इसकी प्रतीक्षा कर रहा है।
    - डा. सविता मोहन, साहित्यकार

    ‘जागरण संवादी’ समागम का दूसरा संस्करण शुरू होना साहित्य, संस्कृति, शिक्षा, विज्ञान और फिल्म से जुड़े लोगों के लिए बेहतर अवसर है। लोक जीवन, जनसरोकर और आसन्न चुनौतियों पर संवाद इस उत्सव में भी होगा। मुझे उम्मीद है कि आने वाले समय में स्थानीय भाषाओं में नाटक और अन्य विधाओं पर भी चर्चा व समालोचना को संवादी में शामिल किया जाएगा। यह समाज की दिशा व दशा पर वैचारिक मंथन का अद्भुत प्रयास है।
    - गजेंद्र नौटियाल, नाटककार