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    जागरण फिल्म फेस्टिवल में ताजमहल का 'डीएनए टेस्ट', फिल्म 'द ताज स्टोरी' दर्शकों के मन में खड़े कर गई सवाल

    Updated: Sun, 02 Nov 2025 02:52 PM (IST)

    देहरादून में जागरण फिल्म फेस्टिवल में 'द ताज स्टोरी' दिखाई गई, जिसमें ताजमहल के डीएनए पर सवाल उठाए गए। फिल्म में यह सवाल किया गया कि क्या ताजमहल शाहजहां ने बनवाया था, या यह तेजोमहालय है। फिल्म दर्शकों के मन में कई सवाल छोड़ गई, जैसे ताजमहल के भीतर मुमताज की दो कब्रें क्यों हैं और तहखानों में 22 कमरों को क्यों बंद किया गया।

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    जागरण फिल्म फेस्टिवल (जेएफएफ) में ''''द ताज स्टोरी'''' की स्पेशल स्क्रीनिंग। जागरण

    जागरण संवाददाता, देहरादून। जागरण फिल्म फेस्टिवल (जेएफएफ) में स्पेशल स्क्रीनिंग: ''''द ताज स्टोरी'''' विश्व धरोहर और दुनिया के सात अजूबों में शामिल ताजमहल के डीएनए पर ही सवाल उठाए हैं। इतिहास की किताबों में बताया गया है कि आगरा स्थित ताजमहल को 17वीं शताब्दी में मुगल सम्राट शाहजहां ने अपनी बेगम मुमताज की याद में बनवाया था। इसलिए भीतर उनका मकबरा भी है। लेकिन, फिल्म यह भी सवाल उठाती है कि ताजमहल को शाहजहां ने नहीं बनवाया। ताजमहल एक मकबरा है अथवा तेजोमहालय इसी के इर्द गिर्द फिल्म घूमती है।

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    फिल्म देखने पहुंचे दर्शकों के मन भी ताजमहल का डीएनए टेस्ट करती इस फिल्म ने कई सवाल भी खड़े कर दिए। जीवन की परिस्थिति, कैंलेंडर की तिथि और राजनीति जरूर बदलती है। इस फिल्म के इस डायलाग ने बता दिया कि समय के साथ कुछ भी बदला जा सकता है।

    तुषार अमरीश गोयल निर्देशित और परेश रावल (विष्णु) अभिनीत इस फिल्म को देखने के लिए काफी संख्या में दर्शक पहुंचे। किसी ने परेश रावत के किरदार को बेहतर बताया तो कईयों ने स्क्रिप्ट को सराहा। फिल्म में स्थानीय कलाकारों और मसूरी, देहादून, एफआरआइ के दृश्य देख लोगों ने उत्साह बढ़ाया। फिल्म देखने के लिए कलाकार भी पहुंचे थे। फिल्म में अरुण ठाकुर, मंजुल मिश्रा, रामेंद्र कोटनाला, अनुराग जोशी, सुशील यादव, दिव्यांशी कुमोला, राहत खान, संजय गुप्ता, अभिषेक मैंदोला, अभिषेक वर्मा आदि ने विभिन्न भूमिका निभाई। फिल्म के हर एक दृश्य ने दर्शकों को बांधे रखा तो डायलाग से भी उत्साहित दिखे।

    इसके अलावा यह फिल्म भी कई सवाल खड़े कर गई। ताजमहल के भीतर मुमताज की दो कब्रें क्यों हैं, तहखानों में 22 कमरों को क्यों चिनवा दिया, गुंबद बनाने की प्रेरणा कहां से मिली, इतिहास के पाठ्यक्रम में हिंदू राजाओं का जिक्र कम क्यों है, मुगलों के बारे में क्यों नहीं बताया गया है कि उन्होंने कितने लाखों लोगों को मारा, हजारों मंदिर तोड़े। फिल्म के अंत तक दृश्य को देखने के लिए दर्शक इंतजार करते रहे कि परिणाम आएगा लेकिन यह फिल्म मन में कई सवाल छोड़ गई।