हरिद्वार में जल जीवन मिशन की आठ योजनाओं में गड़बड़झाला, नियमों की उड़ीं धज्जियां; मानकविहीन हुआ कार्य
उत्तरकाशी अल्मोड़ा टिहरी के बाद अब हरिद्वार में जल जीवन मिशन की योजनाओं के निर्माण में गड़बड़झाला होने का मामला सामने आया है। जबकि मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी कई बार बैठक कर अधिकारियों को अल्टीमेटम दे चुके हैं। इसके बावजूद अधिकारियों की मनमानी कम नहीं हो रही। हरिद्वार की आठ योजनाओं में सिविल अभियंताओं ने मानकों को ताक पर रखकर ट्यूबवेल और पंपिंग कार्य खुद ही करा दिए।

जागरण संवाददाता, देहरादून। जल जीवन मिशन की योजनाओं के निर्माण में घपले थमने का नाम नहीं ले रहे हैं। उत्तरकाशी, अल्मोड़ा, टिहरी के बाद अब हरिद्वार में गड़बड़झाला होने का मामला सामने आया है। जबकि मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी कई बार बैठक कर अधिकारियों को अल्टीमेटम दे चुके हैं।
इसके बावजूद अधिकारियों की मनमानी कम नहीं हो रही। हरिद्वार की आठ योजनाओं में सिविल अभियंताओं ने मानकों को ताक पर रखकर ट्यूबवेल और पंपिंग कार्य खुद ही करा दिए। ऐसे में कार्य मानकविहीन हुआ है और ट्यूबवेलों के संचालन की अवधि भी कम हो सकती है।
सिविल अभियंता का ये है काम
दरअसल, पेयजल निगम में नियम है कि किसी भी पेयजल योजना निर्माण में पेयजल लाइन बिछाने और उपभोक्ताओं के घरों तक कनेक्शन पहुंचाने का कार्य सिविल अभियंता का है। जबकि ट्यूबवेल लगाने और बिजली से उसका कनेक्शन करने का कार्य इलेक्ट्रिकल-मैकेनिकल अभियंता का होता है।
हरिद्वार में है दोनों अभियंताओं की अलग-अलग शाखा
हरिद्वार में दोनों अभियंताओं की अलग-अलग शाखा है। योजना निर्माण के दौरान पंपिंग संबंधी कार्य इलेक्ट्रिकल-मैकेनिकल अभियंता की देखरेख में होते हैं और वह मानक के अनुरूप कार्य कराने में सक्षम हैं। साथ ही ठेकेदारों को पंपिंग संबंधी कार्य का भुगतान भी इलेक्ट्रिकल-मैकेनिकल शाखा के माध्यम से होता है।
सिविल अभियंताओं ने खुद ही करा दिए पंपिंग संबंधी कार्य
वर्ष 2020-21 में हरिद्वार जिले के बहादराबाद ब्लाक में अतमलपुर बोंगला, दुधिया दयाल, नगला खुर्द, अतमारपुर, आदर्श टिहरी डोबनगर और रुड़की ब्लाक के शिवपुरी, चिड़ियापुर एवं शेखपुरी गांव में जल जीवन मिशन के तहत बनी योजनाओं में पंपिंग संबंधी कार्य सिविल अभियंताओं ने खुद ही करा दिए।
पंपों में बिछे पाइपों की थिकनेस कम
इलेक्ट्रिकल-मैकेनिकल शाखा को इसकी भनक तक नहीं लगी। सूत्रों का कहना है कि इन पंपों में बिछे पाइपों की थिकनेस (मोटाई) कम है। ऐसे में इनकी ड्यूरेबिलिटी (टिकाऊपन) अधिक नहीं रहेगी।
ऐसे कराया गया निर्माण
एस्टीमेट विभाजित कर बनायी योजना पेयजल निगम के नियमानुसार, सिविल शाखा के अधिशासी अभियंता के पास 75 लाख रुपये तक के कार्य कराने की सामर्थ्य है। लेकिन हरिद्वार में बनी आठों योजनाओं की लागत एक-एक करोड़ से अधिक है। ऐसे में इन योजनाओं के एस्टीमेट को दो-दो हिस्सों में विभाजित कर सिविल अभियंताओं ने निर्माण करा दिया।
अगर ऐसा है तो यह बिल्कुल नियम विरुद्ध हुआ है। हालांकि मेरे संज्ञान में यह मामला नहीं है। शिकायत मिलती है तो जांच करायी जाएगी। - रणवीर सिंह चौहान, प्रबंध निदेशक, देहरादून।
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