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    सात समंदर पार गाड़ी चलाने काे Dehradun के युवा बेताब, बने 5000 से ज्‍यादा इंटरनेशनल ड्राइविंग परमिट

    Updated: Thu, 07 Aug 2025 03:11 PM (IST)

    देहरादून में इंटरनेशनल ड्राइविंग परमिट बनवाने का क्रेज युवाओं में लगातार बढ़ रहा है। पिछले दस वर्षों में 5000 से अधिक परमिट जारी किए गए हैं। विदेश में पढ़ाई या नौकरी के लिए जाने वाले युवा इसे बनवा रहे हैं। इसके लिए स्थायी ड्राइविंग लाइसेंस और वीजा जैसे दस्तावेजों की आवश्यकता होती है। यह परमिट कई देशों में मान्य है जिससे युवाओं को गाड़ी चलाने में आसानी होती है।

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    दून में हर साल बढ़ रही इंटरनेशनल ड्राइविंग परमिट बनाने वाले युवाओं की संख्या। प्रतीकात्‍मक

    अंकुर अग्रवाल, जागरण देहरादून। वैसे तो अधिकांश लोगों को गाड़ी चलाने का शौंक होता है, लेकिन अगर बात सात समंदर पार गाड़ी चलाने की हो तो दून के युवाओं की बेताबी अलग ही है। यही कारण है कि दून में इंटरनेशनल ड्राइविंग परमिट (आइडीपी) बनवाने का आंकड़े लगातार बढ़ता जा रहा है।

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    बात गुजरे 10 साल की करें तो 5000 से अधिक युवा आरटीओ कार्यालय से इंटरनेशनल ड्राइविंग परमिट बना चुके हैं। इसी साल जनवरी से जुलाई तक 342 परमिट जारी हो चुके हैं। इनमें भी लड़कों की संख्या काफी अधिक है। इस साल बने 342 इंटरनेशनल ड्राइविंग परमिट में लड़कों के 293 जबकि लड़कियों के 49 परमिट शामिल हैं। आरटीओ (प्रशासन) संदीप सैनी ने बताया कि अभी लगभग 200 आवेदन प्रतीक्षा में हैं, जिनके दस्तावेजों की जांच चल रही है।

    कई देशों में गाड़ी चलाने के लिए इंटरनेशनल ड्राइविंग परमिट होना आवश्यक होता है। भारत में यह परमिट भारतीय सड़क परिवहन प्राधिकरण जारी करता है। इसके लिए आवेदक को संबंधित शहर के आरटीओ या एआरटीओ कार्यालय में आनलाइन आवेदन करना होता है। चूंकि, दून से बड़ी संख्या में युवा हर साल विदेश में पढ़ाई या नौकरी के लिए जाते हैं, ऐसे में वह इंटरनेशनल ड्राइविंग परमिट बनाकर जा रहे, ताकि वहां गाड़ी चलाने में कोई परेशानी न आए।

    इंटरनेशनल ड्राइविंग परमिट बनाने के लिए आवेदक के पास स्थायी ड्राइविंग लाइसेंस होना आवश्यक होता है। इसके लिए parivahan.gov.in पर आनलाइन आवेदन के साथ यह भी बताना होता है कि आप किस देश में जा रहे हैं। आवेदक को फार्म 4ए भरकर सभी दस्तावेज जैसे पासपोर्ट और वीजा की छायाप्रति भी देनी होती है। इसका शुल्क 1000 रुपए है।

    76 वर्ष पूर्व जेनेवा में हुआ था निर्णय

    इंटरनेशनल ड्राइविंग परमिट को लेकर 76 वर्ष पूर्व जेनेवा में हुई बैठक में निर्णय हुआ था। आरटीओ संदीप सैनी ने बताया कि वर्ष 1949 में ''''जेनेवा कन्वेंशन आन रोड ट्रैफिक'''' का आयोजन हुआ था। इसमें सड़क सुरक्षा से जुड़े कई मामलों पर चर्चा हुई थी और इसी दौरान इंटरनेशनल ड्राइविंग परमिट बनाने पर मुहर लगी थी। इस सहमति पर 150 देशों के प्रतिनिधियों ने हस्ताक्षर किए थे। इन सभी देशों में इंटरनेशनल ड्राइविंग परमिट को मान्यता मिली हुई है।

    इन देशों में मान्य है आइडीपी

    संयुक्त राज्य अमेरिका, कनाडा, आस्ट्रेलिया, यूनाइटेड किंगडम, जर्मनी, इटली, न्यूजीलैंड, स्पेन, इंडोनेशिया, दक्षिण अफ्रीका, सिंगापुर, स्विटजरलैंड, स्वीडन, थाईलैंड, स्वीडन, दक्षिण कोरिया, पुर्तगाल, संयुक्त अरब अमीरात आदि।

    समय-सीमा की शर्त, भारतीय डीएल मान्य

    अमेरिका, आस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड, कनाडा, ब्रिटेन, फ्रांस, दक्षिण अफ्रीका, जर्मनी, नार्वे जैसे 15 देश हैं, जहां पर बिना इंटरनेशनल ड्राइविंग परमिट के भारतीय ड्राइविंग लाइसेंस को समय-सीमा की शर्त के साथ मान्यता दी हुई है। अमेरिका, ब्रिटेन, न्यूजीलैंड, स्विटजरलैंड में यह समय-सीमा अधिकतम एक वर्ष है, जबकि कनाडा में यह समय-सीमा केवल 60 दिन की है। आस्ट्रेलिया में यह समय-सीमा 90 दिन निर्धारित है।

    अधिकांश युवा पढ़ाई या नौकरी वाले

    आरटीओ ने बताया कि इंटरनेशनल ड्राइविंग परमिट बनाने वाले युवाओं में अधिकांश ऐसे हैं जो पढ़ाई या फिर नौकरी के लिए विदेश जाने वाले होते हैं। चूंकि, उन्हें वहां अधिक समय तक रुकना होता है, ऐसे में इंटरनेशनल ड्राइविंग परमिट जरूरी होता है। हालांकि, इंटरनेशनल ड्राइविंग परमिट भी अधिकतम एक साल की अवधि के लिए मान्य होता है, लेकिन अगर यह खत्म हो जाता है तो विदेश में ही संबंधित दूतावास के माध्यम से आनलाइन आवेदन किया जा सकता है। परिवहन विभाग इसे स्वीकृत कर नया परमिट जारी कर देता है।

    आइडीपी के लिए यह जरूरी दस्तावेज

    इंटरनेशनल ड्राइविंग परमिट के लिए वर्तमान ड्राइविंग लाइसेंस की छायाप्रति के साथ पासपोर्ट, वीजा के साथ ही अंतरराष्ट्रीय यात्रा के टिकट की छायाप्रति, आय व निवास प्रमाण-पत्र की छायाप्रति, आधार कार्ड व मेडिकल की छायाप्रति आवेदन के दौरान अपलोड करनी होती है। इसके बाद परिवहन अधिकारी सभी दस्तावेजों की सत्यता की जांच करते हैं।

    दून में पिछले ढाई साल में बने 1618 आइडीपी

    दून आरटीओ कार्यालय में पिछले ढाई साल में 1618 आइडीपी बने हैं। वर्ष 2023 में 655, 2024 में 621 जबकि इस वर्ष जनवरी से जुलाई तक 342 इंटरनेशनल ड्राइविंग परमिट बने हैं। इनमें लड़कों की संख्या 1369 जबकि लड़कियों की संख्या 249 रही। वहीं, इस अवधि में सामान्य लाइसेंस बनाने वालों की संख्या 18377 है।