भारत में बायो एविएशन फ्यूल के पहले प्लांट की स्थापना शुरू, वेस्ट कुक्ड ऑयल-जेट्रोफा के बीजों का होगा इस्तेमाल
India First Biofuel Plant भारतीय पेट्रोलियम संस्थान ( आइआइपी) की तकनीक पर मैंगलोर रिफाइनरी एंड पेट्रोकेमिकल्स ( एमआरपीएल) बायोफ्यूल प्लांट बना रही है। इसके तहत 2027 तक 70 टन प्रतिदिन क्षमता का प्लांट स्थापित होगा। यह प्लांट वेस्ट कुक्ड ऑयल और जेट्रोफा के बीजों से बायोफ्यूल बनाएगा जिससे कार्बन उत्सर्जन में कमी आएगी और भारत बायोफ्यूल उत्पादन में आत्मनिर्भर बनेगा।

सुमन सेमवाल, देहरादून। बायोफ्यूल (जैव ईंधन) की दिशा में भारत ने आत्मनिर्भरता की दिशा में बड़ा कदम बढ़ा दिया है। भारतीय पेट्रोलियम संस्थान (आइआइपी) की ओर से ईजाद की गई बायोफ्यूल की तकनीक पर मैंगलोर रिफाइनरी एंड पेट्रोकेमिकल्स (एमआरपीएल) ने बायोफ्यूल के प्लांट की स्थापना का काम शुरू कर दिया है।
प्लांट की क्षमता 70 टन प्रतिदिन होगी और इस पर 450 से 500 करोड़ रुपए खर्च होंगे। यह धनराशि एमआरपीएल वहन करेगी। प्लांट को वर्ष 2027 तक स्थापित कर दिया जाएगा।
बायोफ्यूल बनाने की दिशा में भारत के लिए 27 अगस्त 2018 का दिन तब इतिहास में दर्ज हो गया था, जब देहरादून के जौलीग्रांट एयरपोर्ट से स्पाइस जेट के विमान ने बायोफ्यूल से दिल्ली तक उड़ान भरी थी। बायोफ्यूल के सफल प्रदर्शन के बाद से ही आइआइपी इसके व्यावसायिक उत्पादन के लिए बड़ी कंपनियों की तलाश में जुट गई थी।
पहले चरण में यह तलाश न सिर्फ एमआरपीएल के रूप में पूरी हुई, बल्कि अब बायोफ्यूल प्लांट की स्थापना का काम भी पूरा कर दिया गया है। आइआइपी के निदेशक डा हरेंद्र के अनुसार यह प्लांट 70 टन प्रतिदिन की क्षमता का होगा और फिलहाल वेस्ट कुक्ड आयल से बायोफ्यूल तैयार किया जाएगा।
उपलब्धता के अनुसार जेट्रोफा के बीजों से निकलने वाले तेल से भी बायोफ्यूल तैयार किया जाएगा। एमआरपीएल की तरह ही कुछ और कंपनियों ने भी बायोफ्यूल और बायो एविएशन फ्यूल के उत्पादन में दिलचस्पी दिखाई है। निकट भविष्य इस दिशा में कुछ और बड़े कदम बढ़ाए जाएंगे।
50 प्रतिशत तक बायोफ्यूल का मिश्रम संभव
आइआइपी के वरिष्ठ विज्ञानी डा अनिल सिन्हा के अनुसार बायोफ्यूल का प्रयोग सामान्य ईंधन में मिश्रण के रूप में किया जाएगा। इसे 50 प्रतिशत तक मिलाया जा सकता है। हालांकि, पहले चरण में 01 प्रतिशत के मिश्रण की संस्तुति की गई है।
रोजाना चाहिए 150 टन कुकिंग आयल
विज्ञानियों के अनुसार प्रतिदिन 70 टन बायोफ्यूल के उत्पादन के लिए 150 टन वेस्ट कुकिंग आयल (भोजन पकाने के बाद अवशेष निष्प्रयोज्य तेल) की जरूरत पड़ेगी। वर्तमान में वेस्ट कुकिंग आयल प्राप्त करने के साधन सर्वाधिक नजर आ रहे हैं।
सामान्य ईंधन के करीब लाई जाएगी लागत
अभी जो बायोफ्यूल तैयार हो रहा है, उसकी लागत करीब 120 रुपये प्रति लीटर आ रही है, जबकि इसे सामान्य ईंधन करीब लाने के प्रयास किए जा रहे हैं। वैज्ञानिकों का कहना है कि बड़ा प्लांट स्थापित होने के बाद इस लक्ष्य को पाना आसान होगा।
अमेरिका से बेहतर हमारा बायोफ्यूल
आइआइपी की तकनीक से तैयार बायोफ्यूल अमेरिका में बन रहे बायोफ्यूल से बेहतर है। आइआइपी के विज्ञानी डा अनिल सिन्हा का कहना है कि अमेरिका में डबल प्रोसेसिंग से ईंधन तैयार हो रहा है, जबकि उनके संस्थान में सिंगल प्रोसेसिंग से ईंधन तैयार किया जा रहा है।
15 प्रतिशत तक कम होगा कार्बन उत्सर्जन
एविएशन सेक्टर के रफ्तार पकड़ने के बाद वैश्विक रूप से उच्च वायुमंडल में कार्बन उत्सर्जन की चिंता भी बढ़ने लगी है। ऐसे में बायोफ्यूल को बढ़ावा देने से कार्बन उत्सर्जन की चिंता को आसानी से कम किया जा सकता है।
दूसरी तरफ प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने वर्ष 2015 में पेरिस समझौते में विश्व को भरोसा दिलाया था कि वर्ष 2030 तक कार्बन सिंक की क्षमता 2.5 से 3 बिलियन टन तक बढ़ाई जाएगी। इस लक्ष्यों की प्राप्ति के लिए कार्बन उत्सर्जन में कमी लाना भी आवश्यक है और बायोफ्यूल यहां भी एक बड़ी उम्मीद बनता दिख रहा है।

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