IND W vs SL W: देहरादून की बेटी ने 'श्रीलंकाई' टीम को दशहरे से पहले किया पस्त, चौके-छक्के बरसाए; दो विकेट चटकाए
महिला क्रिकेट विश्व कप के पहले मैच में देहरादून की स्नेह राणा ने श्रीलंका के खिलाफ बेहतरीन प्रदर्शन किया। उन्होंने 28 रन बनाए और दो विकेट लिए। 2014 में अपना पहला मैच खेलने वाली स्नेह ने चोट के बाद वापसी की और डब्ल्यू पी एल में भी अच्छा प्रदर्शन किया। उनके कोच ने बताया कि वह बचपन से ही पढ़ाई और खेल में अव्वल थीं।

तुहिन शर्मा, जागरण देहरादून। महिला क्रिकेट वनडे विश्व कप के उद्घाटन मैच में मंगलवार को श्रीलंका के खिलाफ भारतीय टीम की खिलाड़ी स्नेह राणा ने अद्वितीय प्रदर्शन किया। दशहरे के पर्व से पहले श्रीलंका को हराने पर देहरादून में उत्साह का माहौल देखने को मिला।
देहरादून नगर निगम से सटे सिनोला गांव की स्नेह ने श्रीलंका के खिलाफ दो छक्के और दो चौके लगाकर 28 रन बनाए और दो विकेट भी चटकाए। उनके इस महत्वपूर्ण योगदान से भारत की जीत सुनिश्चित हुई, जिससे देहरादून में क्रिकेट प्रेमियों के बीच उनकी चर्चा हो रही है। इससे पहले इंग्लैंड दौरे में भी उन्होंने 30 रनों का योगदान देकर दो विकेट लिए थे।
स्नेह ने 2014 में श्रीलंका के खिलाफ अपना पहला वनडे और टी-20 मैच खेला था। 2021 में इंग्लैंड के खिलाफ उन्होंने अपना पहला टेस्ट मैच खेला। 2016 में घुटने की चोट के कारण उन्हें भारतीय टीम से बाहर होना पड़ा, लेकिन क्रिकेट के प्रति उनके जुनून और समर्पण ने उन्हें 2021 में वापसी करने का अवसर दिया।
2022 से 2025 तक उन्होंने डब्ल्यूपीएल में रायल चैलेंजर्स बेंगलुरु और गुजरात जायंट्स के लिए खेलकर उत्कृष्ट प्रदर्शन किया। स्नेह टेस्ट क्रिकेट में 10 विकेट लेने वाली भारत की पहली महिला स्पिनर हैं, जो उन्होंने दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ एक टेस्ट में हासिल की।
बचपन से ही आलराउंड की भूमिका में
बचपन से ही आलराउंडर की भूमिका निभाने वाली स्नेह के कोच नरेंद्र शाह ने बताया कि वह पढ़ाई और खेल दोनों में अव्वल रही हैं। क्रिकेट के साथ-साथ फुटबाल, बैडमिंटन, टेबल-टेनिस, पेंटिंग और ट्रैकिंग में भी उनकी रुचि है। स्नेह ने कभी मेहनत से पीछे नहीं हटी। उन्होंने क्रिकेट का प्रशिक्षण कोच नरेंद्र शाह के मार्गदर्शन में लिया और यहीं से रेलवे टीम के लिए चयनित हुईं।
साइकिल से तय करती थी रोज 12 किमी का सफर
कोच ने बताया कि स्नेह ने नौ वर्ष की आयु से लिटल मास्टर क्रिकेट क्लब में प्रशिक्षण लेना शुरू किया। वह रोजाना 12 किमी का सफर साइकिल से तय कर क्लब पहुंचती थीं। उनके क्रिकेट के प्रति जुनून इतना था कि वह अभ्यास के लिए रोटी जेब में रखकर लाती थीं। उनके पिता स्व. भगवान सिंह राणा पूर्व प्रधान रहे हैं और माता बिमला राणा गृहिणी हैं।
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