Move to Jagran APP

वोटों की फसल के फेर में शहर का हुआ बंटाधार, पढ़िए पूरी खबर

सरकार ने अतिक्रमण के खिलाफ अभियान तो चलाया पर ये बेहद कारगर साबित नहीं हुआ। तीन महीने तक ताबड़तोड़ कार्रवाई की। लेकिन लोकसभा चुनाव आते येे पूरी तरह धड़ाम नजर आ रही है।

By Raksha PanthariEdited By: Published: Mon, 18 Mar 2019 09:44 AM (IST)Updated: Mon, 18 Mar 2019 11:48 AM (IST)
वोटों की फसल के फेर में शहर का हुआ बंटाधार, पढ़िए पूरी खबर
वोटों की फसल के फेर में शहर का हुआ बंटाधार, पढ़िए पूरी खबर

देहरादून, संतोष भट्ट। हाई कोर्ट की सख्ती के बाद दून में सरकार ने अतिक्रमण के खिलाफ अभियान तो चलाया, लेकिन यह बेहद कारगर साबित नहीं हुआ। तीन महीने तक ताबड़तोड़ कार्रवाई की धीरे-धीरे हवा निकलनी शुरू हुई और लोकसभा चुनाव आते-आते यह पूरी तरह धड़ाम नजर आ रही है। वोटरों को नाराज न करने की चाह ही कहेंगे कि अभियान के तुरंत बाद से ही पनपने लगे अतिक्रमण पर सरकार ने आंखें मूंद लीं।

loksabha election banner

रूलिंग पार्टी के ही कई क्षेत्रीय नेता जब अतिक्रमणकारियों के पक्ष में उतर आए तो सरकार के कदम भी ठिठक गए। कोर्ट के आदेशों के तहत चलाए गए अभियान में शहर के अधिकांश अतिक्रमण को ध्वस्त कर दिया गया था। आमजन भी खुली सड़कें और खुली आबोहवा की उम्मीद लगा बैठा था, मगर इस उम्मीद पर भारी पड़ी मतदाताओं को साधने की लालसा। यही कारण है कि कुकुरमुत्तों की तरह पनपे अतिक्रमणकारियों ने फिर से बेखौफ दुकानें सजा लीं।

राजधानी बनने के बाद देहरादून में अतिक्रमण की बाढ़ आ गई। यहां खाली सरकारी जमीनों पर अतिक्रमण की कॉलोनी बस गई। सड़क, फुटपाथ और नालियों तक दुकानें सज गइर्ं। राजधानी का कोई हिस्सा नहीं बचा जहां अतिक्रमण न हुआ हो। यही कारण है कि हाईकोर्ट ने करीब 18 साल बाद 18 जून 2018 को एक जनहित याचिका में अतिक्रमण हटाने के आदेश दिए। इस आदेश में हाईकोर्ट ने अफसरों की जिम्मेदारी तय करने और अतिक्रमण हटाने के बाद सुंदर दून की कार्ययोजना प्रस्तुत करने तक के निर्देश दिए थे। मगर, राजनीतिक दबाव और अफसरों की मनमानी के चलते हाईकोर्ट के इस आदेश को भी अफसरों ने गंभीरता से नहीं लिया। 

इससे 27 जून से दून में करीब 90 दिनों तक शहर में 4988 अतिक्रमण पर गरजीं जेसीबी, चिह्नित 8214 अतिक्रमण की कार्रवाई भी कागजों में सिमटकर रह गई। अब अतिक्रमण पर कार्रवाई होगी, इस पर अफसर भी बहानेबाजी कर अपनी जिम्मेदारी से बच रहे हैं। इस बीच आधे शहर में अतिक्रमण हटाने और आधे में बचाने पर भी हर कोई सवाल खड़े कर रहे हैं।

जबकि हटाए गए अतिक्रमण वाले क्षेत्र में दोबारा अतिक्रमण होने के बावजूद रोकने के कोई प्रयास नहीं हुए हैं। 

इसी तरह अतिक्रमण हटाते वक्त लोगों ने जो समय मांगा था, उस पर भी आगे कोई कार्रवाई नहीं हुई। लोगों की उम्मीदें उस वक्त टूट गई जब अफसरों ने शहर के कई बड़े इलाकों में अतिक्रमण पर लाल निशान लगाने के बाद हाथ खींच लिए। कई विधायक और मंत्री भी अतिक्रमण अभियान के खिलाफ आगे आ गए। जिससे अभियान अंजाम तक नहीं पहुंच पाया।

यहां हटाया गया अतिक्रमण

प्रेमनगर में प्रशासन ने सबसे बड़ी कार्रवाई करते हुए 155 अतिक्रमण ध्वस्त किए। इसके बाद सर्वे चौक से रायपुर रोड, रिस्पना से धर्मपुर, हरिद्वार रोड, सहस्रधारा रोड, चकराता रोड, जीएमएस रोड, सहारनपुर रोड, लालपुल से कारगी रोड, कारगी से मोथरोवाला रोड, चंद्रबनी चौक से सुभाषनगर, टर्नर रोड, आदि इलाकों में अतिक्रमण हटाया गया।

यहां नहीं हटा अतिक्रमण

राजपुर रोड, कचहरी रोड, पलटन बाजार, कांवली रोड, त्यागी रोड, रेसकोर्स रोड, तिलक रोड, धामावाला बाजार, डिस्पेंसरी रोड आदि कई इलाके ऐसे हैं, जहां अतिक्रमण पर प्रशासन ने हाथ खींच लिए।

कागजों में बनी100 करोड़ की योजना: अतिक्रमण हटाए गए क्षेत्रों के लिए प्रशासन ने करीब 100 करोड़ की योजना बनाई थी। इससे फुटपाथ, नाली, सड़क और दूसरे विकास कार्य किए जाने थे। मगर, यह प्रस्ताव शासन को भेजने के बाद कार्रवाई आगे नहीं बढ़ी। सूत्रों का कहना है कि बजट के अभाव में इस पर निर्णय नहीं हुआ है।

आधे अतिक्रमण हटने से यहां खतरा

-रिस्पना से चंचल स्वीट शॉप तक सड़क के दोनों तरफ।

-नेहरू कॉलोनी चौक से धर्मपुर चौक तक।

-आराघर चौक से ईसी रोड पर सर्वे चौक तक।

-सर्वे चौक से रायपुर रोड।

-सहस्रधारा क्रासिंग से सहस्रधारा तक।

-जोगीवाला से रिंग रोड डोभालवाला तक।

-बिंदाल पुल से चकराता रोड किशननगर चौक तक।

अतिक्रमण हटाओ अभियान के नोडल अधिकारी ओम प्रकाश ने बताया कि लोकसभा चुनाव के बीच अभियान स्थगित किया है। हटाए गए अतिक्रमण वाले हिस्से पर नजर रखी जा रही है। सड़क, नाली और फुटपाथ की योजना बनाई गई है। चुनाव के बाद कार्रवाई फिर शुरू की जाएगी।

जिलाधिकारी एसए मुरुगेशन कहते हैं कि शहर में आधे से ज्यादा हिस्से का अतिक्रमण हटाया जा चुका है। लोकसभा चुनाव की तैयारी के चलते अभियान प्रभावित हुआ है। आगे समय मिलते ही कार्रवाई जारी रहेगी।

यह भी पढ़ें: यहां आज भी 13 हजार आबादी की हो रही उपेक्षा, पढ़िए पूरी खबर

यह भी पढ़ें: यहां चार दशक से अधूरा पड़ा है मोटर मार्ग, जानिए


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.