उत्तराखंड से आयकर विभाग ने जुटाए 15 हजार करोड़, तय समय से पहले टारगेट पूरा; 16 फीसदी की बढ़ोतरी
इस वित्तीय वर्ष में उत्तराखंड में आयकर संग्रह में 16 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। राज्य ने 15000 करोड़ रुपये का प्रत्यक्ष कर एकत्र किया है जिसमें से 83 प्रतिशत से अधिक योगदान अकेले ओएनजीसी का है। राज्य में 10 लाख से अधिक लोगों ने आयकर रिटर्न दाखिल किया है। आयकर विभाग अब बड़े और संदिग्ध लेनदेन पर कड़ी नजर रख रहा है।

सुमन सेमवाल, देहरादून। इस वित्तीय वर्ष में देश में आयकर के आंकड़े में 16 प्रतिशत का उछाल दर्ज किया गया। आयकर से सरकार की झोली भरने में उत्तराखंड का भी अहम योगदान रहा। राज्य से आयकर विभाग ने करीब 15 हजार करोड़ रुपये का प्रत्यक्ष कर (डायरेक्ट टैक्स) यानी आयकर जुटा लिया है। उत्तराखंड में आयकर विभाग का लक्ष्य भी करीब 15 हजार करोड़ रुपये था, जिसे वित्तीय वर्ष की समाप्ति 31 मार्च से पहले ही हासिल किया जा चुका है।
उत्तराखंड से मिले आयकर में सर्वाधिक गौर करने वाली बात यह है कि इसमें 12 हजार 500 करोड़ रुपये का योगदान अकेले ओएनजीसी ने दिया है। इस तरह कुल आयकर लक्ष्य में ओएनजीसी की भागीदारी 83 प्रतिशत से अधिक रही। इसके अलावा उत्तराखंड में आप्टेल, टीएचडीसी जैसे प्रतिष्ठानों से भी अच्छी खासी मात्रा में आयकर जमा हुआ है।
राज्य में 10 लाख से अधिक ने भरा आयकर रिटर्न
उत्तराखंड में आयकर रिटर्न दाखिल करने वालों का आंकड़ा करीब 10.25 लाख रहा। डेढ़ करोड़ से अधिक की आबादी के मुकाबले यह आंकड़ा काफी कम है, लेकिन करीब पांच से छह वर्ष के अंतराल में राज्य ने लंबी छलांग लगाई है। वर्ष 2018-19 में राज्य में आयकर रिटर्न भरने वालों की संख्या 7.81 लाख पर सिमटी थी।
प्रधान मुख्य आयकर आयुक्त ने लक्ष्य से अधिक की उम्मीद जताई
हाल ही में दौरे पर उत्तराखंड पहुंचे उत्तर प्रदेश (पश्चिम) और उत्तराखंड के प्रधान मुख्य आयकर आयुक्त कृष्ण मुरारी ने देहरादून में अधिकारियों की बैठक ली। उन्होंने लक्ष्य हासिल करने पर अधिकारियों की पीठ थपथपाई, लेकिन लक्ष्य से आगे बढ़कर भी टैक्स जमा कराने के निर्देश दिए। इस दौरान उन्होंने आनलाइन असेसमेंट आदि में सामने आ रही व्यवहारिक कठिनाइयों का अपडेट भी लिया। साथ ही टैक्स को लेकर ओएनजीसी के अधिकारियों के साथ मंत्रणा की।
सभी बड़े ट्रांजेक्शन पर आयकर की नजर
आयकर अधिकारियों के अनुसार अब आयकर विभाग का डाटाबेस काफी मजबूत हो गया है। जिस कारण हर बड़े और संदिग्ध ट्रांजेक्शन पर आयकर विभाग की नजर रहती है। अब संपत्तियों की रजिस्ट्रियों में ई स्टांप की व्यवस्था है। इससे जुड़े रजिस्ट्रार को भी रिटर्न दाखिल करना पड़ता है।
ऐसे में संपत्तियों की खरीद फरोख्त सीधे तौर पर आयकर विभाग के रडार पर आ गई है। इसके अलावा बड़ी नकदी जमा करने के साथ ही बड़ी निकासी की सूचनाएं भी एकत्रित की जा रही हैं। क्योंकि दो लाख से अधिक का कोई भी ट्रांजेक्शन कैश में नहीं किया जा सकता है। ऐसे में बड़ी नकद निकासी पर भी जांच की जा रही है।
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