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आयकर विशेषज्ञ भी बांचेंगे मृत्युंजय मिश्रा की कुंडली

उत्तराखंड आयुर्वेद विश्वविद्यालय में एक करोड़ के घपले के आरोप में गिरफ्तार मृत्युंजय मिश्रा की कुंडली अब आयकर और वित्त विभाग के एक्सपर्ट खंगालेंगे।

By Sunil NegiEdited By: Published: Mon, 14 Jan 2019 12:58 PM (IST)Updated: Mon, 14 Jan 2019 12:58 PM (IST)
आयकर विशेषज्ञ भी बांचेंगे मृत्युंजय मिश्रा की कुंडली
आयकर विशेषज्ञ भी बांचेंगे मृत्युंजय मिश्रा की कुंडली

देहरादून, जेएनएन। उत्तराखंड आयुर्वेद विश्वविद्यालय में एक करोड़ के घपले के आरोप में गिरफ्तार मृत्युंजय मिश्रा की कुंडली अब आयकर और वित्त विभाग के एक्सपर्ट खंगालेंगे। इसके लिए दोनों विभाग के एक्सपर्ट सोमवार को विजिलेंस को मिल जाएंगे। 

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विजिलेंस ने तीन दिसंबर को आयुर्वेद विवि के निलंबित कुलसचिव मृत्युंजय मिश्रा को भ्रष्टाचार के आरोप में गिरफ्तार किया था। इस प्रकरण में मिश्रा की पत्नी श्वेता मिश्रा, विवि को कंप्यूटर उपकरण आपूर्ति करने वाली फर्म अमेजन ऑटोमेशन की शिल्पा त्यागी, क्रिएटिव वल्र्ड सोलेशन की नूतन रावत और मिश्रा के ड्राइवर अवतार सिंह के खिलाफ भी भ्रष्टाचार का मुकदमा दर्ज है। 

इस प्रकरण में विजिलेंस ने आयुर्वेद विवि से सौ से ज्यादा फाइलें और महत्वपूर्ण दस्तावेज कब्जे में लिए हैं। इन दस्तावेजों में घपले का लेखा-जोखा है। विजिलेंस की चार टीमों ने इसका अध्ययन किया है। लेखा और वित्त से जुड़ी फाइलों को खंगालने में विजिलेंस को दिक्कतें आ रही हैं। ऐसे में विजिलेंस ने आयकर और वित्त विभाग से दो विशेषज्ञ मांगे थे। विजिलेंस के एसएसपी सेंथिल अबुदई कृष्णराज का कहना है कि दोनों विभाग ने विशेषज्ञ उपलब्ध करा दिए हैं, जो सोमवार को प्रकरण से जुड़ी फाइलों का अध्ययन करेंगे। फर्म को जारी आर्डर, भुगतान, निविदा एवं उनके नियमों का कितना पालन हुआ, इसकी जांच कराई जाएगी। कुलसचिव के अधिकारों से लेकर विवि के वित्त नियंत्रक तक की पूरे प्रकरण में क्या भूमिका निभाई, इसकी भी विशेषज्ञ जांच करेंगे।

ठगी करने वाले धूलिया बंधुओं  की तलाश में ठिकानों पर छापे

नौकरी के नाम पर करोडों की ठगी करने वाले नीरज धूलिया और उसके भाई मृणाल धूलिया की धरपकड़ के लिए पुलिस उनके ठिकानों पर छापेमारी कर रही है। लेकिन अभी तक पुलिस को उनके बारे में कोई जानकारी नहीं लग पाई। पुलिस को धूलिया बंधुओं के बैंक अकाउंट की डिटेल और कॉल डिटेल रिकार्ड का इंतजार है। माना जा रहा है कि सोमवार तक विवेचक को ये उपलब्ध हो जाएंगे। यह दोनों मामले की जांच कर रहे दारोगा को मिल जाएंगे। इसके बाद पता चलेगा कि धूलिया बंधुओं ने कितने करोड़ का लेनदेन किया। फर्जीवाड़ा सामने आने के बाद उनका मूवमेंट क्या रहा, इसका भी पता चलेगा। इंस्पेक्टर सूर्यभूषण नेगी ने बताया कि दोनों की तलाश के लिए हरसंभव कोशिश की जा रही है।

यह है पूरा मामला

मृणाल धूलिया पुत्र दिनेश चंद्र धूलिया निवासी जीटीएम मोहकमपुर नेहरू कॉलोनी व उसके भाई नीरज धूलिया ने नेहरू कॉलोनी में ओजस्वी एसोसिएट्स के नाम से आफिस खोल रखा था। दोनों उत्तराखंड आयुर्वेद विश्वविद्यालय में पंचकर्म अस्पताल का पीपीपी मोड पर संचालन भी करता था। इसके चलते मृणाल की नजदीकी तत्कालीन कुलसचिव मृत्युंजय मिश्रा से हुई और बाद में वह खुद को का विवि का संचालक बताने लगा। इस बीच, विश्वविद्यालय में 135 पदों की भर्ती निकली। मृणाल धूलिया और उसके भाई ने एसोसिएट प्रोफेसर, लैब टेक्नीशियन व अन्य पदों पर नौकरी दिलाने के नाम पर लोगों को वसूली शुरू कर दी। 15 पीडि़तों ने दो रोज पहले नेहरू कॉलोनी थाने में इस संबंध में रिपोर्ट दर्ज कराई है। उसके बाद से कई और पीडि़त सामने आए हैं।धूलिया बंधु के नाम एक से एक कारनामे

उत्तराखंड आयुर्वेद विश्वविद्यालय में धूलिया बंधु ने कई कारनामे किए। उनके झांसे में आकर कई युवाओं का भविष्य चौपट हो गया है। फिर चाहे मामला कॉन्ट्रेक्ट पर रखे कर्मचारियों को विवि का कर्मचारी बताने का हो या फिर बिना मान्यता पंचकर्म का कोर्स कराने का। 

दरअसल विश्वविद्यालय में स्थित धन्वंतरी वैधशाला में कई कर्मचारी वर्ष 2016 से विभिन्न पदों पर अपनी सेवाएं दे रहे थे। मई 2018 में उन्हें अचानक बिना कारण बाहर कर दिया गया। इतना ही नहीं कर्मियों के विवि प्रवेश पर भी प्रतिबंध लगा दिया गया। इनमें एक कर्मचारी अनिल नौटियाल ने बताया कि साल 2016 में विवि के मुख्य परिसर में सीसीआइएम के निरीक्षण के लिए पीपीपी मोड पर संचालित धन्वंतरी वैधशाला के कर्मचारियों को आवश्यकतानुसार पदों पर समायोजित दिखाया गया। धन्वंतरी वैधशाला का संचालन धूलिया बंधु द्वारा ही किया जा रहा था। उनका दावा था कि लिपिक, लेखा लिपिक, लेखाकार, फार्मेसिस्ट, पंचकर्म सहायक, स्टाफ नर्स, लाइब्रेरियन, लैब टेक्नीशियन, वार्ड ब्वॉय, वार्ड आया, लैब असिस्टेंट समेत सामान्य चतुर्थ श्रेणी के तमाम कार्मिक अब विवि के कर्मचारी हैं। 

तीन साल तक विवि इन्हीं कर्मिकों के शैक्षिक प्रमाण पत्रों के आधार पर विवि सीसीआइएम से मान्यता लेता रहा। लेकिन गत वर्ष 21 मई को सीसीआइएम का निरीक्षण पूरा होने के आठ दिन बाद ही कर्मियों को बिना किसी पूर्व सूचना के बाहर निकाल दिया गया। इसी धनवंतरी वैधशाला में बिना मान्यता पंचकर्म थेरेपिस्ट का कोर्स संचालित किया जाता रहा। जिसके दो बैच भी यहां से पास आउट हो गए। तुर्रा यह कि पास आउट होने वाले सभी युवाओं को विवि में ही नौकरी दिला दी जाएगी। बाद में पता चला कि कोर्स बिना मान्यता चल रहा था। ऐसे में विवि में कथित तौर पर समायोजित कर्मचारी व पंचकर्म का कोर्स करने वाले तमाम युवा अब न्याय के लिए यहां-वहां एड़ि‍यां रगड़ रहे हैं।

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