उत्तराखंड में लुट रही खेती की जमीन... सिस्टम बना तमाशाई; रजिस्टर कॉलोनियों से 10 गुना अवैध
उत्तराखंड में खेती की जमीन पर अवैध कॉलोनियों का जाल तेजी से फैल रहा है। रेरा ने कृषि भूमि पर कॉलोनी काटने वालों पर जुर्माना लगाकर सख्ती दिखाई है। ऊधम सिंह नगर और देहरादून में कई अवैध प्लॉटिंग के मामले सामने आए हैं जिससे पिछले 24 सालों में 88141 हेक्टेयर खेती की जमीन कम हो गई है। रेरा अब इंटरनेट मीडिया पर भी अवैध परियोजनाओं पर नजर रख रहा है।
राज्य ब्यूरो, जागरण, देहरादून। रेरा ने नए फैसले में कृषि भूमि पर कालोनी काटने वाले पर जुर्माना लगाकर खेती की जमीन पर हो रही प्लाटिंग को लेकर सवाल उठा दिया है। रेरा ने इस फैसले से कृषि भूमि पर अवैध कालोनी काटने वाले कालोनाइजर्स को ही अपने दायरे में शामिल नहीं किया, बल्कि ऐसी अवैध कालोनियों पर शिकंजा भी कस दिया है।
खेती की जमीन पर लगातार अवैध प्लाटिंग का मर्ज प्रदेश के लिए नया नहीं है। ताजा मामलों में ऊधम सिंह नगर में 709 बीघा कृषि भूमि में अवैध तरीके से प्लाटिंग का मुद्दा गर्माया हुआ है। देहरादून में 120 से अधिक अवैध कालोनियां एमडीडीए चिह्नित कर उन पर ध्वस्तीकरण की कार्रवाई को अंजाम दे चुका है।
हरबर्टपुर में 100 बीघा जमीन में की गई प्लाटिंग को विकास प्राधिकरण ने ध्वस्त कराया। खेती की जमीन पर अवैध कालोनियों का जाल किसी एक जिले में ही नहीं बिछा। राज्य के प्रत्येक जिले में विकास प्राधिकरण से पंजीकरण कराए बगैर अवैध कालोनियां काटी जा रही हैं। इससे साल दर साल खेती की जमीन घट रही है।
पिछले 24 साल में राज्य में 88,141 हेक्टेयर खेती की भूमि कम हो चुकी है। यानी प्रतिवर्ष करीब 3672 हेक्टेयर खेती की जमीन घट रही है। खेती की जमीन कम होने की सबसे बड़ी वजह आवासीय क्षेत्र का विस्तार है। तस्वीर यह है कि पंजीकृत कालोनियों की अपेक्षा कृषि भूमि में काटी जा रही गैर पंजीकृत कालोनियों की संख्या कई गुना है, जो खेती की जमीन को बड़ा नुकसान पहुंचा रही हैं।
पंजीकृत कालोनियों से दस गुना अवैध कालोनियां
राज्य में पंजीकृत परियोजनाओं की बात करें तो अब तक 576 परियोजनाएं उत्तराखंड रेरा में पंजीकृत हैं, जबकि अवैध कालोनियों की संख्या 3000 से अधिक है। अवैध रूप से काटी जा रही कालोनियों से खेती की जमीन पर तो संकट आ ही रहा है, राज्य के राजस्व को भी बड़ा नुकसान पहुंच रहा है।
अब इंटरनेट मीडिया पर भी नजर
रेरा के सदस्य नरेश मठपाल ने बताया कि अब तक रेरा कृषि भूमि पर अवैध कालोनियां काटने वालों पर जुर्माना आदि की कार्यवाही नहीं करता था, लेकिन अब कृषि भूमि पर कालोनी काटने वालों को भी कार्यवाही के दायरे में लाया है। हाल ही में एक मामले में दो लाख रुपये का जुर्माना कालोनाइजर पर लगाया है, वहीं इंटरनेट मीडिया पर अवैध परियोजना का प्रचार करने वाले एजेंट पर भी जुर्माना लगाया गया है। इस प्रक्रिया को आगे तेज किया जाएगा।
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