आइआइपी रोजाना तैयार करेगा 10 हजार लीटर बायोफ्यूल, 50 करोड़ रुपये की योजना को मंजूरी
पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने बायोफ्यूल बनाने की भारतीय पेट्रोलियम संस्थान (आइआइपी) की 50 करोड़ रुपये की परियोजना पर मुहर लगा दी है।
सुमन सेमवाल, देहरादून। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2015 में पेरिस समझौते में विश्व को भरोसा दिलाया था कि साल 2030 तक कार्बन सिंक की क्षमता 2.5 से 03 बिलियन टन तक बढ़ाई जाएगी। जबकि इस समय हमारे वनों की जो क्षमता है, उसके चलते हम 0.6 से 1.1 बिलियन टन तक टारगेट से पीछे रह जाएंगे।
यही वजह है कि पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय कार्बन का उत्सर्जन कम करने के लिए तरह-तरह के उपाय कर रहा है। इसी उपाय में से एक यह भी है कि हवाई जहाज के ईंधन में 25 फीसद तक बायोफ्यूल मिलाया जाए। इस दिशा में बड़ा कदम उठाते हुए मंत्रालय ने बायोफ्यूल बनाने की भारतीय पेट्रोलियम संस्थान (आइआइपी) की 50 करोड़ रुपये की परियोजना पर मुहर लगा दी है। इसके तहत संस्थान रोजाना 10 हजार लीटर बायोफ्यूल तैयार करेगा।
भारतीय पेट्रोलियम संस्थान के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. अनिल सिन्हा ने बताया कि केंद्र से परियोजना को हरी झंडी मिलने के बाद अब उस स्थान की तलाश की जा रही है, जहां यह प्लांट लगाना सबसे अधिक मुफीद होगा। क्योंकि यह प्लांट वहीं लगाया जा सकता है, जहां अधिक मात्रा में वेस्ट कुकिंग ऑयल या वेस्ट पाम ऑयल मिल सके। पहले चरण में सेना और स्पाइस जेट को बायोफ्यूल मुहैया कराया जाएगा। इसके बाद विभिन्न स्थानों पर और भी प्लांट लगाकर धीरे-धीरे खुले बाजार में भी बायोफ्यूल मुहैया कराया जाएगा। इससे कार्बन उत्सर्जन में 15 फीसद तक की कमी संभव हो पाएगी।
वायु सेना को मिलेगा 8700 लीटर बायोफ्यूल
आइआइपी के वैज्ञानिक डॉ. सिन्हा ने बताया कि वायु सेना ने अपने फाइटर प्लेन में 10 फीसद बायोफ्यूल (सामान्य जेट में 25 फीसद तक) मिलाने का लक्ष्य रखा है। इसे देखते हुए आरंभिक स्थिति में सालभर के भीतर सेना को 8700 लीटर बायोफ्यूल की आपूर्ति शुरू की जाएगी। वर्तमान में सेना को 2100 लीटर बायोफ्यूल उपलब्ध कराया जा चुका है। इस ईंधन से वायु सेना इस गणतंत्र दिवस पर राजपथ में एंटोनोवा-32 की उड़ान का प्रदर्शन करेगी।
27 अगस्त को भरी थी पहली सफल उड़ान
भारतीय पेट्रोलियम संस्थान में तैयार किए गए बायोफ्यूल से पिछले साल 27 अगस्त 2018 को हवाई जहाज की सफल उड़ान भरी जा चुकी है। उस ऐतिहासिक दिन पर देहरादून के जौलीग्रांट स्थित एयरपोर्ट से स्पाइस जेट के विमान ने दिल्ली तक का सफर तय किया था। तब प्रयोगशाला स्तर के छोटे प्लांट से बायोफ्यूल तैयार किया गया था। इसके बाद वायु सेना के 5.50 करोड़ और सीएसआइआर के 5.50 करोड़ कुल 11 करोड़ रुपये से प्रतिदिन करीब 2500 लीटर क्षमता का प्लांट भी संस्थान में लगाया गया। इसके बाद अब संस्थान की बड़ी परियोजना को मंजूरी मिल चुकी है।
सामान्य ईंधन के करीब लाई जाएगी लागत
अभी जो बायोफ्यूल तैयार हो रहा है, उसकी लागत करीब 120 रुपये प्रति लीटर आ रही है, जबकि इसे 70 रुपये लीटर के आसपास लाने के प्रयास किए जा रहे हैं। वैज्ञानिकों का कहना है कि बड़ा प्लांट लग जाने के बाद इसकी दर 70 रुपये के आसपास आ पाएगी।
अमेरिका से बेहतर हमारा बायोफ्यूल
आइआइपी की तकनीक से तैयार बायोफ्यूल अमेरिका में बन रहे बायोफ्यूल से बेहतर है। आइआइपी के वैज्ञानिक डॉ. अनिल सिन्हा का कहना है कि अमेरिका में डबल प्रोसेसिंग से ईधन तैयार हो रहा है, जबकि वह सिंगल प्रोसेसिंग से इसे तैयार कर रहे हैं। इससे समय व लागत में भी कमी आती है।