प्राथमिक शिक्षा में ऐसे कैसे होगा सरकार का सपना पूरा, पढ़िए पूरी खबर
प्राथमिक विद्यालय में दो शिक्षकों की नियुक्ति सरकार ने अनिवार्य जरूर कर दी है लेकिन यह कैसे संभव होगा इस पर बजट में होमवर्क कम झलक रहा है।
देहरादून, अशोक केडियाल। ग्रामीण इलाकों में छात्रों को बेहतर शिक्षा देने के लिए हर प्राथमिक विद्यालय में दो शिक्षकों की नियुक्ति सरकार ने अनिवार्य जरूर कर दी है, लेकिन यह कैसे संभव होगा, इस पर बजट में होमवर्क कम झलक रहा है। प्रदेश में प्राथमिक शिक्षकों के करीब साढ़े छह हजार से अधिक पद खाली हैं, ऐसे में सरकार की यह योजना कैसे परवान चढेगी, यह माथे पर बल डाल रही है।
प्रदेश में वर्तमान में 12554 प्राथमिक विद्यालय संचालित हो रहे हैं। इनमें 10 से कम छात्र संख्या वाले 252 विद्यालयों को सरकार बंद कर चुकी है। आने वाले दो से तीन माह के भीतर 250 और स्कूलों को बंद कर दिया जाएगा। इसके बाद प्रदेश में 12002 प्राइमरी स्कूल वजूद में रहेंगे। बजट में की गई घोषणा अनुरूप इन स्कूलों के लिए न्यूनतम 24004 शिक्षकों की जरूरत होगी। दो सौ से तीन सौ छात्र संख्या वाले स्कूलों को भी जोड़ लें तो कुल मिलाकर तीस हजार शिक्षकों की जरूरत होगी। इस जरूरत को पूरा करने के लिए छह हजार से अधिक प्राइमरी शिक्षकों की तत्काल जरूरत होगी।
स्कूल में फर्नीचर भी चुनौती
विद्यालयी शिक्षा के लिए इस साल 7867.99 करोड़ रुपये के बजट का प्रविधान किया है। इसके तहत चालू वित्तीय वर्ष में तीन लाख छात्रों को फर्नीचर सुविधा उपलब्ध करने का लक्ष्य रखा गया है। जबकि, सरकार बीत साल में केवल एक लाख 23 हजार छात्रों को कही फर्नीचर उपलब्ध करवा सकी। यानि इस वर्ष जो लक्ष्य स्वयं तय गया है, वह शिक्षा विभाग के लिए चुनौती है।
यह भी सरकार की मंशा
- विद्यालयों में पांच हजार कंप्यूटरों की आपूर्ति की जाएगी।
- सरकारी विद्यालयों में संसाधनों का विकास किया जाएगा।
- सरकारी विद्यालयों को पूरी तरह टाटपट्टी मुक्त किया जाएगा।
- 500 राजकीय विद्यालयों में वर्चुअल क्लासरूम योजना से छह से 12वीं के बच्चे जुड़े।
दिग्विजय चौहान (महासचिव राजकीय प्राथमिक शिक्षक संघ) का कहना है कि दूरदराज के प्राइमरी स्कूल शिक्षकों की कमी से जूझ हैं। जबकि शहरी स्कूलों में ओवर स्टाफ है। मंत्री, उच्च अधिकारी व नेताओं के संबंधी व नाते-रिश्तेदार जुगाड़ लगातार शहरी क्षेत्र में डटे हैं। गांवों में नौकरी करना कोई नहीं चाहता। सरकार इस विषमता को पहले दूर करे।
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बीएड टीईटी पास डेढ़ वर्ष से धरना दे रहे
उत्तराखंड बीएड टीईटी प्रशिक्षित बेरोजगार संघ के अध्यक्ष बलवीर बिष्ट का कहना है कि वह पिछले 18 महीने से शिक्षा निदेशालय में धरना दे रहे हैं। संघ की मांग है कि प्राइमरी स्कूलों में रिक्त 2528 सहायक अध्यापकों के पदों पर उन्हें गुणांक ज्येष्ठता और वर्ष श्रेष्ठता के आधार पर नियुक्ति दी जाए, लेकिन सरकार इसकी अनदेखी कर रही है। एक ओर सरकार बजट भाषण में प्रदेश के प्रत्येक प्राइमरी स्कूल में कम से कम दो शिक्षकों की नियुक्ति की घोषणा कर रही है, वहीं दूसरी तरफ रिक्त पदों के सापेक्ष नियुक्ति मांग रहे प्रशिक्षित बेरोजगारों की मांगों पर कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा है।
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