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अब भला ऐसे कैसे स्वच्छ शहर के पैमाने पर खरा उतरेगा दून

स्वच्छ भारत अभियान से लाखों की तादाद वाली जनता भी नींद से जागी और काफी हद तक शहर की स्वच्छता के प्रति सुधार भी आया। पर सैकड़ों की संख्या वाला सरकारी तंत्र अभी तक नींद में है।

By Raksha PanthariEdited By: Published: Sat, 19 Jan 2019 04:08 PM (IST)Updated: Sat, 19 Jan 2019 08:47 PM (IST)
अब भला ऐसे कैसे स्वच्छ शहर के पैमाने पर खरा उतरेगा दून
अब भला ऐसे कैसे स्वच्छ शहर के पैमाने पर खरा उतरेगा दून

देहरादून, अंकुर अग्रवाल। स्वच्छ भारत अभियान के चार साल पूरे हो चुके हैं। लाखों की तादाद वाली जनता भी नींद से जागी और काफी हद तक शहर की स्वच्छता के प्रति सुधार भी आया, मगर सैकड़ों की संख्या वाला सरकारी तंत्र अभी तक नींद में है। सरकारी तंत्र एक कदम भी आगे नहीं बढ़ा। जिम्मेदार नगर निगम गुजरे चार वर्ष से संसाधन की कमी का रोना रोते हुए सफाई अभियान से पल्ला झाड़ता रहा तो सरकार निगम पर इसका ठीकरा फोड़ती रही। बात शहरवासियों की करें तो घरों या दुकान के बाहर कूड़ा फेंकने के बदले अब लोग कूड़ा कलेक्शन सेंटर पर कूड़ा फेंकने जा रहे। अलबत्ता, सरकारी मशीनरी इसकी  लिफ्टिंग में जरूर फेल रही। 

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अब बात हो रही देशभर के शहरों की स्वच्छता सर्वेक्षण सूची की। अपने शहर में भी केंद्र की टीम सर्वेक्षण के लिए कभी भी गुप्त रूप से सर्वे कर सकती है। सर्वेक्षण मानकों को लेकर इन दिनों नगर निगम की नींद उड़ी हुई है। दरअसल, इस बार शहरों को कड़े मापदंडों से गुजरना होगा। जिसमें सबसे अहम है आमजन का फीडबैक। वो भी डोर-टू-डोर कूड़ा उठान और शहर की स्वच्छता को लेकर। 

अब दून शहर में भला कौन नगर निगम को इसमें सही ठहराएगा। शहर में कूड़ा उठान के जो हालात हैं, वह किसी से छुपे नहीं हैं। डोर-टू-डोर कूड़ा उठान के वाहन नियमित तो दूर एक हफ्ते तक वार्डों में नहीं पहुंचते। घरों में कूड़े व गंदगी के ढेर लगे रहते हैं और लोग कूड़ा उठान वाहनों का इंतजार करते-करते थक जाते हैं। 

सर्वेक्षण का उद्देश्य स्वच्छता में नागरिकों की भागीदारी बढ़ाना, शहरों को कचरामुक्त करना, खुले में शौच मुक्त स्थिति को बनाए रखना, नतीजों व विषयों को तीसरे पक्ष में प्रमाणित कराना, ऑनलाइन प्रक्रियाओं के माध्यम से वर्तमान प्रक्रियाओं को बदलकर समाज को सुविधा देना व समाज के सभी वर्गों के लिए शहर को रहने के लिए बेहतर स्थान बनाने के लिए जागरूकता पैदा करना है।  

इस बार सभी शहर शामिल 

देशभर में लागू स्वच्छता सर्वेक्षण 2016 सिर्फ 73 शहरों को शामिल किया था। फिर सर्वेक्षण 2017 में 434 व सर्वेक्षण 2018 में 4203 शहरों का सर्वेक्षण हुआ। केंद्र ने इस मर्तबा बड़ा बदलाव करते हुए सर्वेक्षण में सभी शहरों को शामिल किया है। 

नए सर्वेक्षण में किए गए बदलाव 

स्वच्छता सर्वेक्षण 2019 में बदलाव किया गया है। देश के सभी शहरों और नगरों में 4 से 31 जनवरी 2019 के बीच सर्वेक्षण किया जाएगा। इस बार शहरों की पुलिस कालोनियों व शासकीय कालोनियों को भी शामिल किया है।  5000 अंकों के सर्वे में चार भाग होंगे। हर भाग 1250 अंकों का है। प्रमाणीकरण का नया भाग जोड़ा है। जिसका 20 प्रतिशत स्टाफ रेटिंग और 5 प्रतिशत ओडीएफ, ओडीएफ प्लस, ओडीएफ डबल प्लस का होगा।  

स्वच्छता सर्वेक्षण 2019 की प्रमुख विशेषताएं 

-ऑनलाइन व्यवस्था के माध्यम से डिजिटल सर्वे किया जाएगा। 

-सर्वेक्षण प्रश्नावली में 5000 अंक होंगे, जबकि वर्ष 2018 के सर्वेक्षण में 4000 अंक रखे गए थे। 

-सर्वेक्षण के लिए डाटा संकलन का काम चार प्रमुख स्रोतों से किया जाएगा। जिनमें सेवा स्तर पर हुई प्रगति, प्रत्यक्ष निगरानी, लोगों से प्राप्त फीडबैक और प्रमाणन शामिल है।   

-प्रमाणन (कचरा और खुले में शौच से मुक्त शहरों के लिए स्टार रेटिंग का होगा प्रोटोकॉल) 

स्टार रेटिंग के दो मानक 

केंद्र ने शहरों को स्टार रेटिंग देने के लिए दो अलग-अलग मानक निर्धारित किए हैं। कचरा मुक्त शहरों के लिए स्टार रेटिंग में 12 मानकों के आधार पर शहरों की जांच की जाएगी। इसमें नालियों और जल स्रोतों की साफ सफाई, प्लास्टिक कचरा प्रबंधन, निर्माण-तोडफ़ोड़ की गतिविधियों के दौरान निकलने वाले कचरे के निपटान आदि बातें शामिल की गई हैं। इसमें कचरा मुक्त शहर के लिए 1000, ओडीएफ को लेकर 250 अंक से रेटिंग तय होगी। 

इस बार बढ़ाया एक घटक 

इस बार तीन से बढ़कर चार घटक हो गए हैं। स्वच्छता सर्वेक्षण 2018 में तीन घटक थे, जो कि कुल 4000 अंकों के थे। इसमें सेवा स्तर प्रगति 35, प्रत्यक्ष अवलोकन 30 एवं नागरिक प्रतिक्रिया 35 प्रतिशत का था। इस बार नया घटक जोड़कर चार घटक हो गए। प्रत्यक्ष अवलोकन 25, सेवा स्तर पर प्रगति 25, नागरिक प्रतिक्रिया 25 और अंत में प्रमाणीकरण 25 प्रतिशत हिस्सा होगा। 

ऑनलाइन होगी जांच     

सर्वेक्षण 2018 में टीमों ने नगर निकाय कार्यालयों में पहुंचकर दस्तावेज की जांच की थी। इस मर्तबा कोई टीम नहीं आएगी। स्वतंत्र संस्था की ओर से प्रमाणीकरण और ऑनलाइन वेरिफिकेशन समेत नागरिकों का फीडबैक और ऑन ग्राउंड स्क्रूटनी होगी। 

डोर-टू-डोर कूड़ा उठान भी ठप 

वर्ष 2011 तक शहर में जहां देखो वहीं कूड़ा फेंक दिया जाता था पर अगस्त-11 में जेएनएनयूआरम के तहत डोर-टू-डोर कूड़ा कलेक्शन का काम शुरू किया गया। सालिड वेस्ट मैनेजमेंट प्लांट के तहत यह काम डीवीडब्लूएम को मिला। दो साल के बाद कंपनी बेपटरी होती चली गई। तमाम विरोध होने पर मार्च-2014 में नगर निगम द्वारा कंपनी से करार तोड़ लिया गया और डोर-टू-डोर कलेक्शन का जिम्मा निगम ने अपने कंधों पर ले लिया। अब हालात यह हो गए कि जहां कूड़ा कलेक्शन व्यवस्था जैसे-तैसे चल रही थी, वहां भी ठप पड़ती चली गई। इन दिनों गाड़ियां हफ्तेभर तक गली व मोहल्लों में नहीं पहुंच रही। शहर का वीवीआइपी इलाका यमुना कालोनी हो या नेशविला रोड या पटेलनगर। हर तरफ गंदगी ही गंदगी पसरी हुई है। 

समय भी बिगाड़ रहा व्यवस्था 

कूड़ा उठान बेपटरी की एक वजह समय से काम न करना भी है। कर्मचारी सुबह के बजाए दोपहर में कूड़ा उठाने निकलते हैं व जब तक वे कूड़ा उठाते हैं तब तक दोपहर का कूड़ा डंप होना शुरू हो जाता है। पुराने कूड़े के उठते-उठते ही नया कूड़ा शहर में पड़ चुका होता है। शहर कभी साफ नजर ही नहीं आता। 

ये है निगम की सफाई व्यवस्था 

100 वार्ड, 18 सफाई निरीक्षक, 60 सुपरवाइजर, 636 नियमित सफाई कर्मी, 120 संविदा सफाई कर्मी व 310 एजेंसी कर्मी। नाला गैंग के 60 कर्मियों के साथ छह टैक्ट्रर नालों की सफाई के लिए। एक टीएमएक्स मशीन बड़े नालों की सफाई के लिए। 

350 मीट्रिक टन कूड़ा, उठान 200 

निगम के अनुमान के मुताबिक शहर में रोजाना करीब 350 मीट्रिक टन कूड़ा एकत्र होता है। हालिया व्यवस्था में निगम केवल 200 मीट्रिक टन के आसपास कूड़ा उठान कर पा रहा। बाकी कूड़ा नदी-नालों में या इधर-उधर ठिकाने लगा दिया जाता है। 

वरिष्ठ नगर स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. आरके सिंह ने बताया कि इस बार प्रोजेक्ट ऑनलाइन जमा किया जाना था, जो निगम कर चुका है। केंद्र से गोपनीय टीम स्वतंत्र रूप से स्वच्छता की जांच करेगी। निगम पूरी तरह तैयार है। 

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