Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    Holi 2023: उत्‍तराखंड के 100 गांवों में आज भी नहीं मनाया जाता रंगों का त्‍योहार होली? पढ़ें इसके पीछे की वजह?

    By Jagran NewsEdited By: Nirmala Bohra
    Updated: Mon, 06 Mar 2023 02:58 PM (IST)

    Holi 2023 उत्‍तराखंड के कुमाऊं की बैठकी और खड़ी होली देश-दुनियाभर में जानी जाती है। लेकिन उत्‍तराखंड के करीब सौ गांव ऐसे भी हैं। जहां रंगों का यह त्‍योहार नहीं मनाया जाता है। आइए जानते हैं इसके पीछे की वजह...

    Hero Image
    Holi 2023 : अनहोनी की आशंका में यहां के ग्रामीण होली नहीं मनाते हैं।

    टीम जागरण, देहरादून: Holi 2023 : उत्‍तराखंड में धूमधाम से होली मनाई जा रही है। उत्‍तराखंड के कुमाऊं की बैठकी और खड़ी होली देश-दुनियाभर में जानी जाती है।

    बैठकी होली के बाद खड़ी होली के साथ ही हर ओर गुलाल के बीच ढोल-मंजीरे की थाप सुनाई दे रही है। लेकिन उत्‍तराखंड के करीब सौ गांव ऐसे भी हैं। जहां रंगों का यह त्‍योहार नहीं मनाया जाता है।

    जी हां, राज्‍य के सीमांत पिथौरागढ़ जिले के धारचूला, मुनस्यारी और डीडीहाट के करीब सौ गांवों में होली नहीं मनाई जाती है। यहां होली मनाना अपशकुन माना जाता है। अनहोनी की आशंका में यहां के ग्रामीण होली नहीं मनाते हैं।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    पसरा रहता है सन्नाटा

    चीन और नेपाल सीमा से लगे इन गांवों में होली की धूम की जगह गहरा सन्‍नाटा पसरा छाया रहता है। पुराने समय से यहां मिथक चला आ रहा है, जिस कारण यहां होली मनाना वर्जित है।

    धारचूला, मुनस्यारी और डीडीहाट में होली न मनाने के अलग-अलग कारण हैं। मुनस्यारी में होली मनाने पर किसी अनहोनी की आशंका रहती है। डीडीहाट में अपशकुन तो धारचूला के गांवों में छिपलाकेदार की पूजा करने वाले होली नहीं मनाते हैं।

    शिव की भूमि पर रंगों का प्रचलन नहीं

    दरअसल धारचूला के रांथी, जुम्मा, खेला, खेत, स्यांकुरी, गर्गुवा, जम्कू, गलाती सहित अन्य गांव शिव के पावन स्थल छिपलाकेदार में स्थित हैं। स्‍थानीय लोगों के अनुसार पूर्वजों के अनुसार शिव की भूमि पर रंगों का प्रचलन नहीं होता है। इस परंपरा का आज तक पालन किया जा रहा है।

    सांपों ने रोक दिया था होल्‍यार का रास्‍ता

    मुनस्यारी के चौना, पापड़ी, मालूपाती, हरकोट, मल्ला घोरपट्टा, तल्ला घोरपट्टा, माणीटुंडी, पैकुटी, फाफा, वादनी सहित कई गांवों में होली नहीं मनाई जाती है।

    स्‍थानीय लोगों की मानें तो एक बार होल्यार देवी के प्रसिद्ध भराड़ी मंदिर में होली खेलने जा रहे थे। तब सांपों ने उनका रास्ता रोक दिया। इसके बाद होली गाने या होली खेलने वाले के घर में कुछ न कुछ अनहोनी हो जाती थी। तब से यहां होली नहीं मनाई जाती।

    पास के गांवों में भी होली आयोजन में भी शामिल नहीं होते

    डीडीहाट के दूनकोट क्षेत्र के स्‍थानीय निवासी बताते हैं कि प्राचीन समय में गांवों में होली मनाने पर कई प्रकार के अपशकुन हुए। तब से होली नहीं मनाई जाती है। इतना ही नहीं यहां के लोग पास के गांवों में मनाई जाने वाले होली आयोजन में भी शामिल नहीं होते हैं।