Move to Jagran APP

नीति आयोग की तर्ज पर अब उत्तराखंड में बना हिमालय प्रकोष्ठ

राज्य ने भी अलग हिमालय प्रकोष्ठ गठित कर दिया है। राज्य सरकार ने नीति नियोजन का दायरा बढ़ाने और उसे मजबूती देने को जीआइएस प्रकोष्ठ बनाने पर भी मुहर लगा दी गई है।

By Edited By: Published: Mon, 24 Feb 2020 09:59 PM (IST)Updated: Tue, 25 Feb 2020 07:54 AM (IST)
नीति आयोग की तर्ज पर अब उत्तराखंड में बना हिमालय प्रकोष्ठ
नीति आयोग की तर्ज पर अब उत्तराखंड में बना हिमालय प्रकोष्ठ

देहरादून, रविंद्र बड़थ्वाल। उत्तराखंड की मध्य हिमालयी विशिष्ट पारिस्थितिकी अब उसके नीति नियोजन का नियमित हिस्सा बनने जा रही है। वनों के रूप में पर्यावरणीय सेवाओं के बूते केंद्रीय करों में बढ़ाई गई हिस्सेदारी ने राज्य के हौसले को हिमालयी आधार दे दिया है। नतीजतन नीति आयोग की तर्ज पर राज्य ने भी अलग हिमालय प्रकोष्ठ गठित कर दिया है। राज्य सरकार ने नीति नियोजन का दायरा बढ़ाने और उसे मजबूती देने को जीआइएस (भूगर्भ सूचना प्रणाली) प्रकोष्ठ बनाने पर भी मुहर लगा दी गई है। 

loksabha election banner

71 फीसद वन के रूप में पूरे देश को तकरीबन सालाना तीन लाख करोड़ की पर्यावरणीय सेवाएं दे रहा उत्तराखंड अब अपने साथ अन्य 10 हिमालयी राज्यों को लामबंद कर चुका है। इन राज्यों की पीड़ा यही है कि हिमालयी क्षेत्र समूचे देश को मजबूत पारिस्थितिकी तंत्र और पर्यावरणीय सेवाएं दे रहा है। इस बड़े योगदान के बावजूद इन राज्यों के खुद के नसीब में ढांचागत विकास और आर्थिकी में बंदिशें हैं। 

15वें वित्त आयोग ने अपनी हालिया सिफारिश में केंद्रीय करों में उत्तराखंड की हिस्सेदारी को 7.5 फीसद से बढ़ाकर 10 फीसद किया है। हिमालयी चिंताओं को केंद्र में रखकर राज्य की मुहिम कुछ हद तक परवान चढऩे के बाद राज्य ने खुद भी राज्य योजना आयोग के अधीन हिमालय प्रकोष्ठ के गठन पर मुहर लगा दी है। इसमें एक रिसर्च अफसर का पद सृजित किया गया है, जबकि आउटसोर्सिंग से एक विशेषज्ञ की सेवाएं ली जाएंगी। यह प्रकोष्ठ हिमालयी पारिस्थितिकी और सरोकारों को केंद्र में रखकर राज्य के नीति नियोजन में मदद करेगा। 

यह भी पढ़ें: गंगा समेत तमाम नदियों में डाला जा रहा मलबा, रोकने के इंतजाम सिर्फ खानापूर्ति

इसके अतिरिक्त राज्य योजना आयोग के अधीन ही जीआइएस प्रकोष्ठ और ईएपी (बाह्य सहायतित योजनाएं) प्रकोष्ठ गठित किए गए हैं। जीआइएस प्रकोष्ठ समूचे प्रदेश में सड़कों, पुलों, सरकारी भवनों समेत परिसंपत्तियों की मैपिंग करेगा। वित्त सचिव अमित नेगी के मुताबिक ढांचागत विकास से जुड़े बड़े प्रोजेक्ट के लिए अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय संस्थानों की मदद लेने पर प्रकोष्ठ का विशेष जोर रहेगा।  आउटसोर्स से तीन विशेषज्ञों की मदद से प्रकोष्ठ यही भूमिका निभाने जा रहा है। 

यह भी पढ़ें: उत्तराखंड की खनन नीति में एक बार फिर से बदलाव की तैयारी में प्रदेश सरकार


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.