राजमार्ग खंड ने हाईकोर्ट में हरिद्वार बाईपास रोड प्रकरण के निस्तारण की गुहार लगाई
हरिद्वार बाईपास रोड की फोर लेन करने की उम्मीद बढ़ गई है। राष्ट्रीय राजमार्ग खंड ने हाईकोर्ट से आग्रह किया है कि प्रकरण पर अंतिम आदेश पारित कर दिया जाना चाहिए।
देहरादून, जेएनएन। सात साल से अधर में लटकी हरिद्वार बाईपास रोड को डबल लेन से फोर लेन करने की उम्मीद बढ़ गई है। राष्ट्रीय राजमार्ग खंड ने हाईकोर्ट से आग्रह किया है कि लंबित प्रकरण पर अंतिम आदेश पारित कर दिया जाना चाहिए। अभी चौड़ीकरण कार्य को लेकर कोर्ट का स्टे भले ही न हो, मगर सड़क परिवहन राजमार्ग मंत्रलय ने स्पष्ट किया था कि नए टेंडर को तभी स्वीकृति दी जाएगी, जब कोर्ट से प्रकरण का निस्तारण हो जाएगा। लिहाजा, अब यह अड़चन भी दूर होती दिख रही है।
हरिद्वार बाईपास रोड के चौड़ीकरण पर ग्रहण लगने की शुरुआत तभी हो गई थी, जब इसके टेंडर जारी किए गए थे। राष्ट्रीय राजमार्ग खंड, रुड़की (अब डोईवाला) ने चौड़ीकरण कार्य की लागत 14.21 करोड़ रुपये आंकी थी। इसी आधार पर वर्ष 2012 में टेंडर मांगे गए थे, मगर सबसे कम दर आई 11.81 करोड़ रुपये। यह दर बाजार दर से भी करीब 17 फीसद कम थी। ऐसे में तकनीकी समिति को यह देखना था कि इतनी कम दर पर काम हो भी पाएगा या नहीं।बिना उचित आकलन के अधिकारियों ने रेसकोर्स के अमृत डेवलपर्स के टेंडर को हरी झंडी दे दी।
जिसका असर यह हुआ कि अनुबंध (सितंबर 2012) के छह बाद भी काम की प्रगति नगण्य रहने पर ठेकेदार पर पेनल्टी लगा दी गई थी। साथ ही ठेकेदार से काम भी छीन लिया गया था। इसके खिलाफ ठेकेदार ने हाईकोर्ट में वाद दाखिल कर दिया था। कोर्ट के आदेश पर ठेकेदार को काम करने का एक अवसर और दिया गया था, मगर इसके बाद भी काम नहीं हो पाया। तभी से यह मामला कोर्ट में लंबित चल रहा है। पहले इस काम को आगे बढ़ाने के लिए कोर्ट ने स्टे दे रखा था, जबकि करीब डेढ़-दो साल पहले स्टे भी हट गया था।
स्टे हटते ही राजमार्ग खंड डोईवाला में नए सिरे से टेंडर कराने के लिए केंद्र सरकार को प्रस्ताव भेजा था। मगर, कोर्ट में मामला लंबित होने के चलते केंद्र ने प्रस्ताव को हरी झंडी देने का साहस नहीं उठाया। राज्य के अधिकारी भी प्रकरण पर सुस्त बने रहे और करीब एक साल से कोर्ट में प्रभावी पैरवी के भी प्रयास नहीं किए गए। अब अच्छी बात यह है कि पिछले सप्ताह खंड अधिकारियों ने कोर्ट में लंबित प्रकरण पर अंतिम निर्णय देने का आवेदन कर दिया है। खंड के सहायक अभियंता सुरेंदर सिंह का कहना है कोर्ट से राहत मिलने की पूरी उम्मीद है। लिहाजा, नए टेंडर पर काम शुरू करने के लिए आवश्यक तैयारियां भी पूरी कर ली गई हैं।
पराने ठेकेदार को किया 2.41 करोड़ का भुगतान
पुराने ठेकेदार ने करीब 20 फीसद काम किया था, जिसके बदले उसे 2.41 करोड़ रुपये का भुगतान भी किया जा चुका है। यानी कि ठेकेदार की विभाग पर किसी तरह की देनदारी भी नहीं है। ऐसे में कोर्ट से मामला निस्तारित होते ही बिना व्यवधान के टेंडर आमंत्रित किए जा सकते हैं।
अस्त-व्यस्त हैं चौक, हर आधा किमी पर एक डेंजर जोन
महज चार किलोमीटर की बाईपास रोड पर नजर डालें तो यहां हर आधा किलोमीटर पर एक डेंजर जोन है। कहने को यहां ब्रदृमणवाला चौक, सरस्वती विहार चौक, मोथरोंवाला चौक, पुरानी बाईपास चौकी का चौक हैं, जिनसे लोग मुख्य शहर व दूसरे छोर के बड़े इलाकों में आवाजाही करते हैं। यह बात और है कि इनमें से किसी भी चौक को व्यवस्थित रूप नहीं दिया जा सका है। इसके चलते इन क्षेत्रों में आए दिन हादसे होते रहते हैं। दूसरी तरफ सड़क के कच्चे व भाग के बीच काफी अंतर होने के चलते स्थिति और खतरनाक हो रखी है।
पुल के नाम पर सड़क का कटान, कुछ ढांचे ही हैं खड़े
इस 20 फीसद काम में कारगी के पास पुराने पुल की जगह नए पुल के निर्माण के दो शुरुआती अवस्था के ढांचे अस्तित्व में हैं और कुछ सामान किनारे पर पड़ा है। इसके अलावा रोड कटिंग का काम ही हो पाया है।
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मोथरोवाला चौक पर की जा रही खानापूर्ति
मोथरोवाला व पुरानी बाईपास चौकी के चौक पर सड़क को अस्थाई डिवाइडर से दो भागों में बांटा गया है। हालांकि, इन्हें इतने अव्यवहारिक ढंग से लगाया गया है कि किसी भी मध्यम व बड़े वाहन को यहां पर मुड़ने में काफी मशक्कत करनी पड़ती है। इसके अलावा डिवाडर की लंबाई सीमित होने के चलते लोग दूसरी तरफ जाने को पूरा फेरा लगाने की जगह उल्टी दिशा में भी गुजर पड़ते हैं।
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