Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    जंगल की आग पर उत्तराखंड में हाई अलर्ट, सेटेलाइट आधारित फायर अलार्म सिस्टम होगा शुरू

    By Raksha PanthariEdited By:
    Updated: Sun, 01 Nov 2020 09:10 AM (IST)

    उत्तराखंड में सर्दी की दस्तक के साथ ही जंगलों के धधकने का क्रम शुरू होने के मद्देनजर हाई अलर्ट घोषित कर दिया गया है। सभी वन प्रभागों को अपने- अपने क् ...और पढ़ें

    Hero Image
    जंगल की आग पर उत्तराखंड में हाई अलर्ट।

    देहरादून, राज्य ब्यूरो। विषम भूगोल और 71.05 प्रतिशत वन भूभाग वाले उत्तराखंड में सर्दी की दस्तक के साथ ही जंगलों के धधकने का क्रम शुरू होने के मद्देनजर हाई अलर्ट घोषित कर दिया गया है। सभी वन प्रभागों को अपने- अपने क्षेत्रों में चौबीसों घंटे वनकर्मियों की टीमें सक्रिय रखने के निर्देश दिए गए हैं। रविवार से राज्य में सेटेलाइट आधारित फायर अलर्ट सिस्टम भी शुरू किया जा रहा है, जिसकी तैयारी पूरी कर ली गई है। राज्य स्तरीय कंट्रोल रूम से यह सूचनाएं रेंज स्तर तक पहुंचाई जाएंगी, जिससे कहीं भी आग की सूचना पर उसे तुरंत बुझाने को कदम उठाए जा सकें।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    जंगलों की आग के लिहाज से फायर सीजन (15 फरवरी से मानसून के आगमन तक का समय) प्रारंभ होने में भले ही वक्त हो, राज्य में जंगल अभी से सुलगने लगे हैं। पिथौरागढ़, बागेश्वर, अल्मोड़ा, पौड़ी व उत्तरकाशी जिलों के जंगल हाल में धधके हैं। वन महकमे द्वारा कारणों की पड़ताल की गई तो बात सामने आई कि अक्टूबर में बारिश न होने से जंगलों में नमी कम हो गई है। जगह-जगह घास भी सूख चुकी है या सूखने के कगार पर है। यही नहीं, आग की घटनाएं भी उन क्षेत्रों में अधिक हो रहीं, जहां वन सीमा से सटे खेतों में अगली फसल की बुआई के मद्देनजर कूड़ा जलाया गया।

    मौजूदा परिस्थितियों को देखते हुए वन महकमे ने जंगलों की आग को लेकर राज्य में हाई अलर्ट घोषित कर दिया गया है। नोडल अधिकारी (वनाग्नि एवं आपदा प्रबंधन) मान सिंह ने इसकी पुष्टि की। उन्होंने बताया कि सभी वन प्रभागों से कहा गया है कि वे उपलब्ध मानव संसाधन के मद्देनजर आग बुझाने के लिए टीमें गठित कर लें। ये चौबीसों घंटे सक्रिय रहेंगी, ताकि कहीं भी आग की सूचना मिलने पर आग बुझाने की कार्रवाई की जा सके। 

    यह भी पढ़ें: जंगल की बात : धधकते जंगल और बेबस वन महकमा

    उन्होंने बताया कि एक नवंबर से फायर अलर्ट सिस्टम शुरू करने के मद्देनजर सभी वन प्रभागों में वायरलेस की टेस्टिंग कराई जा चुकी है। उन्होंने बताया कि भारतीय वन सर्वेक्षण से सेटेलाइट आधारित फायर अलर्ट विभाग के राज्य स्तरीय कंट्रोल रूम को मिलने लगेंगे। फिर यह सूचनाएं कंट्रोल रूम से वायरलेस, मोबाइल आदि के जरिये रेंज स्तर तक पहुंचाई जाएंगी। साथ ही यह सूचनाएं भी साझा की जाएंगी कि किस क्षेत्र में आर्द्रता कम है और कहां आग लगने की संभावना अधिक है।

    यह भी पढ़ें: नमी गायब, धधकने लगे हैं जंगल