Health Tips : बैठने ही नहीं देर तक खड़े रहने के भी गंभीर परिणाम, हो सकती है मौत
Health Tips देर तक खड़े रहने से भी नसों से संबंधित बीमारी (Nerve Disease) हो सकती है। उत्तराखंड के एकमात्र वैस्कुलर सर्जन डा. प्रवीण जिंदल ने देहरादून व आसपास के स्कूलों में अध्ययन कर यह निष्कर्ष निकाला है।
जागरण संवाददाता, देहरादून : Health Tips: अधिक समय तक एक स्थान पर बैठने से ही नहीं बल्कि देर तक खड़े रहने से भी नसों से संबंधित बीमारी (Nerve Disease) हो सकती है।
स्कूलों में बच्चों को पढ़ाने वाले शिक्षक भी अक्सर नसों से संबंधित इस तरह की बीमारी यानी वैरिकोज (Varicose) की समस्या से ग्रसित हो रहे हैं। क्योंकि अधिकांश स्कूलों में शिक्षक खड़े होकर ही बच्चों को पढ़ाते हैं।
नियमित जीवनशैली भी नसों से जुड़ी बीमारियों का प्रमुख कारण
उत्तराखंड के एकमात्र वैस्कुलर सर्जन डा. प्रवीण जिंदल ने देहरादून व आसपास के स्कूलों में अध्ययन कर यह निष्कर्ष निकाला है। इसके अलावा उन्होंने मधुमेह, धूमपान व शराब का सेवन व अनियमित जीवनशैली भी नसों से जुड़ी बीमारियों को भी प्रमुख कारण बताया है।
- डा. प्रवीण जिंदल का कहना है कि रक्त वाहिकाएं शरीर के विभिन्नि अंगों में आक्सीजन युक्त रक्त ले जाने वाली धमनियां व डीआक्सीजेनेटेड रक्त को हृदय में वापस ले जाने वाली नसें हैं।
- आक्सीजन के बिना शरीर का कोई भी अंग काम नहीं कर सकता है।
- धमनियों व नसों के रोग ऐसी स्थितियों का कारण बन सकते हैं जो या तो रक्त की आपूर्ति को रोक या कम कर सकते हैं।
- इस प्रकार के रोग में रक्त के थक्के बनना या धमनियों का सख्त होने जैसे लक्षण दिख सकते हैं।
- इसके अलावा चलने-फिरने पर पैर या टांगों में दर्द अथवा थकावट महसूस होना, स्ट्रोक, पेट दर्द व गैंग्रीन जैसी बीमारी भी नसों में खून की आपूर्ति बाधित होने से हो सकती है।
- डीप वेन थ्रोम्बोसिस (Deep Vein Thrombosis) यानी नसों में रक्त के थक्के जमने से व्यक्ति की मौत तक हो सकती है।
- वहीं क्रानिक शिरापरक रोग व वैरिकोज नसें भी व्यक्ति के लिए प्राणघातक साबित हो सकती है।
- डा. जिंदल का कहना है कि अन्य राज्यों की तुलना में नसों से संबंधित बीमारी से ग्रसित मरीजों की संख्या उत्तराखंड में अधिक है। क्योंकि यहां पर लोग धूमपान व शराब का सेवन अधिक करते हैं।
- नसों से जुड़ी बीमारियों का समय पर इलाज नहीं कराने से व्यक्ति के शरीर को नुकसान पहुंच सकता है।
- कम दूरी तय करने में ही थकावट महसूस होना, पैरों व टांगों में सूजन, पैर के रंग का परिवर्तन होना, सुन्नपन, पैर की उंगलियों का काला पड़ना, पेट में तेज दर्द होना, लकवा जैसे लक्षण दिखने पर तुरंत वैस्कुलर चिकित्सक से सलाह लेकर इलाज करना चाहिए।
शुगर व कोलेस्ट्राल ( Cholesterol) पर करें नियंत्रण
डा. प्रवीण जिंदल का कहना है कि स्वस्थ्य जीवनशैली, धूमपान व शराब का सेवन नहीं करना, संतुलित आहार, शुगर व कोलेस्ट्राल पर नियंत्रण करने से भी नसों से संबंधित बीमारियों से बचा जा सकता है।
सर्दी-खांसी से लेकर कई बड़ी और ख़तरनाक बीमारियों में भी तुलसी एक कारगर औषधि साबित होती है।