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उत्तराखंड में खुशियों की सवारी पर बैकफुट पर आया स्वास्थ्य महकमा

खुशियों की सवारी के संचालन को लेकर बड़े-बड़े दावा करने वाला स्वास्थ्य महकमा अब बैकफुट पर है। इसका संचालन को अब फिर पीपीपी मोड पर देने की तैयारी है।

By BhanuEdited By: Published: Fri, 21 Jun 2019 08:45 AM (IST)Updated: Fri, 21 Jun 2019 02:31 PM (IST)
उत्तराखंड में खुशियों की सवारी पर बैकफुट पर आया स्वास्थ्य महकमा
उत्तराखंड में खुशियों की सवारी पर बैकफुट पर आया स्वास्थ्य महकमा

देहरादून, जेएनएन। खुशियों की सवारी के संचालन को लेकर बड़े-बड़े दावा करने वाला स्वास्थ्य महकमा अब बैकफुट पर है। जल्दबाजी में मुख्य चिकित्साधिकारियों को संचालन का जिम्मा जरूर दिया गया पर योजना पर ब्रेक लगने और संचालन में आ रही दिक्कतों के चलते अधिकारियों ने हाथ खड़े कर दिए। यही वजह है कि संचालन अब फिर पीपीपी मोड पर देने की तैयारी है। इसके लिए टेंडर प्रक्रिया भी शुरू कर दी गई है। 

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108 सेवा के साथ ही सूबे में खुशियों की सवारी का भी संचालन होता रहा है। इन वाहनों का काम प्रसव बाद जच्चा-बच्चा को सुरक्षित घर तक पहुंचाना है। 108 सेवा की तरह ही यह सेवा भी सूबे में खूब प्रचलित हुई। इस साल जीवीके ईएमआरआई कंपनी का अनुबंध समाप्त होने के साथ ही इन वाहनों का संचालन ठप पड़ गया। 

दरअसल, 108 का टेंडर तो कैंप कंपनी को दे दिया गया, लेकिन खुशियों की सवारी के संचालन की जिम्मेदारी मुख्य चिकित्साधिकारियों को दे दी गई। इससे वाहन पर आने वाले खर्च से लेकर चालक एवं अन्य स्टाफ की भर्ती का बंदोबस्त न होने के कारण इनके संचालन में दिक्कतें पेश आ रही थीं। 

इसके चलते तमाम वाहन जिला मुख्यालयों पर ही खड़े रहे। बीते दिनों अधिकारियों ने शासन से इसे लेकर दिशा-निर्देश मांगे, लेकिन शासन ने भी स्थिति स्पष्ट नहीं की। 

एनएचएम के मिशन निदेशक युगल किशोर पंत ने बताया कि तमाम दिक्कतों को देखते हुए विभाग ने खुशियों की सवारी के लिए टेंडर कराने का निर्णय किया है। इसकी प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। 

बता दें, राज्य में इस सेवा की शुरुआत 19 सितंबर 2011 को की गई थी। उस वक्त योजना किराये के वाहनों के माध्यम से संचालित की जा रही थी। इससे संचालन में कठिनाइयां हो रही थीं। 30 मार्च 2013 को खुशियों की सवारी योजना में 90 नए एंबुलेंस शामिल की गईं। बाद में इसमें सात वाहन और जुड़े। वर्तमान में प्रदेशभर में 97 खुशियों की सवारी संचालित की जा रही हैं।

हर आयुष कॉलेज से जुड़ेंगे 20 हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर

प्रदेश के आयुष कॉलेजों पर जन स्वास्थ्य की अब एक नई जिम्मेदारी आने जा रही है। आयुष्मान भारत योजना के पहले चरण में गरीबों को निश्शुल्क उपचार देने के बाद दूसरे चरण में हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर खोले जा रहे हैं। इस मुहिम के तहत प्रत्येक आयुष कॉलेज से 20 हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर जोड़े जाएंगे।

बता दें, आयुष्मान भारत योजना के तहत देशभर में हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर खोले जाने हैं। जिसमें दस फीसद आयुष केंद्र होंगे। आयुर्वेद विभाग का प्रदेश में 112, जबकि होम्योपैथिक का 25-30 केंद्र खोलने का प्रस्ताव है। इन स्वास्थ्य केंद्रों पर 12 तरह की स्वास्थ्य सुविधाएं मिलेंगी। 

इसमें गर्भवती महिलाओं की देखरेख, शिशु स्वास्थ्य, कुपोषण, मधुमेह, दिल, फेफड़ों में संक्रमण, परिवार नियोजन, नाक, कान व गले संबंधित बीमारियां, पैलेटिव केयर आदि को शामिल किया गया है। इसके अलावा बुजुर्गों के उपचार के लिए अलग यूनिट का भी प्रस्ताव है। 

यहां ब्लड प्रेशर, मधुमेह और कैंसर जैसी बीमारियों की स्क्रीनिंग की भी व्यवस्था होगी। किसी गंभीर बीमारियों का लक्षण पता चलने के बाद मरीज को बड़े अस्पताल में रेफर कर किया जाएगा। इसके अलावा यहां योग, पंचकर्म सहित प्राकृतिक चिकित्सा का लाभ भी मरीजों को मिलेगा।

उत्तराखंड आयुर्वेद विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. अभिमन्यु कुमार ने बताया कि आयुष्मान भारत योजना में सरकार ने एक आयुष कॉलेज को 20 हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर से जोड़ने का निर्णय लिया है। इससे स्वास्थ्य सुविधाएं सुदृढ़ होंगी। प्रदेश में 16 आयुर्वेद कॉलेज, दो होम्योपैथिक व एक यूनानी कॉलेज हैं। जिसके पास न केवल तमाम चिकित्सा उपकरण, बल्कि मानव संसाधन भी हैं। ऐसे में वे बेहतर ढंग से इन केंद्रों का संचालन कर सकते हैं। समन्वय की जिम्मेदारी विभाग की, जबकि संचालन का जिम्मा इनके पास होगा।

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