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Happy Mother's Day 2024: ...जो खुद धूप में तपकर संतान को छाया देती, वह है मां...आइए जानते हैं ऐसी ही Super Moms के बारे में

Happy Mothers Day 2024 मां के आंचल में ही तो सारी दुनिया समाई है। तभी तो मां का स्थान सबसे ऊपर है। कई मां विपरीत परिस्थिति के बाद भी संघर्ष कर आगे बढ़ी व बच्चों को सशक्त बनाने में जुटी हैं। मदर्स डे यानी मातृ दिवस पर ऐसी ही कुछ कहानियां बताने जा रहे हैं जो अपने कार्य के बूते समाज के लिए अलग पहचान हैं।

By Sumit kumar Edited By: Nirmala Bohra Published: Sun, 12 May 2024 08:37 AM (IST)Updated: Sun, 12 May 2024 08:37 AM (IST)
Happy Mother's Day 2024: कुछ ऐसी कहानियां बता रहे हैं जो औरों के लिए भी प्रेणादायी हैं

जागरण संवाददाता, देहरादून : Happy Mother's Day 2024: मां का त्याग, ममत्व व समर्पण संतान के लिए इतना विराट है कि पूरी जिंदगी भी समर्पित कर इस ऋण को चुकाया नहीं जा सकता। मां एक वृक्ष की तरह है, जो खुद धूप में रहकर संतान के लिए छाया देती है। मां का नाम लेते ही आंखों में अलग सी चमक आ जाती है।

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मां के आंचल में ही तो सारी दुनिया समाई है। तभी तो मां का स्थान सबसे ऊपर है। कई मां विपरीत परिस्थिति के बाद भी संघर्ष कर आगे बढ़ी व बच्चों को सशक्त बनाने में जुटी हैं। मां की प्रेरणा ने ही बच्चों को आज उनकी मंजिल तक पहुंचाया। आज मदर्स डे यानी मातृ दिवस पर ऐसी ही कुछ कहानियां बताने जा रहे हैं, जो अपने कार्य के बूते समाज के लिए अलग पहचान हैं।

कामकाजी मां के लिए प्रेरणादायक है जिलाधिकारी सोनिका

जिले की प्रशासनिक व्यवस्था की सबसे बड़ी जिम्मेदारी होने के साथ ही जिलाधिकारी सोनिका परिवार को भी बखूबी संभाल रही हैं। अपनी अतिव्यस्त दिनचर्या के बीच उन्हें बच्चों को मातृत्व का पूरा स्पर्श भी देना होता है। जिलाधिकारी सोनिका की बेटी मिराया 15 वर्ष, जबकि बेटा अगस्त्य करीब तीन वर्ष का है। उनके पति धनंजय उपाध्याय डीआरडीओ के यंत्र अनुसंधान एवं विकास संस्थान (आइआरडीई) में विज्ञानी हैं।

जिलाधिकारी सोनिका के मुताबिक पति-पत्नी दोनों के कामकाजी होने और अहम जिम्मेदारी संभालने के चलते चुनौती बढ़ जाती है। हालांकि, चुनौतियों को उचित प्रबंधन के साथ दूर किया जा सकता है। लिहाजा परिवार की जिम्मेदारी में उनके पति भी बखूबी हाथ बंटाते हैं। इस तरह उन्हें परिवार के साथ जिले की व्यवस्था संभालने में दिक्कत पेश नहीं आती। जिलाधिकारी सोनिका सभी कामकाजी महिलाओं को यह संदेश देती हैं कि परिवार का साथ मिले तो महिलाएं अपनी क्षमता का बखूबी प्रदर्शन कर सकती हैं। आज की महिलाएं काफी सशक्त हैं। घर व काम दोनों मोर्चों को आसानी से संभाल सकती हैं।

मां करती थीं दान, उनके नाम से संस्था बनाकर कर रहीं सेवा

मनबीर कौर चैरिटेबल ट्रस्ट की संस्थापक रमनप्रीत कौर को समाज सेवा की प्रेरणा उनकी मां से मिली। रमनप्रीत के अनुसार मां से मिली शिक्षा से जिंदगी में आने वाली परेशानी व संघर्ष को पार करने की प्रेरणा मिलती है। मेरे साथ यही हुआ है। बचपन के दिनों में जब भी घर में कोई जरूरतमंद आता था तो मां मनबीर कौर ने कभी उसे खाली हाथ नहीं लौटाया। मन में सवाल रहता था कि आखिर इससे क्या होगा। उन्होंने मुझे आगे बढ़ाने के लिए हर संभव प्रयास किया। दिव्यांग होने के बाद भी उन्होंने ओएनजीसी में सेवा दी, ताकि मेरी पढ़ाई प्रभावित न हो। वर्ष 2020 में वह इस दुनिया से चलीं गईं।

मुझे लगा कि सबकुछ खत्म सा हो गया। लेकिन उनसे ही मुझे समाजसेवा की सीख मिली। उनके नाम से ट्रस्ट बनाया। जो शिक्षा, स्वास्थ्य के क्षेत्र में हर महीने आयोजन कर जरूरतमंदों तक मदद पहुंचा रहा है। इसके अलावा एकल बुजुर्ग के लिए शहर किशन नगर, प्रेमनगर, धर्मपुर, सीमाद्वार समेत पांच स्थानों पर बुजुर्गों की रसोई खोली है। जिसके माध्यम से एकल बुजुर्गों को मात्र 20 रुपये में घर-घर खाना पहुंचाया जाता है। भले ही आज मां हमारे बीच नहीं है, लेकिन जब भी मैं इस तरह सेवा करती हूं तो लगता है मां की सेवा हो रही है।

मां से मिली प्रेरणा से इस मुकाम पर पहुंचना हुआ संभव

बच्चे को सही रास्ता व संस्कारवान बनाने में मां का सबसे ज्यादा योगदान होता है। मां से सही शिक्षा व संस्कार मिल जाए तो जिंदगी में आने वाली परेशानी व संघर्ष को पार करने की हिम्मत मिलती है। मूल रूप से अल्मोड़ा निवासी बालीवुड अभिनेत्री रूप दुर्गापाल का कहना है कि आज जो भी स्थिति में वह है मां स्व. डा. सुधा दुर्गापाल की प्रेरणा की बदौलत है। बचपन से ही मां ने हर कदम पर सहयोग किया।

वह कहा करती थी कि काम कोई छोटा-बड़ा नहीं होता। वह हर कार्य को पूरा मनोयोग से करने की प्रेरणा देती थीं। 25 सितंबर 2019 में वह इस दुनिया को छोड़कर चली गईं। उनके जाने का जितना दुख हुआ उतनी ही अंदर से मजबूत बनी कि जीवन में हर एक संघर्ष को पार पाना है। आज भी फिल्म शूटिंग पर जाने से पहले मां को याद करती हूं। क्योंकि उन्होंने ही मुझे हिम्मत दी है। आज मां शारीरिक रूप से साथ नहीं है, लेकिन उनकी बातें व यादों से महसूस करती हूं।


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