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    Hanuman Jayanti 2022: यहां हनुमान और गोरखनाथ में हुआ था भीषण युद्ध, प्रसन्न होकर बजरंग बली ने यहां रहने का दिया था वरदान

    By Sunil NegiEdited By:
    Updated: Fri, 15 Apr 2022 10:46 PM (IST)

    Hanuman Jayanti 2022 उत्‍तराखंड के पौड़ी जनपद के कोटद्वार क्षेत्र में हनुमान का प्रसिद्ध श्री सिद्धबली मंदिर है। मान्यता है कि यहां गुरु गोरखनाथ और हनुमान जी में भीषण युद्ध हुआ था। यहां हनुमान जी सिद्धबाबा के रूप में विराजमान हैं।

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    Hanuman Jayanti 2022: जनपद पौड़ी के कोटद्वार नगर क्षेत्र में स्थित है श्री सिद्धबली धाम।

    अजय खंतवाल, कोटद्वार। जनपद पौड़ी के कोटद्वार नगर क्षेत्र में स्थित है श्री सिद्धबली धाम। मान्यता है कि इस स्थान पर गुरु गोरखनाथ व हनुमान में भीषण युद्ध हुआ। अनिर्णीत रहे इस युद्ध के बाद गुरु गोरखनाथ की इच्छा पर हनुमान जी सिद्धबाबा के रूप में इस स्थान पर प्रतिष्ठित हुए।

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    Hanuman Jayanti 2022

    गंगाद्वार (हरिद्वार) के उत्तर पूर्व इशान कोण के कौमुद तीर्थ के किनारे कौमुद्री नाम की दरिद्रता हरने वाली नदी निकलती है। जिस प्रकार गंगाद्वार माया क्षेत्र हरिद्वार व कुब्जाम्र ऋषिकेश के नाम से प्रचलित हुए।

    उसी प्रकार कौमुद्री वर्तमान में खोह नदी के नाम से जानी जाने लगी। इस पौराणिक खोह नदी के तट पर सिद्धों का डांडा में कोटद्वार नगर से करीब ढाई किमी दूर नजीबाबाद बुआखाल राष्ट्रीय राजमार्ग से लगा है पवित्र सिद्धबली धाम। कोटद्वार, बिजनौर, मेरठ, दिल्ली और मुंबई व अन्य क्षेत्रों से श्रद्धालु मंदिर में पहुंचकर मनोकामनाएं मांगते हैं।

    श्रद्धालुओं की मंदिर के प्रति आस्था का ही परिणाम है कि मंदिर में भंडारे के लिए वर्ष 2032 तक की एडवांस बुकिंग हो रखी है। जनवरी, फरवरी, अक्टूबर, नवंबर व दिसंबर में सामान्यत: प्रतिदिन भंडारे का आयोजन होता है।

    मंगलवार, शनिवार व रविवार को भंडारे का आयोजन पूरे वर्ष होता है। भारतीय डाक विभाग की ओर से वर्ष 2008 में मंदिर के नाम डाक टिकट भी जारी किया गया।

    मंदिर का महात्मय

    कलयुग में शिव का अवतार माने जाने वाले गुरु गोरखनाथ को इसी स्थान पर सिद्धि प्राप्त हुई थी। जिस कारण उन्हें सिद्धबाबा कहा जाता है।

    गोरख पुराण के अनुसार, गुरु गोरखनाथ के गुरु मछेंद्र नाथ पवनसुत बजरंग बली की आज्ञा से त्रिया राज्य की शासिका रानी मैनाकनी के साथ गृहस्थ आश्रम का सुख भोग रहे थे। जब गुरु गोरखनाथ को इस बात का पता चला तो वे अपने गुरु को त्रिया राज्य के मुक्त कराने को चल पड़े।

    मान्यता है कि इसी स्थान पर बजरंग बली ने रूप बदल कर गुरु गोरखनाथ का मार्ग रोक लिया। जिसके बाद दोनों में भयंकर युद्ध हुआ। दोनों में से कोई भी एक-दूसरे को परास्त नहीं कर पाया, जिसके बाद बजरंग बली अपने वास्तविक रूप में आ गए व गुरु गोरखनाथ के तपो-बल से प्रसन्न होकर उन्हें वरदान मांगने को कहा।

    जिस पर गुरु गोरखनाथ ने बजरंग बली से इसी स्थान पर उनके प्रहरी के रूप में रहने की गुजारिश की। गुरु गोरखनाथ व बजरंग बली हनुमान के कारण ही इस स्थान का नाम 'सिद्धबली' पड़ा।

    आज भी यहां पवन पुत्र हनुमान प्रहरी के रूप में भक्तों की मदद को विराजमान रहते हैं। यह भी मान्यता है कि इस स्थान पर सिखों के गुरु गुरुनानक व एक मुस्लिम फकीर ने भी आराधना की थी।


    क्षेत्र की पूरी सुरक्षा करते हैं सिद्धबाबा

    कोटद्वार क्षेत्र में जगह-जगह सिद्धबाबा के अन्य छोटे मंदिर भी हैं। माना जाता है कि जहां-जहां मंदिर हैं, वहीं गुरु गोरखनाथ ने उपासना की थी। यह भी मान्यता है कि क्षेत्र की परिधि में स्थित यह मंदिर पूरे क्षेत्र को सुरक्षा प्रदान करते हैं।

    इन मंदिरों में क्षेत्रवासी विधि-विधान के साथ पूजा-अर्चना करते हैं। यह भी कहा जाता है कि सिद्धबाबा के प्रभाव के कारण ही क्षेत्र में हाथियों की बड़ी तादाद होने के बावजूद मानव-हाथी संघर्ष नगण्य है।

    कोटद्वार क्षेत्र कार्बेट टाइगर रिजर्व व राजाजी टाइगर रिजर्व के मध्य है। दोनों पार्कों के मध्य आवागमन के लिए हाथी इस क्षेत्र के जंगलों को कारीडोर के रूप में प्रयोग में लाते हैं।

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