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    उत्तराखंड में फिर जुटेंगे हिमालयी राज्य, 10-11 अक्टूबर को होगी क्षेत्रीय कार्यशाला

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    Updated: Mon, 09 Sep 2019 07:34 AM (IST)

    हिमालयी राज्य एक बार फिर उत्तराखंड में जुटेंगे। इस मर्तबा मंथन गांवों की समृद्धि को लेकर होगा। 10-11 अक्टूबर को दून में हिमालयी राज्यों की क्षेत्रीय कार्यशाला आयोजित की गई है।

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    उत्तराखंड में फिर जुटेंगे हिमालयी राज्य, 10-11 अक्टूबर को होगी क्षेत्रीय कार्यशाला

    देहरादून, राज्य ब्यूरो। हिमालयन कॉन्क्लेव के बाद हिमालयी राज्य एक बार फिर उत्तराखंड में जुटेंगे। इस मर्तबा मंथन गांवों की समृद्धि को लेकर होगा। गांवों को सरसब्ज बनाने के मद्देनजर केंद्र सरकार के महत्वाकांक्षी ग्राम पंचायत विकास कार्यक्रम (जीपीडीपी) के तहत 10-11 अक्टूबर को देहरादून में हिमालयी राज्यों की क्षेत्रीय कार्यशाला आयोजित की गई है। इसमें जीपीडीपी को धरातल पर उतारने के संबंध में इन राज्यों के कार्मिकों को प्रशिक्षण तो दिया ही जाएगा, ग्राम समृद्धि को क्या-क्या कदम उठाए जा सकते हैं, इस पर भी गहन विमर्श होगा। अपर सचिव पंचायतीराज एचसी सेमवाल के अनुसार कार्यशाला में केंद्र के पैनल में शामिल विशेषज्ञ संस्थानों के विशेषज्ञ भी शिरकत करेंगे। कार्यशाला के आयोजन के सिलसिले में स्थल चयन को लेकर कसरत शुरू कर दी गई है।

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    उत्तराखंड की पहल पर बीती 28 जुलाई को मसूरी में हिमालयी राज्यों के सम्मेलन 'हिमालयन कॉन्क्लेव' ने सभी का ध्यान अपनी ओर खींचा था। अब केंद्र की पहल पर हिमालयी राज्यों को एक बार फिर से उत्तराखंड में जुटने का अवसर मिलने जा रहा है। असल में केंद्र सरकार ने जीपीडीपी को जनांदोलन की शक्ल देने का निश्चय किया है। जीपीडीपी के अंतर्गत ग्राम पंचायत के विकास का खाका खींचा जाता है और फिर योजना बनाकर इसे जीपीडीपी एप में अपलोड किया जाता है। एप में दर्ज योजना के लिए केंद्र व राज्य से बजट मिलेगा। 

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    इससे पहले गांव में सुविधाओं को लेकर सर्वे भी होगा। जीपीडीपी के क्रियान्वयन को लेकर केंद्र अब क्षेत्रीय स्तर पर कार्यशालाएं आयोजित करने जा रहा है। इसी कड़ी में हिमालयी राज्यों की दो दिवसीय कार्यशाला 10-11 अक्टूबर को देहरादून में रखी गई है। अपर सचिव पंचायतीराज एचसी सेमवाल ने बताया कि गांवों के विकास की दृष्टि से यह कार्यशाला बेहद अहम है। इसमें हिमालयी राज्य अपने-अपने क्षेत्रों की कठिनाई रखेंगे तो इसका रास्ता भी निकाला जाएगा। कार्यशाला में हिमालयी राज्यों के करीब 150 प्रतिनिधि शिरकत करेंगे।

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