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    राज्यपाल ने आयुर्ज्ञान सम्मेलन का किया शुभारंभ, कहा- उत्तराखंड का प्रत्येक नागरिक आयुर्वेद का ब्रांड एंबेसडर

    By Sukant mamgainEdited By: riya.pandey
    Updated: Fri, 22 Sep 2023 08:08 AM (IST)

    Ayurgyan Summit राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल गुरमीत सिंह (सेनि) (Lieutenant General Gurmit Singh) ने कहा कि उत्तराखंड का प्रत्येक नागरिक आयुर्वेद का ब्रांड एंबेसडर है। हमारी जिम्मेदारी है कि हम योग व आयुर्वेद को हरेक व्यक्ति तक पहुंचाएं और उन्हें इससे होने वाले लाभ के बारे में बताएं। राज्यपाल ने बीते गुरुवार को राजभवन में आयुष विभाग की ओर से आयोजित आयुर्ज्ञान सम्मेलन (Ayurgyan Summit) का शुभारंभ किया।

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    Ayurgyan Summit: राज्यपाल ने आयुर्ज्ञान सम्मेलन का किया शुभारंभ

    जागरण संवाददाता, देहरादून: Ayurgyan Summit: राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल गुरमीत सिंह (सेनि) (Lieutenant General Gurmit Singh) ने कहा कि उत्तराखंड का प्रत्येक नागरिक आयुर्वेद का ब्रांड एंबेसडर है। हमारी जिम्मेदारी है कि हम योग व आयुर्वेद को हरेक व्यक्ति तक पहुंचाएं और उन्हें इससे होने वाले लाभ के बारे में बताएं।

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    राज्यपाल ने बीते गुरुवार को राजभवन में आयुष विभाग की ओर से आयोजित आयुर्ज्ञान सम्मेलन (Ayurgyan Summit) का शुभारंभ किया। उन्होंने कहा कि आयुर्वेद सुखी और निरोगी जीवन का आधार है। यह हमारे प्राचीन ऋषि मुनियों की दी हुई एक अनमोल धरोहर है। राज्यपाल ने कहा कि योग और आयुर्वेद हमें अपनी जड़ों से जोड़े रखता है। उत्तराखंड राज्य अपनी विशिष्ट वन औषधियों, आयुर्वेदिक ज्ञान के लिए प्रसिद्व है।

    आयोजन में आए सभी विशेषज्ञों का आभार- आयुष सचिव

    प्राचीन काल से ही इस धरती में ज्ञान, विज्ञान और आध्यात्मिक चेतना का विस्तार हो रहा है। आयुष सचिव डा. पंकज पांडेय ने कहा कि इस सम्मेलन के आयोजन का मुख्य मकसद आयुर्वेद और ऐलोपैथी के बीच समन्वय बनाने का प्रयास है। उन्होंने इस आयोजन में आए सभी विशेषज्ञों का आभार भी जताया।

    आयुर्वेद और मार्डन मेडिसिन में समन्वय की जरूरत: बालकृष्ण

    पतंजलि के सीईओ आचार्य बालकृष्ण ने कहा कि मरीजों के बेहतर इलाज के लिए आयुर्वेद और मार्डन मेडिसिन में समन्वय की जरूरत है। उन्होंने कहा कि चिकित्सा की सभी पद्धतियों का मकसद रोगी को ठीक करना है। ऐसे में आपसी दूरियों का विश्लेषण कर सभी पैथियों को इलाज में समेकित रूप से प्रयोग में लाए जाने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि आयुर्वेद दुनिया की सबसे प्राचीन चिकित्सा परंपरा है। विश्व स्तर पर इसकी स्वीकार्यता बढ़ी है।

    उन्होंने इस बार पर जोर दिया कि आयुर्वेद के इतिहास के साथ-साथ जड़ी बूटी आश्रित पद्धतियों के इतिहास को भी पढ़ाया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि कुछ लोग आयुर्वेद को एविडेंस बेस्ड मेडिसिन न होने की बात कहते हैं। लेकिन पतंजलि ने इस क्षेत्र में बहुत काम किया है।

    कोरोना महामारी के दौरान भी आयुर्वेद के महत्व को समझ चुकी है पूरी दुनिया

    उन्होंने कहा कि अभी तक 50 हजार पौधों के उपयोग और उनके नाम दे दिए गए हैं। 109 वोल्यूम का दस्तावेज तैयार किया गया है जिसे जल्द ही दुनिया के सामने लाया जाएगा। उन्होंने कहा कि पतंजलि ने यह प्रमाणित कर दिया है कि आयुर्वेद एक एविडेंस बेस्ड मेडिसिन है। कोरोना महामारी के दौरान भी पूरी दुनियां आयुर्वेद के महत्व को समझ चुकी है।

    वही उपाय अपनाएं, जिनसे मरीज को राहत मिल जाए : प्रो रेनू सिंह

    एम्स ऋषिकेश की निदेशक प्रो रेनू सिंह ने भी इस दौरान आयुर्वेद और एलोपैथी में आपसी समन्वय पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि जिन उपायों से मरीजों को आसानी से राहत मिलती है उन्हें उपयोग में लाया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि आयुर्वेद को प्रमाणित करने के लिए जबरदस्ती बहुत अधिक ट्रायल और एविडेंस पर जोर नहीं देना चाहिए। लेकिन फिर भी रिसर्च को बढ़ावा दिया जाना चाहिए।

    उन्होंने इस दौरान कहा कि आयुर्वेद के कई ऐसे उपाय हैं जो कई गंभीर बीमारियों के इलाज में खासे कारगर हैं। उन्होंने कहा कि तनाव, बच्चों से जुड़े संक्रमण में यह काफी कारगर हैं। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि कैंसर व अन्य बीमारियों के इलाज में हल्दी खासी कारगर हो सकती है।

    एलोपैथी में योग और आयुर्वेद को करें शामिल : प्रो हेमचंद्र

    एचएनबी चिकित्सा शिक्षा विवि के कुलपति प्रो हेमचंद्र ने कहा कि राज्य में आयुर्वेद और एलोपैथी के इंट्रीगेशन का काम शुरू हो चुका है। एलोपैथी के चिकित्सकों को आयुर्वेद का प्रशिक्षण दिया जा रहा है। उन्होंने कहा कि एलोपैथी चिकित्सकों को इलाज के दौरान योग और आयुर्वेद के उपायों को शामिल करना चाहिए।

    सम्मेलन में विभिन्न सत्रों में आयुर्वेद पर चर्चा

    सम्मेलन में विशेषज्ञों ने विभिन्न सत्रों में आयुर्वेद पर चर्चा की। आयुर्वेद के सिद्धान्तों के साथ ही समग्र स्वास्थ्य प्रबंधन, जड़ी बूटी कृषिकरण एवं संवर्धन, आयुष उद्योगों की स्थापना, वेलनेस सेंटर, आयुष क्षेत्र में नवाचार एवं अनुसंधान को बढ़ावा दिए जाने सहित अनेक विषयों पर विशेषज्ञों ने अपने विचार व्यक्त किए।

    जिन विशेषज्ञों ने अपने विचार रखे, उनमें प्रमुख रूप से प्रो अरुण कुमार त्रिपाठी, प्रो. उत्तम कुमार शर्मा, प्रो सुनील जोशी,प्रो एचएम चंदोला, प्रो वीके अग्निहोत्री, प्रो महेश व्यास, प्रो आलोक श्रीवास्तव, प्रो पीके प्रजापति, प्रो रमाकांत यादव, डा. ज्ञानेंद्र दत्ता शुक्ला, प्रो करतार सिंह धीमान, डा..मनोज शर्मा आदि शामिल रहे।

    सम्मेलन में प्रथम महिला गुरमीत कौर, सचिव रविनाथ रामन, अपर सचिव आयुष विजय जोगदंडे, संजीव पांडेय, प्रो बालकृष्ण, डा नंदकिशोर दाधीच, डा. मिथलेश कुमार, डा. राजीव कुरेले आदि मौजूद रहे।

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    स्मारिका का विमोचन किया

    इस दौरान मुख्य अतिथि राज्यपाल गुरमीत सिंह और विशिष्ट अतिथि पतंजलि के सीईओ आचार्य बालकृष्ण ने आयुर्ज्ञान सम्मेलन की स्मारिका का विमोचन किया। साथ ही उन्होंने आयुष दवाओं के निर्माण क्षेत्र में कार्य करने वाली कंपनियों के स्टाल का भी निरीक्षण किया। राज्यपाल ने इन उत्पादों की सराहना भी की।

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