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    Igas festival: राज्यपाल और मुख्यमंत्री ने दी इगास की शुभकामनाएं, कहा- इससे हमारी संस्कृति को समझ सकेगी नई पीढ़ी

    By Raksha PanthriEdited By:
    Updated: Sun, 14 Nov 2021 09:25 AM (IST)

    Igas Festival उत्तराखंड के राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल गुरमीत सिंह (सेनि) और मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने प्रदेशवासियों को इगास पर्व की शुभकामनाएं दी हैं। वहीं विधानसभा अध्यक्ष प्रेमचंद अग्रवाल ने भी प्रदेशवासियों को इगास की शुभकामनाएं दी हैं।

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    राज्यपाल और मुख्यमंत्री ने दी इगास की शुभकामनाएं।

    राज्य ब्यूरो, देहरादून। Igas Festival राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल गुरमीत सिंह (सेनि) और मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने प्रदेशवासियों को इगास की शुभकामनाएं दी हैं। विधानसभा अध्यक्ष प्रेमचंद अग्रवाल ने भी प्रदेशवासियों को इगास की शुभकामनाएं दी हैं।

    राज्यपाल ले.जनरल गुरमीत सिंह (सेनि) ने अपने संदेश में कामना की कि इगास का यह पर्व सभी प्रदेशवासियों के जीवन में सुख, समृद्धि एवं खुशहाली लाए। उन्होंने कहा कि यह पर्व उत्तराखंड की लोक संस्कृति व परंपराओं का प्रतीक है। यह पर्व पूर्वजों की संस्कृति एवं परंपराओं का प्रतीक है।

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    हमें अपने लोकपर्व संरक्षित रखने की आवश्यकता है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने प्रदेशवासियों को इगास की बधाई देते हुए कहा कि हमारे लोकपर्व एवं समृद्ध सांस्कृतिक विरासत सामाजिक जीवन में जीवंतता प्रदान करने का कार्य करते हैं। उन्होंने प्रदेशवासियों की सुख-शांति व समद्धि की कामना की है। विधानसभा अध्यक्ष प्रेमचंद अग्रवाल ने सभी से यह पर्व मनाने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि इससे नई पीढ़ी हमारी संस्कृति को समझ सकेगी।

    जानिए इगास के बारे में

    कहा जाता है कि भगवान श्रीराम जब रावण का वध करने के बाद अयोध्या पहुंचे तो इसकी सूचना उत्तराखंड को 11 दिन बाद मिली और तब यहां दीपावली मनाई गई थी। एक अन्य पौराणिक मान्यता के अनुसार करीब 400 साल पहले वीर भड़ माधो सिंह भंडारी के नेतृत्व में टिहरी, उत्तरकाशी, जौनसार, श्रीनगर समेत अन्य क्षेत्रों से योद्धा बुलाकर सेना तैयार की गई। इस सेना ने तिब्बत पर हमला बोलते हुए वहां सीमा पर मुनारें गाड़ दी थीं। तब बर्फबारी होने के कारण रास्ते बंद हो गए। कहते हैं कि उस साल गढ़वाल क्षेत्र में दीपावली नहीं मनी, लेकिन दीपावली के 11 दिन बाद माधो सिंह भंडारी युद्ध जीतकर गढ़वाल लौटे तो पूरे क्षेत्र में भव्य दीपावली मनाई गई। तब से कार्तिक माह की एकादशी पर यह पर्व मनाया जाता है।

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