Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    उत्तराखंड में नदियों पर बनाई जाएंगी झीलें, जानिए इससे क्‍या होंगे फायदे

    By Sunil NegiEdited By:
    Updated: Sat, 26 Sep 2020 11:29 PM (IST)

    पर्यावरणीय दृष्टि से बेहद संवेदनशील उत्तराखंड में जल संरक्षण के लिए उत्तराखंड सरकार अनूठी पहल करने जा रही है। इसके तहत नदियों पर झीलें बनाने का निश्चय ...और पढ़ें

    Hero Image
    प्रथम चरण में पौड़ी जिले के कोटद्वार क्षेत्र की खोह नदी में बनेंगी दो झीलें।

    देहरादून, केदार दत्त। पर्यावरणीय दृष्टि से बेहद संवेदनशील उत्तराखंड में जल संरक्षण के लिए उत्तराखंड सरकार अनूठी पहल करने जा रही है। इसके तहत नदियों पर झीलें बनाने का निश्चय किया गया है। इससे जल संरक्षण तो होगा ही, अच्छा-खासा राजस्व भी प्राप्त होगा। यह झीलें संबंधित क्षेत्रों के निवासियों के हलक तर करने का जरिया भी बनेंगी, जिससे भूजल के बेतहाशा दोहन पर अंकुश लग सकेगा। प्रथम चरण में इस पहल को कोटद्वार क्षेत्र की खोह नदी में धरातल पर उतारने की कसरत शुरू की गई है। खोह नदी पर बनने वाली दो झीलों में साढ़े चार करोड़ लीटर पानी इकट्ठा होगा। साथ ही इनसे प्रतिवर्ष मिलने वाले रिवर बेस्ड मटीरियल (आरबीएम) से सवा दो करोड़ रुपये का राजस्व सरकार को मिलेगा। झीलों के पानी से कोटद्वार क्षेत्र को ग्रेविटी आधारित पेयजल योजनाएं बनाकर जलापूर्ति भी कराई जा सकेगी। भविष्य में इन झीलों को पर्यटन से भी जोड़ा जाएगा।जल संरक्षण पर मौजूदा सरकार ने खास फोकस किया है। इसके तहत वन क्षेत्रों में वर्षाजल रोकने के लिए खाल-चाल (छोटे-बड़े तालाबनुमा गड्ढे), चेकडैम जैसे उपायों के बेहतर परिणाम सामने आए हैं। इस कड़ी में अब वन विभाग के जरिये नदियों में झीलें बनाकर जल संरक्षण की मुहिम शुरू की गई है। पौड़ी गढ़वाल जिले के अंतर्गत कोटद्वार क्षेत्र की खोह नदी में इसे धरातल पर उतारा जा रहा है। वन विभाग ने खोह नदी पर दुर्गा देवी मंदिर और श्री सिद्धबली मंदिर के नजदीक झील निर्माण के लिए लघु सिंचाई विभाग को कार्यदायी संस्था बनाया है। इन झीलों के आकार लेने के बाद अन्य क्षेत्रों में भी तेजी से कदम बढ़ाए जाएंगे।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    यू-आकार में बनेंगी झील

    लघु सिंचाई विभाग के पौड़ी खंड के अधिशासी अभियंता राजीव रंजन बताते हैं कि दुर्गा देवी मंदिर के नजदीक बनने वाली झील की लंबाई 30 मीटर व चौड़ाई 16 मीटर होगी। इसी तरह श्री सिद्धबली मंदिर के पास की झील की लंबाई 35 मीटर व चौड़ाई 17 मीटर होगी। दोनों के निर्माण पर 13.19 करोड़ की लागत आएगी और इसका प्रविधान कर दिया गया है। उन्होंने बताया कि दोनों झीलें यू-आकार में होंगी। इनका फाइनल डिजाइन आइआइटी रुड़की से तैयार कराया जा रहा है। झीलों की ऊंचाई करीब दस मीटर के आसपास रहने की संभावना है। हालांकि, अभी यह तय होना बाकी है।

    1.50 लाख घन मीटर आरबीएम

    अधिशासी अभियंता के अनुसार दोनों झीलों से प्रतिवर्ष 1.50 लाख घन मीटर आरबीएम मिलेगा। इससे हर साल 2.25 करोड़ का राजस्व प्राप्त होगा। झीलों में करीब साढ़े चार करोड़ लीटर पानी एकत्रित होगा और यह क्षेत्र की खूबसूरती में चार चांद लगाएंगी। साथ ही इन झीलों को पेयजल और पर्यटन से भी जोड़ा जाएगा।

    वन्यजीवों को नहीं होगी दिक्कत

    खोह नदी पर जिन स्थानों पर झीलें बनाने का निश्चय किया गया है, वहां हाथी समेत दूसरे वन्यजीवों की आवाजाही होती है। इसे देखते हुए दोनों झीलों में रैम बनाए जाएंगे, ताकि वन्यजीवों को किसी प्रकार की दिक्कत न होने पाए।

    यह होंगे फायदे

    • बरसात में खोह नदी का वेग थमने पर यह नहीं बनेगी मुसीबत का सबब
    • नदी की बाढ़ से भू-कटाव पर लग सकेगा प्रभावी अंकुश
    • झीलें बनने से संबंधित क्षेत्रों में बढ़ सकेगा भूजल का स्तर
    • ग्रेविटी आधारित पेयजल योजनाएं बनने से क्षेत्र को मिलेगा पानी
    • भविष्य में झीलों को पर्यटक स्थलों के रूप में किया जाएगा विकसित

    यह भी पढ़ें: भारतीय रेल और रुड़की आइआइटी मिलकर करेंगे काम, नई तकनीक के विकास में होगा अनुसंधान

    डॉ. हरक सिंह रावत (वन एवं पर्यावरण मंत्री, उत्तराखंड) का कहना है कि जल संरक्षण की दिशा में राज्य का वन महकमा पहली बार नदियों पर झीलों का निर्माण कराकर ऐतिहासिक कदम उठाने जा रहा है। कोटद्वार के अलावा देहरादून, नैनीताल, हल्द्वानी समेत अन्य क्षेत्रों की नदियों पर भी झीलों का निर्माण कराया जाएगा। इसके लिए जायका और कैंपा से धन की व्यवस्था की जाएगी।

    यह भी पढ़ें: उत्तराखंड में हिमालय के गर्म पानी के झरनों से बनेगी बिजली, यहां लगेंगे जियोथर्मल इनर्जी प्लांट