उत्तराखंड में अब आपदा से पहले होगी ग्लेशियरों की निगरानी, पढ़िए पूरी खबर
उत्तराखंड में अब आपदा से पहले ही ग्लेशियर ग्लेशियर झील व भूस्खलन संभावित क्षेत्रों की निगरानी होगी। इस के लिए राज्य से आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (यूएसडीएमए) ने भारतीय सुदूर संवेदन संस्थान (आइआइआरएस) के साथ एमओयू हस्ताक्षरित किया है।
जागरण संवाददाता, देहरादून। राज्य सरकार ने पूर्व की आपदाओं से सबक लेते हुए अब पहले से ही ग्लेशियर, ग्लेशियर झील व भूस्खलन संभावित क्षेत्रों की निगरानी का निर्णय लिया है। इसके लिए राज्य से आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (यूएसडीएमए) ने भारतीय सुदूर संवेदन संस्थान (आइआइआरएस) के साथ एमओयू हस्ताक्षरित किया है।
बुधवार को यह एमओयू आपदा प्रबंधन एवं पुनर्वास मंत्री डा. धन सिंह रावत की उपस्थिति में किया गया। कुल दो एमओयू किए गए हैं। एक एमओयू के तहत आइआइआरएस अधिकारी आपदा प्रबंधन से संबंधित प्राधिकरणों को सेटेलाइट निगरानी पर प्रशिक्षण देंगे। वहीं, दूसरे व मुख्य एमओयू के तहत आइआइआरएस राज्य के ग्लेशियरों व भूस्खलन संभावित क्षेत्रों की सेटेलाइट से निरंतर निगरानी करेगा।
आइआइआरएस के निदेशक डा. प्रकाश चौहान ने कहा कि जलवायु परिवर्तन के दौर में ग्लेशियरों के आकार में निरंतर बदलाव हो रहा है। ग्लेशियर झीलें तेजी से बन और टूट रही हैं। यदि ग्लेशियरों से होने वाले हिमस्खलन व ग्लेशियर में झील बनने की प्रक्रिया की निरंतर निगरानी की जाए तो पहले ही यह पता लगाया जा सकता है कि किस ग्लेशियर से हिमस्खलन होने वाला है या कौन सी ग्लेशियर झील टूटने के कगार पर है। इसके साथ ही भूस्खलन संभावित क्षेत्रों की निगरानी से आपदा के प्रभाव को कम किया जा सकता है।
निदेशक चौहान के मुताबिक एमओयू के तहत आइआइआरएस उत्तराखंड के ग्लेशियरों आदि की सेटेलाइट के माध्यम से निरंतर निगरानी करेगा और समय-समय पर उसका डेटा राज्य सरकार को उपलब्ध कराया जाएगा। इस मौके पर आपदा प्रबंधन सचिव एसए मुरुगेशन ने कहा कि आपदा प्रबंधन के क्षेत्र में आइआइआरएस के साथ मिलकर काम करने की शुरुआत का लाभ राज्य को मिलेगा। अब आपदा से पहले ही राहत एवं बचाव तंत्र को सक्रिय किया जा सकेगा। कार्यक्रम में आइआइआरएस के डीन डा. एसके श्रीवास्तव, डा. अरिजीत राय, डा. हरिशंकर, डा. आरएस चटर्जी, अपर सचिव आनंद श्रीवास्तव, अधिशासी निदेशक पीयूष रौतेला, यूसैक निदेशक डा. एमपीएस बिष्ट आदि उपस्थित रहे।
डा. धन सिंह रावत (आपदा प्रबंधन एवं पुनर्वास मंत्री, उत्तराखंड सरकार) का कहना है कि आइआइआरएस व यूएसडीएमए के बीच किए गए दो एमओयू आपदा प्रबंधन की दिशा में मील के पत्थर साबित होंगे। अब राज्य सरकार को रियल टाइम सेटेलाइट डेटा उपलब्ध होता रहेगा और उसके अनुसार आपदा प्रबंधन तंत्र सक्रिय होकर काम कर सकेगा।
यह भी पढ़ें:- Glacier Burst Threat: चमोली में तबाही की वजह बना हैंगिंग ग्लेशियर, केदारनाथ के पीछे चोटी पर भी हैं ऐसे ही ग्लेशियर