Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    ग्लेशियर झील के खतरे से निबटने के लिए सरकार की कसरत शुरू, 13 झीलों में सेंसर लगाएगा वाडिया संस्थान

    Updated: Wed, 24 Sep 2025 12:11 PM (IST)

    उत्तराखंड सरकार ने ग्लेशियर झीलों से होने वाले खतरे को देखते हुए निगरानी के लिए वाडिया हिमालय भू विज्ञान संस्थान को जिम्मेदारी सौंपी है। संस्थान 13 चिह्नित झीलों पर सेंसर लगाएगा शुरुआत में छह झीलों का परीक्षण होगा। मुख्य सचिव ने भूस्खलन संभावित क्षेत्रों का पूर्वानुमान माडल बनाने पर भी जोर दिया ताकि समय रहते लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया जा सके।

    Hero Image
    13 ग्लेशियर झीलों में निगरानी को सेंसर लगाएगा वाडिया संस्थान. Concept Photo

    राज्य ब्यूरो, जागरण देहरादून। उच्च हिमालयी क्षेत्रों में स्थित ग्लेशियर झीलों के खतरे को देखते हुए इससे निबटने के लिए सरकार ने कसरत प्रारंभ कर दी है।

    इस कड़ी में राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण की ओर से उत्तराखंड में चिह्नित संवेदनशील 13 ग्लेशियर झीलों की निगरानी के दृष्टिगत वहां वाडिया हिमालय भू विज्ञान संस्थान सेंसर लगाएगा। मुख्य सचिव आनंद बर्द्धन ने मंगलवार को सचिवालय में राज्य में भूस्खलन न्यूनीकरण को लेकर राष्ट्रीय स्तर के संस्थानों के विज्ञानियों के साथ हुई बैठक में वाडिया संस्थान को यह जिम्मेदारी सौंपी।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    मुख्य सचिव ने ग्लेशियर झीलों की निगरानी और अध्ययन का उल्लेख करते हुए कहा कि वाडिया हिमालय भू विज्ञान संस्थान पहले चरण में छह संवेदनशील ग्लेशियर झीलों का सेटेलाइट व धरातलीय परीक्षण कर वहां सेंसर स्थापित करेगा। उन्होंने कहा कि संवेदनशील झीलों की संवेदनशीलता को किस प्रकार से कम किया जा सकता है, इस दिशा में कार्य किया जाना चाहिए।

    उन्होंने कहा कि इस सिलसिले में वाडिया हिमालय भू विज्ञान संस्थान को इंडियन इंस्टीट्यूट आफ रिमोट सेंसिंग, जियोलाजिकल सर्वे आफ इंडिया, सेंट्रल वाटर कमीशन, यू-सैक जैसे वैज्ञानिक संस्थानों की सहायता भी उपलब्ध कराई जाएगी। साथ ही वाडिया संस्थान को आश्वस्त किया कि इस कार्य के लिए धन की कोई कमी नहीं होने दी जाएगी।

    मुख्य सचिव ने इस बात पर भी जोर दिया कि राज्य में भूस्खलन संभावित क्षेत्रों का चिह्नीकरण कर एक पूर्वानुमान माडल तैयार किया जाना चाहिए। इस प्रकार का मैकेनिज्म तैयार करने की जरूरत है, जो सेटेलाइट इमेज और धरातलीय परीक्षण के बाद तैयार माडयूल के आधार पर पूर्वानुमान लगा सके कि कितनी वर्षा होने पर स्थान विशेष में भूस्खलन की संभावना है।

    इससे हम निचले क्षेत्रों को खाली कराकर स्थानीय निवासियों को सुरक्षित स्थलों तक पहुंचा सकते हैं। उन्होंने इसके लिए इंडियन इंस्टीट्यूट आफ रिमोट सेंसिंग, जियोलाजिकल सर्वे आफ इंडिया, वाडिया हिमालय भू विज्ञान संस्थान और सेंट्रल बिल्डिंग रिसर्च इंस्टीट्यूट को मिलकर कार्य करने को कहा। बैठक में आपदा प्रबंधन सचिव विनोद कुमार समेत विभिन्न वैज्ञानिक संस्थानों के विज्ञानी और वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित रहे।