उत्तराखंड में पहली बार इस हाइड्रो पावर प्लांट में लगेगा जीआइएस, जानिए
उत्तराखंड में पहली बार ब्यासी हाइड्रो पावर प्लांट में जीआइएस (गैस इंसुलेटेड स्विचगेयर) सिस्टम का उपयोग किया जा रहा है।
देहरादून, अंकुर शर्मा। उत्तराखंड में पहली बार ब्यासी हाइड्रो पावर प्लांट में जीआइएस (गैस इंसुलेटेड स्विचगेयर) सिस्टम का उपयोग किया जा रहा है। यहां पायलट प्रोजेक्ट सफल होने पर भविष्य के सभी प्लांट में इसका ही उपयोग होगा। उत्तराखंड जल विद्युत निगम लिमिटेड की टिहरी जनपद के ब्यासी में हाइड्रो पावर प्लांट की निर्माणाधीन योजना है। इसके लिए हथिया में पावर हाउस बनाया जा रहा है। इस प्लांट से 120 मेगावाट और 375 मिलियन यूनिट बिजली का उत्पादन होगा।
राज्य में पहली बार इस प्लांट में पावर ट्रांसमिशन के लिए जीआइएस सिस्टम का उपयोग किया जा रहा है। इससे पूर्व सभी पावर प्लांटों में एआइएस (एयर इंसुलेटेड स्विचगेयर) सिस्टम का उपयोग होता था। अधिकारिक जानकारी के मुताबिक पहाड़ में हाइड्रो पावर प्लांट लगाने में सबसे बड़ी समस्या जमीन मिलने की होती है। यदि मिल भी गई तो पहाड़ काटकर समतल करने, पेड़ काटने में काफी लागत और पर्यावरण का नुकसान होता है। इससे कई प्रोजेक्ट लंबी अवधि बीतने के बाद भी लटके रहते हैं। इधर जीआइएस की खूबी यह है कि बेहद कॉम्पेक्ट सिस्टम होता है। इस सिस्टम को स्थापित करने में एआइएस के मुकाबले महज 20 फीसदी जमीन की ही जरुरत होती है। वहीं इसका रखरखाव भी किफायती होता है। इसको लेकर यूजेवीएनएल ने काम शुरू कर दिया है।
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ये हैं फायदे
-बेहद कम जमीन में स्थापित होने से पहाड़ में जमीन मिलने की दुविधा खत्म
-जमीन कम होने पर पेड़ों का कटान नहीं होगा जो पर्यावरण के लिए घातक नहीं होगा
-रखरखाव खर्च कम होने से आर्थिक बचत भी होगी
-तकनीकी तौर पर ज्यादा एडवांस होने से ट्रांसमिशन में सफल
मेक इन इंडिया से आ रहा है जीआइएस सिस्टम
मेक इन इंडिया के तहत गुजरात के बड़ौदा में लगे प्लांट से जीआईएस सिस्टम आ रहा है। इससे पूर्व केंद्र सरकार ने टिहरी हाइड्रो पावर प्लांट में भी जीआइएस सिस्टम लगाया है लेकिन वो जर्मनी से आयात किया गया है।
यूजेवीएनएल के मैनेजिंग डायरेक्टर एसएन वर्मा ने बताया कि ब्यासी पावर प्लांट में जीआइएस सिस्टम का इस्तेमाल कर रहे हैं। हिमालयी राज्य में पर्वतीय जिलों के लिए बेहद उपयोगी है।
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