Uttarakhand Tourism News: विश्व के खतरनाक रास्तों में शामिल है उत्तराखंड का गर्तांगली ट्रैक, फिर से रोमांच के शौकीनों से होगा गुलजार
उत्तराखंड का गर्तांगली ट्रैक फिर से रोमांच के शौकीनों से गुलजार होगा। चट्टान पर बने इस ट्रैक की जर्जर हो चुकी सीढ़ियों और इनके किनारे लगी सुरक्षा बाड़ को दुरुस्त करने का काम 30 अप्रैल 2021 तक पूर्ण करने का लक्ष्य रखा गया है।
देहरादून, राज्य ब्यूरो। Uttarakhand Tourism News विश्व के दुर्गम और खतरनाक रास्तों में शामिल उत्तराखंड का गर्तांगली ट्रैक फिर से रोमांच के शौकीनों से गुलजार होगा। गंगोत्री नेशनल पार्क के अंतर्गत समुद्रतल से 11 हजार फीट की ऊंचाई पर चट्टान पर बने इस ट्रैक की जर्जर हो चुकी सीढ़ियों और इनके किनारे लगी सुरक्षा बाड़ को दुरुस्त करने का काम 30 अप्रैल 2021 तक पूर्ण करने का लक्ष्य रखा गया है। इसके बाद पर्यटन व ट्रैकिंग के लिए इसके दरवाजे खोल दिए जाएंगे। फिर गर्तांगली सैलानियों को रोमांच का अनुभव कराएगी।
एक दौर में भारत-तिब्बत के बीच व्यापारिक गतिविधियों का केंद्र रहे पैदल मार्ग पर स्थित गर्तांगली हमेशा से कौतुहल और आकर्षण का केंद्र रही है। उत्तरकाशी जिले में गंगोत्री नेशनल पार्क के अंतर्गत भैरवघाटी से नेलांग को जोड़ने वाले इस मार्ग पर जाड़ गंगा घाटी में है गर्तांगली। पूर्व में इसी मार्ग से भारत व तिब्बत के बीच व्यापार होता था। इसी मार्ग पर पेशावर से आए पठानों ने चट्टान को किनारे से काटकर सीढ़ीनुमा रास्ता बनाया। करीब 300 मीटर लंबी इस गली को नाम दिया गया गर्तांगली।
वर्ष 1962 के भारत-चीन युद्ध के बाद इस मार्ग को आमजन के लिए बंद कर दिया गया। हालांकि, 1975 तक सेना इसका उपयोग करती रही, लेकिन फिर इसे पूरी तरह से बंद कर दिया गया। इसके बाद देखरेख के अभाव में गर्तांगली की सीढ़ियां और किनारे लगी लकड़ी की सुरक्षा बाड़ जर्जर होने लगी। अलबत्ता, गर्तांगली की मरम्मत कराकर इसे फिर से खुलवाने की आवाज निरंतर उठती रही।
लंबे इंतजार के बाद सरकार ने भी गर्तांगली के महत्व को समझा और इसे ट्रैकिंग व पर्यटन के हिसाब से विकसित करने का निर्णय लिया। इस क्रम में दो साल पहले पर्यटन विभाग से मिली 26 लाख की राशि से गंगोत्री नेशनल पार्क ने कुछ कार्य कराया, मगर बात नहीं बनी। इसके बाद लोनिवि को यह कार्य सौंपने का निश्चय किया गया और उसे ग्राम्य विकास विभाग से 64.10 लाख रुपये की राशि अवमुक्त कर दी गई। बावजूद इसके वन कानून आड़े आ गए।
इस वर्ष जून में हुई राज्य वन्यजीव बोर्ड की बैठक में गर्तांगली की मौलिकता के साथ इसके पुनरुद्धार का फैसला लिया गया। इस बीच वन्यजीव विभाग ने गर्तांगली की मरम्मत के लिए वाइल्डलाइफ क्लीयरेंस के मद्देनजर अनापत्ति प्रमाणपत्र भी जारी कर दिया। मंगलवार को हुई बोर्ड की बैठक में बताया गया कि गर्तांगली की मरम्मत के मद्देनजर लोनिवि ने टेंडर प्रक्रिया पूरी कर ली है। बुधवार से कार्य प्रारंभ होगा और 30 अप्रैल 2021 तक इसे पूरा करा लिया जाएगा।
यह भी पढ़ें: Uttarakhand Tourism News: उत्तराखंड में पर्यटकों को लुभाने के लिए टूरिस्ट टोकन योजना