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    मानसून में गंगा-यमुना के रौद्र रूप से मैदानी राज्य भी सहमे, 22 बार टूटा चेतावनी रेखा पार करने का रिकॉर्ड

    Updated: Sat, 18 Oct 2025 05:31 AM (IST)

    मानसून के दौरान गंगा और यमुना नदियों का जलस्तर बढ़ने से मैदानी इलाकों में बाढ़ का खतरा बढ़ गया है। नदियों ने खतरे के निशान को 22 बार पार किया, जिससे कई क्षेत्रों में बाढ़ जैसी स्थिति उत्पन्न हो गई है। उत्तर प्रदेश और बिहार जैसे राज्य विशेष रूप से प्रभावित हैं, और प्रशासन लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाने में जुटा है।

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    विजय जोशी, देहरादून। मानसून-2025 उत्तर भारत के लिए आपदा का पर्याय बनकर आया। खासकर उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश और जम्मू कश्मीर ने आसमान से आफत बरसी और यह आफत नदियों के प्रवाह के साथ मैदानी राज्यों तक पहुंची।

    जून से सितंबर तक चले चार माह के बरसात के सीजन में जहां भूस्खलन और बादल फटने की घटनाओं ने पहाड़ को झकझोरा, वहीं गंगा और यमुना जैसी प्रमुख नदियों में भी अभूतपूर्व बाढ़ देखी गई।

    देशभर में दर्ज 59 स्थानों पर नदियों ने अपना अब तक का सर्वाधिक जलस्तर (हाइएस्ट फ्लड लेवल) पार किया, जिनमें गंगा बेसिन अकेले 22 घटनाओं के साथ सबसे आगे रही।

    उत्तराखंड में सामान्य से 22 प्रतिशत अधिक वर्षा होने से राज्य की प्रमुख नदियों गंगा और यमुना में जलस्तर रिकार्ड स्तर तक पहुंच गया, जिसने न केवल पहाड़, बल्कि मैदानी राज्यों को भी बुरी तरह प्रभावित किया।

    केंद्रीय जल आयोग और क्लाइमेट ट्रेंड्स की संयुक्त रिपोर्ट के अनुसार, मानसून 2025 के दौरान गंगा बेसिन में सर्वाधिक 22 बार नदियों का जलस्तर खतरे के निशान से ऊपर पहुंचा। इनमें से कई घटनाएं उत्तराखंड, पश्चिमी उत्तर प्रदेश और बिहार क्षेत्र में दर्ज की गईं।

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    वहीं, यमुना नदी, जो गंगा की सबसे बड़ी सहायक नदी है, तीसरे स्थान पर रही, इसके बेसिन में 10 बार नदी का जलस्तर चेतावनी रेखा के पार गया, जिनमें दिल्ली, यमुना नगर और मथुरा जैसे क्षेत्र प्रमुख रहे। रिपोर्ट बताती है कि गंगा और यमुना दोनों की उद्गम स्थली उत्तराखंड में इस बार भारी वर्षा ने नदियों के प्रवाह को अत्यधिक बढ़ा दिया, जिससे मैदानों में भी बाढ़ की स्थितियां बनीं।

    अगस्त सबसे खतरनाक महीना, 28 स्थानों पर टूटा जलस्तर रिकार्ड

    मानसून के दौरान अगस्त 2025 सबसे अधिक विनाशकारी महीना साबित हुआ, जब देशभर में 28 स्थानों पर नदियों ने अपना अब तक का सर्वाधिक जलस्तर पार किया। इसके बाद सितंबर में 16, जुलाई में 13, जून में एक और मई में भी एक घटना दर्ज की गई (यह ब्रह्मपुत्र बेसिन में हुई)। रिपोर्ट के अनुसार, यह आंकड़ा 2020 के बाद तीसरा सबसे अधिक है जब नदियों ने अपना उच्चतम जलस्तर पार किया था।

    उत्तराखंड की बारिश से मैदानों में बाढ़ का असर

    उत्तराखंड में औसत से 22 प्रतिशत अधिक वर्षा ने नदियों के उफान को कई गुना बढ़ा दिया। विशेषज्ञों के अनुसार, गंगा और यमुना के उद्गम क्षेत्रों गंगोत्री और यमुनोत्री ग्लेशियरों में हुई लगातार भारी वर्षा और ग्लेशियर पिघलने से नदियों में पानी का प्रवाह अत्यधिक बढ़ गया। इसका सीधा असर हरिद्वार, बिजनौर, बुलंदशहर, मथुरा, प्रयागराज और पटना तक देखने को मिला, जहां कई तटीय इलाकों में बाढ़ से लाखों लोग प्रभावित हुए।

    देशभर में नौ प्रमुख नदी बेसिन प्रभावित

    नदी बाढ़
    गंगा 22
    सिंधु 15
    यमुना 10
    कृष्णा 4
    गोदावरी 2
    तापी 2
    ब्रह्मपुत्र 1
    बराक 1
    माही 1
    नर्मदा 1