Gandhi Jayanti 2022 : अल्मोड़ा में ऋषिकेश के क्रांतिकारियों से मिले थे बापू, योगनगरी में आज भी मौजूद है निशानी
Gandhi Jayanti 2022 उनकी यह निशानी बापू की याद दिलाती है। बापू का उत्तराखंड से भी खास नाता रहा है। उत्तराखंड यात्रा के दौरान जब महात्मा गांधी अल्मोड़ा पहुंचे थे तो उन्होंने ऋषिकेश के क्रांतिकारियों से भी मुलाकात की थी।
दुर्गा नौटियाल, ऋषिकेश : Gandhi Jayanti 2022 : आज महात्मा गांधी की 153वीं जयंती पर पूरा देश उन्हें याद कर रहा है। बापू का उत्तराखंड से भी खास नाता रहा है। योगनगरी ऋषिकेश में उनकी निशानी आज भी सुरक्षित है।
उत्तराखंड यात्रा के दौरान जब महात्मा गांधी अल्मोड़ा पहुंचे थे तो उन्होंने ऋषिकेश के क्रांतिकारियों से भी मुलाकात की थी। उस दौरान बापू ने इन क्रांतिकारियों को एक शिला पर अपने हस्ताक्षर करके दिए थे। जिसे ऋषिकेश में आज तक संभाल कर रखा गया है।
क्रांतिकारियों को एक शिला पर बापू ने अपने हस्ताक्षर करके दिए थे
- त्रिवेणी घाट बने गांधी स्तंभ पर यह शिला लगाई गई थी, जिसपर आज भी बापू के हस्ताक्षर अंकित हैं। उनकी यह निशानी बापू की याद दिलाती है।
- अल्मोड़ा यात्रा के दौरान बापू क्रांतिकारी ब्रह्मचारी हरिजीवन, उड़िया बाबा, स्वामी सदानंद, स्वामी अद्वेतानंद आदि से भी मिले थे। इन्होंने बापू से ऋषिकेश आने का आग्रह किया था। लेकिन बापू नहीं आ पाए।
- तब क्रांतिकारी उस शिला पर बापू के हस्ताक्षर लेकर ऋषिकेश वापस आ गए और त्रिवेणी घाट पर गांधी स्तंभ के ऊपर यही शिला लगा दी।
- स्वतंत्रता आंदोलन में इस स्तंभ के नीचे बैठकर ही ऋषिकेश के क्रांतिकारी रामधुन गाया करते थे।
आजादी के आंदोलन में ऋषिकेश का योगदान
वर्ष 1929-30 में नमक सत्याग्रह में देहरादून से 400 लोग जेल गए थे, उनमें ऋषिकेश के 70 साधु-संन्यासी थे। जलियांवाला बाग व रॉलेट एक्ट के विरोध में वर्ष 1919 और 17 नवंबर 1921 को भारत भूमि पर युवराज के आगमन के विरोध में ऋषिकेश के किसानों ने हड़ताल स्वरूप हल लगाना छोड़ दिया था।
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ऋषिकेश के मठ-मंदिरों के संन्यासियों ने भी दान दी थी राशि
इतना ही नहीं नमक सत्याग्रह के दौरान यहां खारा स्नोत नामक स्थान पर नमक बनाया जाता था। दक्षिण अफ्रीका से लौटने के बाद महात्मा गांधी जब 1922 में देहरादून आए तो तिलक फंड में ऋषिकेश के मठ-मंदिरों के संन्यासियों ने भी राशि दान दी थी।
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