गैरसैंण बनी उत्तराखंड की ग्रीष्मकालीन राजधानी, आदेश जारी; जानिए पहली बार कब उठी थी मांग
Gairsen Summer Capital of Uttarakhand सोमवार को गैरसैंण ग्रीष्मकालीन राजधानी को लेकर शासन ने आधिकारिक आदेश जारी कर दिया है।
देहरादून, जेएनएन। आखिरकार चमोली जिले के अंतर्गत भराड़ीसैंण (गैरसैंण) सोमवार को आधिकारिक रूप से प्रदेश की ग्रीष्मकालीन राजधानी बन गई। राज्यपाल की मंजूरी के बाद मुख्य सचिव उत्पल कुमार सिंह ने सोमवार को इस संबंध में अधिसूचना जारी कर दी। मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने अधिसूचना जारी होने पर प्रसन्नता जताते हुए कहा कि भराड़ीसैंण को आदर्श पर्वतीय राजधानी का रूप दिया जाएगा। उन्होंने कहा कि बीती चार मार्च को भराड़ीसैंण में बजट सत्र के दौरान की गई यह घोषणा सवा करोड़ उत्तराखंडवासियों की भावनाओं का सम्मान है। भराड़ीसैंण को ई-विधानसभा के रूप में विकसित करने पर कार्य हो रहा है।
उत्तराखंड राज्य को आखिरकार जनभावनाओं की राजधानी मिल ही गई। इसी साल चार मार्च को भराड़ीसैंण में बजट सत्र के दौरान सदन में मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने अचानक भराड़ीसैंण (गैरसैंण) को ग्रीष्मकालीन राजधानी बनाने की घोषणा कर विपक्ष समेत गैर भाजपा दलों को चौंका दिया था। भराड़ीसैंण में दो दिन तक जश्न का माहौल रहा था। भराड़ीसैंण में सत्र स्थगित होने के बाद से ही प्रदेश सरकार कोरोना महामारी से बचाव में जुटी है।
तकरीबन तीन महीेने से स्वास्थ्य सुरक्षा, खाद्य सुरक्षा, प्रवासियों की वापसी को छोड़कर सरकार की तमाम गतिविधियां ठप थीं। अब अनलॉक-वन शुरू होने के साथ ही जनजीवन को सामान्य रूप से पटरी पर लाने की कवायद हो रही है, ऐसे में सरकार ने ठीक तीन महीने बाद भराड़ीसैंण में की गई घोषणा को अमलीजामा पहना दिया। ग्रीष्मकालीन राजधानी की अधिसूचना जारी होने के बाद मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने कहा कि वर्ष 2017 में भाजपा के विजन डॉक्यूमेंट में गैरसैंण को ग्रीष्मकालीन राजधानी बनाने की बात कही गई थी।
मुख्यमंत्री ने कहा कि गैरसैंण की कनेक्टिविटी पर भी काम किया जा रहा है। भराड़ीसैंण, गैरसैंण को जोड़ने वाली सड़कों को चौड़ा किया जाएगा। ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेल प्रोजेक्ट पर तेजी से काम चल रहा है। इसके पूरा होने पर रेल गैरसैंण के काफी निकट पहुंच जाएगी।
इतिहास पर एक नजर
दरअसल, गैरसैंण को राजधानी बनाने की मांग आज की नहीं है। बल्कि साठ के दशक में पहली बार इसे स्थाई राजधानी बनाने की मांग उठी थी। ये मांग पेशावर कांड के महानायक वीर चंद्र सिंह गढ़वाली ने उठाई थी। यही वजह रही कि उत्तराखंड क्रांति दल ने उस दौर में गैरसैंण को वीर चंद्र सिंह गढ़वाली के नाम पर चंद्रनगर रखा था।
यूपी के समय से उठ रही थी मांग
यूपी से एक अलग राज्य उत्तराखंड बनाने के साथ ही उसकी राजधानी गैरसैंण को बनाने की मांग उठने लगी थी। राज्य आंदोलनकारियों और यूकेडी ने भी इसको लेकर कई बार आंदोलन तेज किया, जिसके बाद उनका ये आंदोलन नौ नवंबर 2000 को खत्म हुआ और उत्तरप्रदेश से एक अलग राज्य उत्तराखंड का निर्माण हुआ। हालांकि फिर उत्तराखंड की राजधानी गैरसैंण न होकर देहरादून(अस्थाई) बन गई। इसे लेकर फिर से आंदोलन शुरू हुए और राज्य आंदोलनकारियों ने 'पहाड़ी प्रदेश की राजधानी पहाड़ हो' का नारा बुलंद किया। इसलिए गैरसैंण को जनभावनाओं की राजधानी भी कहा जाने लगा।
पहली बार साठ के दशक में उठी थी मांग
गैरसैंण को स्थाई राजधानी बनाने की मांग साठ के दशक में पहली बार उठी थी। इस मांग को उठाने वाले पेशावर कांड के महानायक वीर चंद्र सिंह गढ़वाली थे। यही वजह रही कि उत्तराखंड क्रांति दल ने उस दौर में गैरसैंण को गढ़वाली के नाम पर चंद्रनगर रखा था।
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गैरसैंण की धरती पर हुए कई आंदोलन
गैरसैंण की धरती पर राजधानी के लिए कई आंदोलन शुरू हुए और समय के साथ राजधानी की मांग तेज होती चली गई। उत्तराखंड में सरकारें बनी और सभी ने यहां की जनता को गैरसैंण राजधानी का सपना भी दिखाया, जो सिर्फ सपना ही बनकर ही रह गया था। फिर इसे मुद्दा बनाकर राजनीतिक दल हमेशा अपनी रोटी सेंकने में लगे रहे। कांग्रेस सरकार के शासनकाल में गैरसैंण राजधानी की उम्मीदें फिर प्रबल हुई और तत्कालीन सीएम विजय बहुगुणा ने यहां विधानसभा भवन, सचिवालय, ट्रांजिट हॉस्टल और विधायक आवास का शिलान्यस किया। इसके बाद पूर्व सीएम हरीश रावत के कार्यकाल के दौरान ये बनकर तैयार हुए। अब भाजपा सरकार के कार्यकाल में साल 2020 में गैरसैंण को ग्रीष्मकालीन राजधानी घोषित कर दिया गया है।
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