क्या आप जानते हैं? देहरादून के FRI में संरक्षित है संजीवनी बूटी, 45 देशों की लकड़ी के 20 हजार नमूने भी मौजूद
राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग के सदस्य ने एफआरआइ का दौरा किया और एसटी कार्मिकों के हितों पर बात की। उन्होंने संस्थान में एसटी कर्मचारियों के लिए सुरक्षा उपायों की समीक्षा की और आरक्षण नियमों का पालन करने के निर्देश दिए। सदस्य ने हर्बेरियम में संरक्षित संजीवनी बूटी को देखा और जाइलारियम में लकड़ी के नमूनों की जानकारी प्राप्त की। उन्होंने वन अनुसंधान के कार्यों की सराहना की।

जागरण संवाददाता, देहरादून। अंतरराष्ट्रीय महत्व के वन अनुसंधान संस्थान (एफआरआइ) के बारे में हर कोई जनता है। लेकिन, क्या किसी को पता है कि यहां एक ऐसा हर्बेरियम भी है, जिसमें न सिर्फ जिसमें वनस्पतियों के 3.5 लाख नमूने हैं, बल्कि संजीवनी बूटी तक को संरक्षित किया गया है। बुधवार को जब राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग के सदस्य ने हर्बेरियम का दौरा किया तो संजीवनी बूटी को देखकर चकित रह गए।
राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग के सदस्य निरुपम चकमा ने एफआरआइ का दौरा करने के साथ ही संस्थान में अनुसूचित जनजाति (एसटी) कार्मिकों के लिए सुरक्षा उपाय के क्रियान्वयन की समीक्षा भी की। आयोग के सदस्य चकमा ने निर्देश दिए कि एसटी कार्मिकों के आरक्षण कोटे के नियमों का उचित ढंग से पालन किया जाए। वहीं, संस्थान की निदेशक डा रेणु सिंह ने संगठनात्मक ढांचे पर प्रकाश डालते हुए कार्मिकों की स्थिति और उनके प्रतिनिधित्व के बारे में विस्तृत जानकारी दी।
बैठक के बाद एसटी आयोग के सदस्य निरुपम चकमा ने एफआरआइ के विभिन्न संग्रहालयों का दौरा किया। उन्होंने विशेष रूप से हर्बेरियम और यहां संरक्षित की गई संजीवनी बूटी को देखा। अधिकारियों ने बुंदेलखंड से लिए गए संजीवनी बूटी के नमूने को प्रदर्शित करते हुए इसके गुणों पर भी प्रकाश डाला।
वहीं, जाइलारियम के निरीक्षण के दौरान एफआरआइ के विज्ञानियों ने बताया कि भारत और 45 अन्य देशों की लकड़ी के 20 हजार नमूने संरक्षित किए गए हैं। आयोग के साथ भारत में पाई जाने वाली बेशकीमती प्रजातियों और उनके वाणिज्यिक उपयोग की जानकारी भी आयोग के साथ साझा की गई।
जिसमें मुख्य रूप से लाल चंदन, चंदन, सागौन, साल और शीशम के बारे में बताया गया। आयोग ने इस बात पर खुशी व्यक्त करते हुए कहा कि वन अनुसंधान और इसके सभी घटकों पर उन्नत विरासत को संजोने की दिशा में बेहतर काम किया गया है।

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