उत्तराखंड के इतिहास के विस्मृत योद्धा पुरिया नैथानी के बारे में पढ़ेंगे नौनिहाल, स्कूल सेलेबस में मिली जगह
उत्तराखंड के इतिहास में पुरिया नैथानी जिन्होंने मुगल सम्राट औरंगजेब से जजियाकर माफ करवाया अब स्कूली पाठ्यक्रम में शामिल किए गए हैं। कक्षा 6 से 8 तक के छात्र अब उनके जीवन के बारे में पढ़ेंगे। पुरिया ट्रस्ट के प्रयासों और ऐतिहासिक साक्ष्यों के प्रस्तुतीकरण के बाद यह संभव हो पाया। 1 जुलाई से यह पुस्तक सभी सरकारी स्कूलों में पढ़ाई जाएगी।
जागरण संवाददाता, देहरादून । उत्तराखंड के इतिहास के एक विस्मृत योद्धा पुरिया नैथानी के बारे में अब स्कूली किताबों में पढ़ेंगे। यह पुस्तक माध्यमिक शिक्षा बोर्ड की कक्षा 6 से 8 तक के पाठ्यक्रम में पढ़ाई जाएंगी। एक जुलाई से सभी सरकारी स्कूलों में यह पुस्तक पढ़ाई जा रही है।
पुस्तक को किस तरीके से पढ़ाया जाए उसकी जानकारी एससीईआरटी के विशेषज्ञ टीम ने वचुअर्ल माध्यम से शिक्षा विभाग के अधिकारियों को बताई जा चुकी है। जल्द ही शिक्षकों को भी इसकी जानकारी दी जाएगी।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी और मंत्रिमंडल के सदस्यों की ओर से हमारी विरासत व विभूतियां नामक जिस पुस्तक का विमोचन किया था, जिसमें पुरिया नैथानी के जीवन चरित्र को शामिल किया गया है।
बीते वर्ष 15 जनवरी 2024 को प्रदेश सरकार ने राज्य की विरासत और विभूतियों को स्कूल पाठ्यक्रम में शामिल करने के लिए एक समिति गठित की थी और विभिन्न सामाजिक संस्थाओं से सुझाव मांगे गए थे।
पुरिया ट्रस्ट के संस्थापक निर्मल नैथानी और अध्यक्ष सुनील नैथानी ने लगातार समिति के अधिकारियों से संपर्क बनाए रखा और ऐतिहासिक साक्ष्य प्रस्तुत किए। करीब एक साल तक निरंतर संवाद और दस्तावेजों के प्रस्तुतीकरण के बाद समिति के पीठासीन अधिकारी व एससीईआरटी के प्राध्यापक सुनील कुमार भट्ट ने यह जानकारी दी कि पुरिया नैथानी को पुस्तक में स्थान दे दिया गया है।
गढ़ चाणक्य थे पुरिया नैथानी
बात उन दिनों की है जब भारत मुगल बादशाह औरंगजेब के अधीन था। उनके जजियाकर से जनता में हाहाकार मचा था। राजा के कर्मचारी गरीब जनता से किसी भी कीमत पर कर वसूलते थे। गढ़वाल की प्रजा पर उस वर्ष दोहरी मार पड़ी थी। एक तरफ क्रूर जजियाकर था तो दूसरी तरफ लंबे समय से वर्षा भी नहीं हुई थी।
राज्य के बड़े हिस्से में सूखा पड़ा हुआ था। लोगों के भूखे मरने की नौबत आ गई थी। दरबारियों के साथ मंत्रणा के बाद सबसे चतुर मंत्री पुरिया नैथानी को गढ़ नरेश ने औरंगजेब के दरबार में भेजने का निर्णय लिया। पुरिया नैथानी ने मुगल सम्राट को मनवाकर जजियाकर से गढ़वाल को मुक्ति दिलाई।
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