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    भारत की आजादी से भी पुराना FRI का इतिहास, यहां हैं दुनियाभर की वनस्पतियों के 3.30 लाख से अधिक नमूने

    By Nirmala BohraEdited By:
    Updated: Sun, 07 Aug 2022 01:40 PM (IST)

    Forest Research Institute एफआरआइ का इतिहास देश की स्वतंत्रता से भी पुराना है। वानिकी अनुसंधान की दिशा में एफआरआइ (FRI Dehradun) का नाम अंतरराष्ट्रीय जगत में बेहद सम्मान के साथ लिया जाता है। इसकी शुरुआत वर्ष 1878 में इंपीरियल फारेस्ट स्कूल के नाम से की गई थी।

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    Forest Research Institute : दून की कहानी वन अनुसंधान संस्थान के बिना अधूरी। जागरण

    जागरण संवाददाता, देहरादून : Forest Research Institute : दून की विशिष्टता की कहानी वन अनुसंधान संस्थान (FRI Dehradun) के बिना अधूरी रहती है।

    एफआरआइ (Forest Research Institute) वास्तुकला के लिहाज से जितना अनमोल है, इसका काम भी उतना ही अहम है। आज वानिकी अनुसंधान की दिशा में एफआरआइ (FRI Dehradun) का नाम अंतरराष्ट्रीय जगत में बेहद सम्मान के साथ लिया जाता है।

    देश की स्वतंत्रता से भी पुराना इतिहास

    एफआरआइ का इतिहास देश की स्वतंत्रता से भी पुराना है। ब्रिटिशकाल में इसकी शुरुआत वर्ष 1878 में इंपीरियल फारेस्ट स्कूल (Imperial Forest School) के नाम से की गई थी। इसके बाद वर्ष 1906 में इसे फारेस्ट रिसर्च इंस्टीट्यूट (Forest Research Institute) के रूप में पुनर्स्थापित किया गया।

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    वहीं, जिस मुख्य भवन से एफआरआइ की पहचान है उसका उद्घाटन वर्ष 1929 में किया गया। देश की स्वतंत्रता के बाद एफआरआइ की क्षमता और ख्याति में निरंतर बढ़ोतरी होती रही।

    वर्ष 1988 में एफआरआइ और इसके शोध केंद्रों को पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय (Ministry of Forest and Climate Change) के दिन लाया गया और वर्ष 1991 में विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (UGC) ने इसके तमाम पाठ्यक्रमों को आगे बढ़ाने के लिए डीम्ड यूनिवर्सिटी (Deemed University) का भी दर्जा दिया।

    क्‍या है एफआरआइ (Forest Research Institute) की खासियत

    • एफआरआइ की विशेषज्ञता की बात करें तो वानिकी अनुसंधान से लेकर कृषि वानिकी, भूमि के पुनरुद्धार, नर्सरी विकास, वन व्याधि, कीट प्रबंधन, जलवायु परिवर्तन, वनस्पतियों की क्लोनिंग आदि की दिशा में यहां के विज्ञानी बखूबी काम कर रहे हैं।
    • एफआरआइ की विशेषज्ञता को यहां के अदभुत संग्रहालयों के रूप में भी देखा जा सकता है।
    • आज के दौर में जलवायु परिवर्तन के कई अंतरराष्ट्रीय समझौतों की पूर्ति में भी संस्थान बखूबी काम कर रहा है।
    • एफआरआइ में देश का सबसे बड़ा हरबेरियम है।
    • यहां दुनियाभर के वनस्पतियों के 3.30 लाख से अधिक नमूने हैं।
    • इनमें 1300 वनस्पतियों के ऐसे नमूने हैं, जिन्हें विज्ञानियों ने पहली बार खोजा और यहां सहेजकर रख दिया।
    • इसमें रखा गया पहला नमूना (स्पेसीमैन) गुलाब की एक प्रजाति रोजा क्लिनोफिला थारी का है।
    • इसे यहां पर वर्ष 1807 में संरक्षित किया गया। इस हरबेरियम कि स्थापना वर्ष 1908 में की गई।

    अदभुत है वास्तुकला

    एफआरआइ के भवन वास्तुकला (Architecture) का नायाब उदाहरण है। इसे ग्रीको-रोमन वास्तुकला के अनुरूप बनाया गया है। भवन का डिजाइन विलियम लूट्यन्स ने तैयार किया और निर्माण में करीब छह साल का समय लगा। इसकी खूबसूरती देखते ही बनती है।

    नवंबर 2013 में जब प्रिंस चार्ल्स एफआरआइ पहुंचे तो उन्होंने इसे लंदन में राजशाही के प्रतीक बकिंघम पैलेस से भी खूबसूरत बताया। इसी खूबसूरती के चलते तमाम फिल्मों और डाक्यूमेंट्री की शूटिंग यहां होती रहती है।

    शोधार्थियों समेत पर्यटकों के लिए ज्ञान का खजाना हैं संग्रहालय

    एफआरआइ में पैथोलाजी संग्रहालय समेत सकजीक वानिकी, सिल्विकलचर, इमारती लकड़ी, गैर इमारती लकड़ी व कीट विज्ञान के संग्रहालय हैं। इनमें रखे नमूने अदभुत हैं और ज्ञान के भंडार से भी परिपूर्ण हैं। यहां पर 800 साल पुराने पेड़ का तना आकर्षण का केंद्र बना रहता है।

    फिल्मों की शूटिंग के लिए पहुंचते हैं सितारे (Movie Shoot in FRI)

    एफआरआइ में फिल्मों की शूटिंग (Movie Shoot in FRI) के लिए आए दिन सितारे पहुंचते हैं। यहां बालीवुड की कई बड़ी फिल्मों की शूटिंग हुई है। इनमें स्‍टूडेंट आफ द ईयर, रहना है तेरे दिल में और कृष्‍णा काटेज सहित कई फिल्मों की शूटिंग यहां हुई है।