देवघार रेंज के कोटी जंगल में लगी आग, वन संपदा खाक
चकराता वन प्रभाग अंतर्गत देवघार रेंज त्यूणी के बागी जंगल में लगी आग के चलते लाखों की वन संपदा जलकर खाक हो गई। स्थानीय ग्रामीणों ने कहा जंगल में बीते सोमवार रात को लगी आग को वन विभाग अभी तक नहीं बुझा पाया।
चकराता (देहरादून), जेएनएन। देवघार रेंज त्यूणी से जुड़े बागी व कोटी जंगल में लगी आग से वन संपदा खाक हो गई। सोमवार की रात से लगी आग को वन विभाग की टीम ने स्थानीय ग्रामीणों के प्रयास से बुझाने का प्रयास किया, लेकिन सफलता नहीं मिली। वहीं, डीएफओ चकराता दीपचंद आर्य ने रेंज अधिकारी त्यूणी को आग फैलने से रोकने के लिए आवश्यक उपाय करने के निर्देश दिए हैं।
जानकारी के अनुसार चकराता वन प्रभाग अंतर्गत देवघार रेंज त्यूणी से जुड़े बागी गांव के पास कोटी वीट जंगल में आग लगने से चारों तरफ धुंआ उठने लगा। चीड़ जंगल होने की वजह से दूसरे दिन सुबह तक चारों तरफ आग फैल गई। इसकी सूचना रेंज अधिकारी देवघार-त्यूणी यशपाल सिंह राठौर को मिली तो उन्होंने वन विभाग टीम को मौके के लिए रवाना किया। टीम ने स्थानीय ग्रामीणों की मदद से जंगल में लगी आग को बुझाने का भरसक प्रयास किया पर आग को पूरी तरह बुझाने में सफलता नहीं मिली। जंगल में आग की चिंगारी के दोबारा सुलगने से खतरा बना हुआ है। वहीं, डीएफओ चकराता दीपचंद आर्य ने संबंधित रेंजर से मामले की रिपोर्ट मांगी है।
आग से लाखामंडल के लावड़ी में सौ फलदार पेड़ जले
मंगलवार को जौनसार के लाखामंडल क्षेत्र से जुड़े लावड़ी गांव के पास एक ग्रामीण बागवान के बगीचे में आग लगने से उसकी सारी मेहनत बेकार चली गई। स्थानीय बागवान शांतिराम शर्मा ने कुछ समय पहले गांव के पास स्थित बगीचे में मिश्रित प्रजाति के आडू, नीबूं, नाशपाती, खुमानी, सेब व अनार के पौधे लगाए थे। जो अब फल देने लायक हो गए। मंगलवार को बगीचे के पास जंगल से भड़की आग की चिंगारी उसके बगीचे तक पहुंच गई। आग फैलने से प्रभावित ग्रामीण के बाग में लगे करीब सौ फलदार पेड़ जलकर खाक हो गए।
प्रभावित बागवान ने कहा पिछले तीन-चार वर्षों की कड़ी मेनहत से तैयार हुए बगीचे में बड़ी मात्रा में फलदार पेड़ जलने से उसे हजारों का नुकसान हुआ है। जिसकी भरपाई करना उसके लिए मुश्किल है। सामाजिक संस्था जौनसार-बावर जन कल्याण विकास समिति लाखामंडल की अध्यक्ष बचना शर्मा ने कहा प्रभावित ग्रामीण की आजीविका खेती-बाड़ी व बागवानी पर निर्भर है। आग के कारण बगीचे में हुए नुकसान से प्रभावित परिवार के सामने रोजी-रोटी की समस्या हो गई। समिति ने वन विभाग व स्थानीय प्रशासन से प्रभावित बागवान को इस नुकसान से उभारने के लिए उचित मुआवजे की मांग की है।