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    Uttarakhand Forest Fire: आग से निपटने के लिए वन महकमे ने कसी कमर, पंचायतों से ली जाएगी मदद

    Uttarakhand Forest Fireउत्तराखंड में फायर सीजन (15 फरवरी से) शुरू हो चुका है। इसके साथ ही वन विभाग भी जंगल की आग की घटनाओं की रोकथाम को कार्य योजना बनाने में जुटा हुआ है। शीतकाल में अक्टूबर से जनवरी तक वर्षा में सामान्य से 70 प्रतिशत की कमी दर्ज की गई। सरकार ने इसके लिए बजट भी पास कर दिया है।

    By Jagran News Edited By: Swati Singh Updated: Sat, 17 Feb 2024 03:17 PM (IST)
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    आग से निपटने के लिए वन महकमे ने कसी कमर, पंचायतों से ली जाएगी मदद

    जागरण संवाददाता, देहरादून। उत्तराखंड में फायर सीजन (15 फरवरी से) शुरू हो चुका है। इसके साथ ही वन विभाग भी जंगल की आग की घटनाओं की रोकथाम को कार्य योजना बनाने में जुटा हुआ है। उपकरण व मानव संसाधन की तैनाती से लेकर कर्मचारियों को प्रशिक्षण दिया जा रहा है। आग की रोकथाम में वन पंचायतों का भी विशेष सहयोग लिया जाएगा।

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    इस बार शुष्क मौसम वन विभाग की चुनौती बढ़ा सकता है। शीतकाल में वर्षा व बर्फबारी कम होने के कारण वनों में आग की घटनाएं बढ़ने की आशंका है।

    शीतकाल में हुई कम बारिश

    शीतकाल में अक्टूबर से जनवरी तक वर्षा में सामान्य से 70 प्रतिशत की कमी दर्ज की गई। जिससे वन विभाग की चिंता बढ़ गई है। आने वाले दिनों की चुनौतियों को देखते हुए वन विभाग ने कसरत भी तेज कर दी है। वन कर्मियों को प्रशिक्षण देने के साथ ही वन पंचायतों, महिला एवं युवक मंगल दलों से भी सहयोग मांगा जा रहा है।

    आग पर काबू पाने के लिए रखा गया 15 करोड़ का बजट

    प्रदेश में 11 हजार 300 से अधिक वन पंचायतें हैं। ग्राम पंचायत स्तर पर जंगल की आग प्रबंधन समितियों का गठन कर दिया गया है। इस बार भी जंगल की आग पर काबू पाने के लिए 15 करोड़ रुपये से अधिक का बजट रखा गया है। संसाधन जुटाने के साथ ही जागरूकता व प्रशिक्षण कार्यक्रमों पर भी इसे खर्च किया जा रहा है।

    एनडीआरएफ, एसडीआरएफ से भी ली जाएगी मदद

    आने वाले दिनों में जंगल की आग विकराल होने पर एनडीआरएफ, एसडीआरएफ से भी सहयोग लिया जाएगा। मुख्य वन संरक्षक वन पंचायत निशांत वर्मा ने बताया कि जंगल की आग की मॉनिटरिंग को सिस्टम तैयार किया गया है।

    साल के पहले दिन ही लगी थी आग

    इस वर्ष की शुरुआत में ही उत्तरकाशी, नैनीताल, बागेश्वर, टिहरी, पिथौरागढ़, पौड़ी और अल्मोड़ा आदि जिलों में भारतीय वन सर्वेक्षण की ओर से फायर अलर्ट जारी किए गए। साथ ही जनवरी के पहले दिन ही नैनीताल में भीषण आग की घटना हुई। जिसमें बड़े वन क्षेत्र को क्षति पहुंची। वन विभाग वन क्षेत्र में अपशिष्ट जलाना, किसानों के पराली जलाने पर भी नजर रख रहा है।

    बड़े पैमाने पर वन संपदा चढ़ रही आग की भेंट

    उत्तराखंड में हर साल बड़े पैमाने पर वन संपदा आग की भेंट चढ़ रही है। वर्ष 2016 से अब तक के आंकड़ों को देखें तो हर वर्ष जंगलों में आग की औसतन 1553 घटनाएं हो रही है, जिनमें 2605 हेक्टेयर वन क्षेत्र झुलस रहा है।

    उत्तराखंड में जंगल की आग

    •  वर्ष  -   घटनाएं  -    प्रभावित क्षेत्र
    • 2023  -    950    -     1150
    • 2022  -    2230  -      3500
    • 2021   -  2813   -     3943.88
    • 2020   -    135    -     172.69
    • 2019   -     2158  -    2981.55
    • 2018   -    2150   -    4480.04
    • 2017   -      805  -      1244.64
    • 2016  -       2074   -     4433.75

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